"सुमित बेटा जल्दी आओ खाना खा लो"
माॅं ने आवाज लगाई ।
"नहीं मम्मी मैं थोड़ी देर बाद खा लूॅंगा अभी मेरी क्लास चल रही है।"
सुमित ने मोबाइल से नजर हटाए बिना अपनी मम्मी से कहा ।
"यह आजकल नया झमेला शुरू हो गया है ऑनलाइन क्लास का। ना खाने का ठिकाना ना कोई टाइम टेबल। स्कूल का कम से कम एक टाइम था। यह ऑनलाइन क्लास मुई!! कभी भी आ धमकती है।"
सुशीला ने बड़बढ़ाते हुए कहा। और किचिन में व्यस्त हो गई।
सुमित 17 वर्षीय लड़का है जो इस साल 11वीं कक्षा में है। पढ़ने में बहुत होशियार है। सुमित की माॅं सुशीला पढ़ी-लिखी ग्रहणी है। सुमित उनका इकलौता बेटा है। सुमित के पिताजी बैंक में नौकरी करते हैं। छोटा और सुखी परिवार है।
"अरे नेटवर्क भी ना !!
कभी सही से पूरी क्लास नहीं ले पाता हूॅं। कभी आवाज सही से नहीं आती तो कभी बोर्ड सही दिखाई नहीं देता और कभी-कभी तो टीचर जी चिपक जाते हैं।"
सुमित झुंझलाता हुआ हाथ में किताबें और मोबाइल लिए छत की तरफ दौड़ लगाता है।
सुशीला ने रोका- " क्या हुआ? कहां भागा जा रहा है सुमित?
"अरे मां नेटवर्क नहीं मिल रहा है कमरे में इसलिए छत पर जा रहा हूं।" सुमित बोला।
"आग लगे इस कोरोना को जब से आया है सब परेशान हो गए हैं। स्कूल बंद है ,पढ़ाई ठप्प और अब यह ऑप्शन निकाला गया है ऑनलाइन क्लासेस । बेचारे बच्चे करें भी तो क्या करें।"
सुशीला चिंतित होकर सोच में डूबी थी इतने में मोबाइल पर मैसेज की ट्यून बजी।
सुशीला ने मोबाइल को उठाया अरे यह तो कुसुम का मैसेज है।
और उसने मैसेज चेक किया। उसमें डोसे का फोटो डला हुआ था, नीचे लिखा था मैंने बनाया था कल छुट्टी थी इसलिए ।
सुशीला ने भी जीभ निकालता हुआ इमोजी चिपका दिया।
कुसुम ने लिखा "और क्या चल रहा है।"
सुशील ने लिखा "इस लॉकडाउन ने तो सबको हलवाई बना दिया है। मैंने भी कल बेसन के लड्डू बनाए थे यूट्यूब पर देखकर।"
"अच्छा फोटो क्यूँ नहीं डाला? " कुसुम ने लिखा।
"भूल गई थी।" सुशीला ने बताया।
" अरे तुम्हें यह भी नहीं पता कि आजकल जो भी बनाया जाता है उसका सबसे पहले मोबाइल पर भोग लगाया जाता है।" कुसुम ने लिखकर हंसने वाला इमोजी डाला।
सुशीला ने भी हंसने वाला इमोजी डाला और मोबाइल साइड में रख दिया और अपने काम में व्यस्त हो गई।
कुसुम, सुशीला की बचपन की सहेली है। वह गवर्नमेंट स्कूल में टीचर है। और सुशीला एक हाउसवाइफ। दोनों ने एक ही स्कूल में पढ़ाई की। एक ही कॉलेज से बीए किया। ग्रेजुएसन के बाद सुशीला की शादी हो गई कुसुम ने कंपटीशन एग्जाम की तैयारी की और उसकी नौकरी लग गई।
सुशीला की शादी के एक साल बाद सुमित हो गया और वो सुमित के लालन-पालन में व्यस्त हो गई। उसने सोचा अगर वो नौकरी करेगी तो सुमित का ख्याल कौन रखेगा। माता और पिता दोनों में से एक का बच्चों के साथ होना अत्यंत आवश्यक है। लेकिन नौकरी करने की चाह उसके मन में कहीं दब कर रह गई थी। जब भी किसी कामकाजी महिला को ऑफिस जाते देखती, उसके ठाट वाट देखती तो कभी-कभी अपने फैसले पर अफसोस होता था।
सुशीला सोच में डूबी हुई थी। सुमित किचन में आया और बोला
"जल्दी से खाना दे दो माॅं भूख लगी है।"
सुमित को खाना परोसने के बाद सुशीला अपने काम में व्यस्त हो गई।
शाम को खाना खाने के बाद राजेश ने कहा "अरे सुशीला आइसक्रीम तो खिलाओ। जो मैं लाया था।"
सुशीला ने कहा " हां हां लाती हूं ।"
और सुशीला फ्रिज में से आइसक्रीम लेकर आई। तीनों ने आइसक्रीम का लुफ्त उठाया ।
"और बताओ बेटा तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है"
राकेश ने सुमित से पूछा।
"हाॅं पापा ठीक चल रही है।" सुमित बोला।
"और 10th में तो कोरोना के कारण एग्जाम ही नहीं हुए थे। सभी को पास कर दिया गया।"
राकेश ने कहा ।
"हाॅं पापा यह तो उनके लिए खुशखबरी है जिन्होंने पढ़ाई नहीं की थी और पास हो गए।" सुमित बोला।
"तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि तुमने बहुत मेहनत की थी।" राजेश ने हंसते हुए कहा
"आपको क्या पता। भले ही स्कूल कोचिंग नहीं खुली थी। सुमित ने अपनी पढ़ाई पूरी मेहनत से की थी।" सुशीला ने सुमित की तरफदारी करते हुए कहा।
सुमित मुस्कुरा दिया ।
"हाॅं हाॅं भाई बहुत पढ़ता है तुम्हारा लाड़ला।" राजेश बोला।
और तीनों ठहाके लगाकर हॅंसने लगे ।
"अच्छा यह तो बताओ बेटा इस साल स्कूल खुलने की कोई न्यूज़ है या नहीं ।" राकेश ने पूछा
"हाॅं पापा सुना तो है खुल जाएंगे।"
सुमित बोला।
"भले ही स्कूल खुल जाए लेकिन तीसरी लहर आने की संभावना है इसलिए मैं तुम्हें स्कूल नहीं जाने दूंगी" सुशीला ने चिंतित स्वर में कहा
"अरे नहीं आएगी तीसरी लहर। न्यूज़ जरा कम देखा करो । " राजेश ने थोड़ा डांटते हुए कहा
" अच्छा " सुशीला मुँह बनाकर बोली।
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खाना खाने के बाद सुमित अपने कमरे में चला गया और व्हाट्सएप ओपन करता है।
" यह कौन है?"
अननोन नंबर से मैसेज आया था।