आज भी याद है मुझे, वो पहली मुलाकात जब हम दोनों को हमारे ही घर वालो ने एक काफी शॉप पर मिलवाया था ।इससे पहले भी कई लड़कों ने मुझे देखा और हर बार ना ही हुई लेकिन इस बार जब हम लोग अपने गांव गए दीवाली मनाने के लिए तो पता नही था की ऐसा कुछ होने वाला है।
मै जो एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थीं लेकिन इस के साथ ही अपनी पढ़ाई करते हुए कुछ नया करने का जुनुन था मेरे मन में ,शुरू से ही मैं बहुत भावुक थी लेकिन इरादे बहुत मजबूत थे ।मैं अपने मन को बात किसी से नहीं कर पाती थी क्योंकि घर का माहौल ऐसा नही था जहां पर बच्चो के मर्जी की बात को तवज्जो दी जाए ,हमारे घर में तो सिर्फ पापा की ही चलती थी।
दिन बी दिन मेरी शादी की चिंता सताती थी उन्हे ।उस दिन जब हमारे गांव के चाचा घर पर आए और उन्होंने मेरे लिए एक रिश्ता बताया और साथ ही ये आश्वस्त किया कि लड़का बहुत अच्छा है आप एक बार मिल लीजिए तो पापा ने तुरंत ही हां कर दी।
उनका परिवार हमसे कुछ ऊंचे स्तर का था तो पापा ने सोचा के हम उन्हे घर पर नहीं बुलाते हैं और फिर गांव से बाहर शहर को जाने वाले रास्ते पर जो नया कॉफी शॉप खुला है, व्ही हमै मिलने के लिए बुलाया गया । मम्मी पापा ने मुझे देखा और कहा कि लड़का बहुत अच्छा है लेकिन मैं तो सिर्फ इतना जानना चाहती थीं कि उनकी तरफ से क्या जवाब आता है इसलिए बैचानी और घबराहट के साथ मैं तैयार होकर उनके साथ चल दी
वह पहुंच कर देखा तो वो लोग पहले से ही हमारा इंतजार कर रहे थे वहा पहुंच कर मैंने झुकी नज़रों से सभी को हाथ जोड़कर नमस्ते की और एक बार सामने भी देखा तो उनके परिवार के सिर्फ तीन लोगो को ही देखा जिनमे से सिर्फ एक पर मेरी नजर टिकी थी।वो एक लंबे कद के गोरे , चरहरे बदन वाले तीखे नैन नक्श,और एक मुस्कान के साथ मुझे देखने वाले भी थे ।आगे पढ़े.......