आगामी बिहार विधान सभा चुनाव और जातिवाद।
बिहार मे जातिवाद का वर्चस्व के लिए जिम्मेदार लोग लालू यादव को बताते हैं! और कुछ लोग का मानना है की लालू के बाद जातिवाद बिहार से खत्म हो गया लेकिन मेरा मानना है की ये कहने वाले ही सबसे बड़ा जातिवादी हैं।
जातिवाद एक ऐसी वायरस है जिसमे सही और गलत का पहचानना आसान नही होता है और जातीय नरसंहार के लिए भी यह जिम्मदार है।
अगर बिहार मे 80और 90 की दशक की बात करे तो यह समय जातिवाद का टोपी पहनकर सत्ता मे बरकरार रहने के लिए जगह जगह पर जातीय नरसंहार को अंजाम दिया जा रहा था और इसके लिए जिम्मेदार आईपीएफ, संग्राम समिती, और एमसीसी, जैसे किसान और मजदूर के हक के लिए लड़ने वाले लोगो को ठहराया गया था।
लेकिन इस विषय पर मेरी एक बुजुर्ग से संवाद हुआ तो उन्होने बताया की यह सब लालू यादव के द्वारा प्रायोजित होता था जब दलित का नरसंहार होता तो वो फॉरवर्ड जाती के लोग दोषी बता देता जब फॉरवर्ड का नरसंहार होता तो दलित को निशाना बनाता लेकिन उन्होने बताया कि यह सब लालू यादव का रचा हुआ खेल था
इन सब घटनाओं को अगर देखा जाए तो दलित और फॉरवर्ड को बदनाम किया गया है। फिर वो बताते हैं की इस घटना के लिए लालू यादव ने जहानाबाद पूर्व सांसद सुरेन्द्र यादव को पूरी जिम्मेदारी सौंपी थी।
अक्सर आज लोग लालू यादव को फॉरवर्ड को नेता मानते है लेकिन उसने यादव और मुस्लिम के वोट को ध्रुवीकरण का काम किया है। और फॉरवर्ड को हमेशा से बदनाम किया है।
उनसे जब नरसंहर के बारे में पूछा तो वो बताते हैं की यह सबसे पहले जहानाबाद जिले के परसबिगहा के मदन मोहन शर्मा के हत्या से शुरू होती है और इसके लिए जिम्मेदार सुरेन्द्र यादव ही था फिर सेनारी और बाथे पर चर्चा हुई तो उन्होंने बताया की एमसीसी, और संग्राम समिती को सरकार जिस तरह संरक्षण दे रहा था उससे फॉरवर्ड का जीना हराम हो गया था वो सब खेती नही करने देता था ।
रात भर राम राम करके जीवन गुजरता था। कभी कभी हल्ला होता था की पार्टी वाला चढ़ गया है तो लोग जीवन और मौत से लड़ते थे इसी के कारण से रणवीर सेना का निर्माण 1994 मे किया गया था किसान और मजदूर के सुरक्षा के लिए लेकिन वे भी मानते हैं कि बरमेश्वर मुखिया ने गलत ,बेजुबान , और गर्भवती महलाओं को कत्ल करवाया जो की न्याय की गरीमा से ऊपर की चीज है वो हमेशा इसके लिए दोषी ही रहेंगे उन्हे परशुराम का दर्जा देना गलत होगा अपराधी गलत होता है। चाहे वजह जो भी हो
सेनारी के बारे मे उन्होने बताया की लाशों का गांज लगा हुआ था और सभी की परिवार बिलख रहा था तो रामविलास पासवान आए थे तो उन्होंने बोला था की हमलोग जिस अंधेरे मे सो रहे हैं। उससे ऊपर उठने की जरूरत है ये कोई पार्टी नहीं सरकार के द्वारा रचा हुआ खेल है।
बात नीतीश की किया जाए तो ये भी जातिवाद के प्रखर प्रेमी हैं ये हमलोग को भूल है कि ये सेक्युलर नेता हैं। ये भी सत्ता के लिए मुस्लिम और कुर्मी का राजनीती करने मे आनंद ले रहे हैं।अब तक इन्होने सात कुर्मी सम्मेलन में हिस्सा लिया है।और हर साल काको में मजार पर चादर चढ़ाने आते हैं लेकिन जवान शहीद होता है । तो फेसबुक पर श्रद्धांजलि देते हैं।
बताया जाता है की नीतीश नालंदा के रहने वाले हैं जहां बिजली पानी से लेकर स्टेडियम तक बना हुआ है लेकिन उत्तर बिहार में लोग बाढ़ से प्रभावित होते हैं उनके पास बिजली पानी की भी किल्लत हो जाती है इसके लिए उन्होंने कभी नही सोचा है। ये भी लालू के जातीय नरसंहार से कम नहीं है। जहां बच्चा ईलाज के बाहर मर जाता है और सरकार इसे लीची खाने की वजह बताता है।
एक वो हैं जो अपने आप को श्री कृष्ण सिंह का वंशज समझता है लेकिन उनके विचारधारा को समझने का प्रयास ही नही किया की श्री बाबू वो हैसियत वाले थे की दलित को अपने बराबर उठने बैठने को तरजीह देते थे एक आज का लौंडा है जिसने भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच का टैग लगाकर अपने आप को नेता समझ रहा है। मूर्खो को समझ में नही आता की इससे समाज मे बची खुची इज्जत बर्बाद कर रहे हैं
तुम्हारे पास ना तो लालू वाला जातिगत या कौम का सपोर्ट है की तुम लालू पार्ट 2 का निर्माण कर रहे हो
✍️✍️✍️- रिशव शर्मा