समय तल्ख़ है ,इसकी परछाइयों से दूर,
हमें ले चलो ,गम से ,तनहाइयों से दूर ।
भरे रंग आँचल में ,नई रौशनी हम ,
हवा मोड़ दे रुख , पुरवाइयों की ओर ।
संवरने लगे सपने ,जो तुम मिल गए हो,
खिंचे जा रहे दिल, गहराइयों की ओर ।
उडा ले चले लो पंख , नीले गगन में ,
महकता बदन थामें ,अंगडाइयों की डोर ।
अगर मिल गए हैं तो मिलते रहेंगे हम ,
कदम ले चले देखो,अच्छाइयों की ओर ।
कहीं दूर लहरों पे , कश्ती रवां है ,
जरा रोक लो ,अपनी रानाइयों के शोर ।