24 अप्रैल 2022
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मैं तीषु सिंह ‘तृष्णा’ कभी अपनी कल्पना उभारती हूँ, कभी अनुभव निखारती हूँ, कभी खुद के प्रेम में डूबती हूँ, कभी अहसासों में खोती हूँ, कभी खुद में जोश जगाती हूँ, कभी प्रेरणाऐं ढूँढती हूँ, कभी प्रार्थना में डूब जाती हूँ, कभी वेदनाओं का दर्द निभाती हूँ, कभी विचार आँकती हूँ, कभी उम्मीदें विचारती हूँ और अपनी इन्हीं भावनाओं को कविताओं और कहानियों के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत करती हूँ। मैं बहुत बड़ी लेखक या कवि तो नहीं हूँ पर मुझे महसूस होता है कि कविताएँ और कहानियां ही मेरी सोच और कल्पनाओं को शब्दों में पिरोकर आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने एक खूबसूरत माध्यम है। उम्मीद करती हूँ कि मेरी रचनाएँ चाहें वो कविताएँ हों या कहानियाँ आपको पसंद आएंगी। साहित्य से मुझे प्रगाढ़ प्रेम है और साहित्य से जुड़कर मुझे आत्मीय सुख की अनुभूति होती है।D