रोहित की शहादत, राजनीति करण एवं हमहरेश परमार कुछ परिदृश्य ऐसेहोते है जिसे हम देखना नहीं चाहते, हम उनसे आँखे मूंदना चाहते है, फिर भी वह मंजरहमारी आँखों के सामने आ जाते है | हम लाख कोशिश करें पर फिर भी ऐसे वक्त में हमउनसे आँख चुराकर भी देख ही लेते है | समर्थन में हो या असमर्थन में पर हमारे सामनेयव यथा