shabd-logo

कभी सोचा?

27 दिसम्बर 2021

21 बार देखा गया 21
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें
ओंकार नाथ त्रिपाठी

ओंकार नाथ त्रिपाठी

धन्यवाद सोनी जी।

5 जनवरी 2022

ओंकार नाथ त्रिपाठी

ओंकार नाथ त्रिपाठी

5 जनवरी 2022

धन्यवाद सोनी जी।

50
रचनाएँ
शब्द वाटिका
5.0
शब्दों को अर्थपूर्ण ढंग से सहेजना।उनकी बोल को लोगों तक पहुचाना।
1

रिश्ते

29 अक्टूबर 2021
7
3
3

<p>आज-</p> <p>अचानक!</p> <p>हिसाब किया,</p> <p>रिश्तों का।</p> <p>अधिकांश!!</p> <p>शून्य हो गये,</p>

2

अपनापन

1 नवम्बर 2021
3
2
1

<p>वो-</p> <p>उपकृत करते रहे,</p> <p>मुझे-</p> <p>मेरे एहसानों पर,</p> <p>लेकिन-</p> <p>जब अपनापन मा

3

बुरा वक्त

19 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>बुरा वक्त-</p> <p>बदल जायेगा,</p> <p>एक दिन,</p> <p>लेकिन-</p> <p>जो बदल गये,</p> <p>बुरे वक्त मे

4

आज,फिर-

23 नवम्बर 2021
1
1
0

<p>आज, फिर-</p> <p>रात भर,</p> <p>देखता रहा,</p> <p>चाँद को-</p> <p>मैं तुम्हें समझकर।</p> <p>सुनता

5

चालाकी

23 नवम्बर 2021
1
1
0

<p>जब से-</p> <p>हमने,</p> <p>सीख ली,</p> <p>तेरे!</p> <p>मुह पर तेरा,</p> <p>और-</p> <p>उनके मुह पर

6

मोमबत्ती

23 नवम्बर 2021
2
0
0

<p>मैंने तो,</p> <p>तुम्हें!</p> <p>सीने में,</p> <p>छुपा रखा था।</p> <p>तुम तो-</p> <p>मोमबत्ती का<

7

अकेलापन

23 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>जब-</p> <p>भीड़ में,</p> <p>होकर भी,</p> <p>लगे अकेलापन!</p> <p>तब-</p> <p>कुरेद रहा होता है,</p>

8

जिंदगी

23 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>मुट्ठी की रेत बनी,</p> <p>पल-पल-</p> <p>फिसलती रही,</p> <p>हे जिदगी!</p> <p>लाख सिकवे रहे,</p> <p

9

अँधियारा

23 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>अंतर्मन में, पसरा अँधियारा।</p> <p>भले लाख तुम, दीप जलाओ।।</p> <p>चले कहाँ थे,गये कहाँ तुम?</p> <

10

बेरुख़ी

23 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>तेरी-</p> <p>बेरुखी के बाद,</p> <p>यही सोचता रहा,</p> <p>कि-</p> <p>अब सोचना,</p> <p>बंद कर दूँ,<

11

परिंदे

23 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>परिंदे-</p> <p>लौट चले हैं,</p> <p>आसमान से!</p> <p>घोंसलों की तरफ।</p> <p>शाम होते ही,</p> <p>घर

12

हथेलियां

23 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>हिफाजत में,</p> <p>हथेलियां,</p> <p>तपन सहकर भी,</p> <p>लगी हैं-</p> <p>जिन आशाओं की,</p> <p>जलती

13

हथेलियां

23 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>हिफाजत में,</p> <p>हथेलियां,</p> <p>तपन सहकर भी,</p> <p>लगी हैं-</p> <p>जिन आशाओं की,</p> <p>जलती

14

तेरा बदल जाना

24 नवम्बर 2021
2
1
1

<p>यूँ तो-</p> <p>बदलते रहे,</p> <p>घर,और-</p> <p>समय भी।</p> <p>लेकिन-</p> <p>इतने पीड़ान्तक,</p> <p

15

गणित

25 नवम्बर 2021
2
1
0

<p>जब से-</p> <p>उनकी रुची,</p> <p>संबंधों के-</p> <p>गणित में हुई।</p> <p>तब से-</p> <p>न वो इंतजार

16

बचपन

28 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>न जरुरत रही,</p> <p>न जरुरी रहा,</p> <p>वो बचपन हमारा,</p> <p>कहाँ खो गया?</p> <p>अब- </p> <

17

सुन्दरता

29 नवम्बर 2021
2
1
0

<p>तेरी-</p> <p>वयस्क सुन्दरता,</p> <p>अब उस-</p> <p>मासूम खुबसूरती,</p> <p>जैसी-</p> <p>भला कहाँ लग

18

जरुरत

29 नवम्बर 2021
3
1
0

<p>​​मैं सोचता रहा,</p> <p>कि मैं!</p> <p>जरुरी हूँ,</p> <p>तुम्हारे लिये।</p> <p>लेकिन-</p> <p>यह ग

19

जमीर की आवाज़

1 दिसम्बर 2021
1
1
1

<p>हम-</p> <p>सुनते रहे,</p> <p>धर्म प्रचारकों की,</p> <p>बातेंआज तक।</p> <p>अपने जमीर की,</p> <p>आव

20

कल कल करती...

2 दिसम्बर 2021
1
0
0

<p>मैं खड़ा रहा,</p> <p>पहाड़ की तरह,</p> <p>तेरे साथ!</p> <p>और-</p> <p>तुम! नदी बनी,</p> <p>कल-कल कर

21

मेरी मौत केबाद

3 दिसम्बर 2021
3
2
2

<p>सब कुछ</p> <p>सूना सूना सा,</p> <p>दरवाजा-</p> <p>खुला हुआ,</p> <p>मेरे बिस्तर का</p> <p>जगह खाली

22

शब्द

6 दिसम्बर 2021
1
0
0

<p>तेरे-</p> <p>महकते शब्द!</p> <p>जो मुझे-</p> <p>पास ले आये थे।</p> <p>अब-</p> <p>वही, बहँक कर,</p

23

ऐसा नहीं कर सकी

8 दिसम्बर 2021
1
1
1

<p>मैं-</p> <p>तेरी अच्छाइयों को,</p> <p>पत्थरों पर,</p> <p>और-</p> <p>बुराईयों को,</p> <p>रेत पर,</

24

उसके लिये

12 दिसम्बर 2021
2
0
0

<div>अजीब है न?</div><div>मैं करता रहा,</div><div>खरीददारी,</div><div>तेरे लिये।</div><div>और-</div>

25

जीवन

21 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>चलो ना-</div><div>खत्म करके,</div><div>डर!</div><div>शुरु करें जीवन।</div><div>तुम उड़ो,</div><d

26

एक बात...

26 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>एक बात-</div><div>मेरी सुन लो,</div><div>कभी कभी</div><div>इसे धुन लो।</div><div>ये सही-</div><

27

तुम दोनों...

27 दिसम्बर 2021
1
1
0

<div>तुम दोनों-</div><div>मिलने का,</div><div>कोई भी अवसर,</div><div>नहीं छोड़े।</div><div>हद तो-</di

28

कभी सोचा?

27 दिसम्बर 2021
1
1
2

<div>एक ही,</div><div>जगह पर,</div><div>एक जैसे-</div><div>संबंध के बाद भी;</div><div>अगर-</div><div

29

हे!दिसम्बर..

28 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>तुमसे-</div><div>उदासी! और-</div><div>एक झुँझलाहट!!</div><div>क्यों होती है?</div><div>जब कि-</

30

झूठे हैं...

29 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>कैसे हो?</div><div>ठीक हैं!</div><div>और-</div><div>आप कैसे हो?</div><div>मैं भी,</div><div>ठीक

31

मेरा पता...

29 दिसम्बर 2021
1
0
0

<div>ब्लैक लिस्ट,</div><div>करने के बाद,</div><div>जब-</div><div>कभी भी,</div><div>डायल होगा,</div><

32

दरवाजा

29 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>मत-</div><div>खटखटाओ! </div><div>अब यह,</div><div>नहीं खुलने वाला है।</div><div>वर्षों तक-

33

हार...

30 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div>जानती हो-</div><div>तेरी जिद के आगे,</div><div>हरदम ही-</div><div>मैं हारता क्यों रहा?</div><di

34

परछाई

1 जनवरी 2022
0
0
0

<div>जिन्दगी की,</div><div>शाम!</div><div>होते होते,</div><div>तेरी-</div><div>परछाईं भी,</div><div>छोड़ देगी तेरा साथ।</div><div>यही-</div><div>जो लोग,</div><div>खड़े हैं-</div><div>अभिनन्दन में,</div>

35

तनातनी

2 जनवरी 2022
0
0
0

<div>वही तेवर-</div><div>मनमानापन,</div><div>नाज,नक्शे!</div><div>और-</div><div>मनबढ़ई!</div><div>कुछ भी नहीं बदला,</div><div>आज भी,</div><div>फिर-</div><div>तब यह,</div><div>कैसा नव वर्ष?</div><div>धर

36

तनातनी

2 जनवरी 2022
1
0
2

<div>वही तेवर-</div><div>मनमानापन,</div><div>नाज,नक्शे!</div><div>और-</div><div>मनबढ़ई!</div><div>कुछ भी नहीं बदला,</div><div>आज भी,</div><div>फिर-</div><div>तब यह,</div><div>कैसा नव वर्ष?</div><div>धर

37

बेहाली..

5 जनवरी 2022
0
0
0

<div>मुझे-</div><div>मालूम है, </div><div>कि-</div><div>मैं गुजरा हुआ,</div><div>खयाल हूँ,</div><div>तेरे लिये।</div><div>फिर भी,</div><div>मैंने!</div><div>संजोये हैं,</div><div>आज भी,</div><div

38

संबंधों की ईमारत

5 जनवरी 2022
0
0
0

आज-बेलगाम तुम!संबंधों के,जिस-ईमारत के नीचे,इधर उधर,दौड़रही हो,जानती हो-इसके निर्माण में,न जाने कितनी,ईच्छाओं,मंसूबों और-अपेक्षाओं कीकीमत!चुकानी पड़ी।इसे-बँचाये रखना भी,इसके-निर्माण से कम नहीं।मतलगने दोइ

39

बुँलन्दी

8 जनवरी 2022
0
0
0

बुलन्दियों की,जिस-ऊँचाई पर,आज पहुँची हो,उस तक-पहुँचने की,सीढ़ी!रहा हूँ मैं।आज-तेरे इर्द गिर्द!घूमने वाले-कल तक कहाँ थे?-ओंकार नाथ त्रिपाठी, गोरखपुर, उप्र।

40

राजनीति

8 जनवरी 2022
1
0
2

तेरी-लोगों में,दिलचस्पी;और-लोगों की,तेरे में!कहीं तुम,मेरे-देश की-राजनीति तो नहीं?-ओंकार नाथ त्रिपाठी, गोरखपुर, उप्र।

41

पैसे

9 जनवरी 2022
1
1
0

जिनके पैसों की!तुम- तारीफ करते,नहीं थक रही,जानती हो?उन्हीं-पैसों की गर्मी ने,रिश्तों को-जलाकर,राख कर दी है।-ओंकार नाथ त्रिपाठी,गोरखपुर, उप्र।

42

हिन्दी

10 जनवरी 2022
0
0
0

तुम्हारी-सरलता,तरलता,मिठास,और-सुन्दरता ही,जोड़ता है,एक दुसरे कोदुसरों के,दिलों से।तभी, तो-जीवन रेखा! सी,हो गयी हो-अब, जीवन में।तुम हमारी,संस्कृति के,माथे की बिंदी! ,हाथों में-पूजा की,थाल हो,'हिन्दी'!!-

43

चेतावनी

14 जनवरी 2022
1
0
0

वैधानिक-चेतावनी!रुह की खुराक,प्रेम!!एक जानलेवा,बिमारी है।-ओंकार नाथ त्रिपाठी, गोरखपुर, उप्र।

44

बेबाकपना

15 जनवरी 2022
0
0
0

हाँ-मानता हूँ,मेरी गलती,मेरा-बेबाकपना, तथा-दिल में,मलाल न रखना है।लेकिन,यह मुझसे-नाराजगी की,वजह होगी,इसका भान,मुझे नहीं था।-ओंकार नाथ त्रिपाठी, गोरखपुर, उप्र।

45

जरुरत और जरुरी

15 जनवरी 2022
1
0
0

मैंने-जरुरत, और-जरुरी होने में,फर्क नहीं किया,शायद!यही कारण रहा,मेरे-आहत होते रहने का।सच तो, यही रहा,कि-उन्हें मेरी, जरुरत रही,मैं,उनके लिये, जरुरी नहीं रहा।-ओंकार नाथ त्रिपाठी, गोरखपुर

46

आँखें

16 जनवरी 2022
1
0
0

तुम-मेरीआँखों में,झाँकते ही,समझ गयी मुझे।जब कि-मैं तेरीआँखों मेंझाँकते ही,डूब गया।तेरा समर्पणतुम्हें!बँचालिया,मेरा अहंकारमुझे डूबो दिया।-ओंकार नाथ त्रिपाठी, गोरखपुर, उप्र।

47

भिन्न

19 जनवरी 2022
0
0
0

जब से,हाथ!मिलने की जगह,जुड़ने लगे,तब से,वो-अभिन्न से!!भिन्न हो गये।-ओंकार नाथ त्रिपाठी, गोरखपुर, उप्र।

48

सम्भावनाएं

19 जनवरी 2022
0
0
0

मैं-बहता गया,भावनाओं में;और,तुम-तलाशती रही,सम्भावनाएं।-ओंकार नाथ त्रिपाठी, गोरखपुर, उप्र।

49

तेरे साथ

21 जनवरी 2022
0
0
0

तुम-अपने को,जितना ही दूर,करती गयी मुझसे।मैं पाता गया,उतना ही- नजदीक तेरे,अपने आपको।तेरा-एक कदम,जो मुझसे!दूर चला,मेरा भीकदम उठकरतेरे पीछे पीछेसाथ हो चला।-ओंकार नाथ त्रिपाठी, गोरखपुर, उप्र।

50

घोंसला

22 जनवरी 2022
0
0
0

आज- उदास है मन!घोंसला-खाली जो है?जिसकी-परवरिश में मैंने,वर्षा,शीत और-तपन को,झेला।जिन्हें-पिलाया दूध!!लहू का,वही- खून के,आँसू दे गये।कलतक-थकते थे पाँव!!!हिफाजत में,जिस, परिंदे की,आज-थक र

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए