वह सन्नाटाजो तुम्हारे दिल में नदी की तरह बहता हैउसके पानी से मैं हर दिनअपने एहसासों का घड़ा भरती हूँउस पानी की छुवन सेमिट्टी से एहसास नम होते हैंऔर तेरे चेहरे की सोंधी खुशबूउस घड़े से आती है ...दूर दूर तक खाली तैरतीतुम्हारी पुतलियों कोअक्सर मैंने छुआ है यह सोचकरकि कुछ ना सहीमेरे स्पर्श की लोरी तो तु