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आज के युवा और गाॅंधी जी के सिद्धांत

4 अक्टूबर 2021

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दक्षिण अफ्रीका के पीटरमारिट्जबर्ग  नमक रेलवे स्टेशन पर मोहनदास करमचंद गाॅंधी को केवल इसलिए ट्रेन के फर्स्ट क्लास से बाहर फेंक दिया गया था क्योंकि वे अश्वेत थे । इस घटना से पहले मोहनदास करमचंद गाॅंधी का परिचय केवल एक वकील के रूप में ही था । साधारण  कद - काठी , सामान्य सी भाषा शैली .. कुल मिलाकर प्रथम दृष्ट्या  ऐसी कोई विशेषता ना थी जिससे वकील होने के अतिरिक्त उन्हें कुछ और समझा जा सके ।

मगर वह कहते हैं ना   ज्वाला  भड़काने को एक चिंगारी ही काफी है ।  मोहनदास नामक अश्वेत को ट्रेन से फेंकने से पहले फिरंगियों को यह अंदाजा नहीं था कि साधारण सा दिखने वाला यह व्यक्ति अपने विचारों से ,  अपने सिद्धांतों से एक दिन ऐसा भूचाल  लाएगा जो उनकी जड़ें ही  उखाड़  फेंकेगा ।

अहिंसा  के माध्यम से विरोध करना तथा जनमानस को जागृत करने का अटल  सिद्धांत दुनियां  को सर्वप्रथम मोहनदास करमचंद गाॅंधी ने ही दिया था । इससे पहले शायद ही इतिहास में किसी ऐसे  विचार  का वर्णन मिलता है जिसने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए गुलामी की जंजीर को तोड़ दिया हो । गाॅंधी जी  के संघर्षों  और उनके विचारों ने  ही उन्हें महात्मा बना दिया ।

आज के दौर में गाॅंधी जी के सत्य और अहिंसा का सिद्धांत पूरे विश्व ने  स्वीकार किया है ।  यह विचार आज के युवा पीढ़ी के लिए वर्तमान समय में भी सार्थक है इसका एक उदाहरण यह है कि मान लिया जाए कि आज के युवा को उचित शिक्षा ,  बेरोजगारी और  भ्रष्टाचार जैसे किसी मुद्दे को लेकर यदि सरकार का विरोध करना आवश्यक हो गया हो तो ऐसी स्थिति में आप हिंसा का सहारा लेकर ताकत का प्रदर्शन करते हुए सरकार के विरुद्ध नहीं लड़ सकते और यह गैरकानूनी भी है तथा इससे आम लोग भी आपके विरोधी हो जाएंगे किंतु यदि अपनी मांगों को लेकर अहिंसावादी  नीति को  अपनाते हुए यदि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की जाए तो जनमानस भी आपका साथ देगी तथा समर्थन करेगी । यह एक उदाहरण मात्र नहीं है अपितु  सत्य है ।

अहिंसावादी नीति का प्रयोग करते हुए ही १९७५-७६       में स्वर्गीय जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी के तानाशाही रवैए को चुनौती दी थी तथा झुकने पर मजबूर कर दिया था । हाल के वर्षों में अन्ना हजारे द्वारा किया गया प्रदर्शन भी एक ताजा उदाहरण है जिससे हर वर्ग के जनता का अपार समर्थन मिला था । यह आंदोलन भी  गाॅंधी जी के नीतियों  से ही प्रेरित था ।

गाॅंधी जी का  ग्राम उत्थान , कुटीर उद्योग और स्वदेशी अपनाओ जैसे अमूल्य सिद्धांत आज के युवा पीढी के लिए भी सार्थक है । ग्राम अर्थात गाॅंव के विकास के बिना देश के  विकसित होने का स्वप्न पूरा नहीं किया जा सकता । बेरोजगारी को दूर करने के लिए कुटीर उद्योग लगाने का गाॅंधीवादी सिद्धांत को आज के युवा भी अमल में ला रहें हैं ।

हालांकि कुछ युवा हैं हमारे देश में जो   गाॅंधी जी  और उनके सिद्धांतों  की  आलोचना  करने से पीछे नहीं रह रहे  हैं । वें समय - समय पर अपनी बातों के माध्यम से गाॅंधी जी के प्रति अपने आक्रोश को प्रदर्शित करते रहते हैं । ऐसे युवाओं से मेरा सिर्फ यह कहना है कि जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार हमें हर अपनी बात को समय , व्यक्ति और परिस्थितियों के अनुसार समझने का प्रयत्न कम-से-कम  एकबार अवश्य करना चाहिए ।  मैं मानती हूॅं कि  लोकतंत्र  में  अपनी बात रखने का  चाहें वह आलोचना ही क्यों ना हो ..  सभी को  अधिकार है  परंतु आलोचना करने से पूर्व यह भी आवश्यक है कि हम उस व्यक्ति के बारे में समस्त पहलूओं के माध्यम से मुखातिब हो और एक वाजिब तर्क के आधार पर अपनी बातों को रखें । मेरे नजरिए से गाॅंधी जी के सिद्धांतों को जानना आवश्यक है । गाॅंधी जी के विचार और सिद्धांत आज के युवा के लिए भी मार्गदर्शक है और सदैव रहेगा ।

                                          धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

" गुॅंजन कमल " 💓💞💗

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