''तन्हाइयों से दूर''
समय तल्ख़ है ,इसकी परछाइयों से दूर,हमें ले चलो ,गम से ,तनहाइयों से दूर ।भरे रंग आँचल में ,नई रौशनी हम ,हवा मोड़ दे रुख , पुरवाइयों की ओर ।संवरने लगे सपने ,जो तुम मिल गए हो,खिंचे जा रहे दिल, गहराइयों की ओर ।उडा ले चले लो पंख , नीले गगन में ,महकता बदन थामें ,अंगडाइयों की डोर ।अगर