धनबाद के हीरापुर में स्थित सहाय सदन, झारखंड के MLA शांतिकान्त सहाय का स्थायी पता, सहाय सदन को अगर बाहर से देखें तो सिर्फ ऊँची दीवारें दिखाई देती हैं जिसपे कांटे लगे हैं और काले रंग की लम्बी-चौड़ी गेट है जिसके दोनों तरफ़ गार्ड तैनात हैं। सदन में प्रवेश करते ही खूबसूरत बागान दिखता है जिसके एक कोने में बेंत के सोफे सजे हैं। आज इस हवेली में बड़ा ही खुशनुमा माहौल है, सफ़ेद रंग की शानदार हवेली फूलों से सजी हैं और औरतें शादी के सुरीले गीत गा रही हैं। MLA शांतिकान्त सहाय की बड़ी बेटी शिखा की शादी की तैयारी चल रही है। हवेली की इतनी बारीकी से जिक्र करने का अर्थ यह न समझ लीजिएगा कि इस कहानी के मुख्य पात्र इसी हवेली में रहते हैं परंतु हाँ इस कहानी में इस हवेली की भूमिका ज़रूर महत्त्वपूर्ण है है। शांतिकान्त सहाय के परिवार में उसकी धर्मपत्नी मालती, 32 साल का उनका बड़ा बेटा आलोक और उसकी बीवी मोना, बड़ी बेटी शिखा, छोटी बेटी सलोनी और 12-13 साल का लड़का चन्दन है जो कि घर के काम-काज में मालती जी का हाथ बंटाता है। कोई दो-तीन साल पहले शिखा ने MBA किया और उसके बाद से अपने आलोक भैया के साथ रेडीमेड गारमेंट का व्यापार संभाल रही थी। शादी के बाद भी शिखा का इरादा रेडीमेड गारमेंट्स के इसी व्यापार को वाराणसी में भी जारी रखने का है।
अभी सुबह के 8: 30 बजे हैं, घर परिवार की औरतें शादी के गीत गा रही है और शिखा की भाभी मोना होने वाली दुल्हन शिखा को हल्दी लगा रही है। शिखा नारंगी रंग की कुर्ती में बहुत खूबसूरत दिख रही है। शिखा की बहन सलोनी और माँ मालती भी वहाँ मौजूद है और अपनी लाडली बेटी को हल्दी लगता हुआ देख प्यार से उसे निहार रही है।
‘यह क्या है माँ ? अभी मेरी शादी को 8 दिन है | क्या अभी से ही हल्दी लगानी पड़ेगी पुरे 8 दिनों तक ’ - शिखा ने अपनी माँ से पूछा |
‘हल्दी जितनी ज्यादा लगेगी शादी के दिन रूप उतना ही ज्यादा निखर जाएगा’ - शिखा की भाभी, मोना ने शिखा से कहा |
‘क्या भाभी आप भी !’ - कहकर शिखा हंस पड़ी |
‘शिखा तुम्हारी भाभी बिल्कुल ठीक कह कह रही है’ - शिखा की माँ ने शिखा से कहा |
‘ठीक है माँ’ - शिखा ने मुस्कुराकर माँ से कहा ।
सलोनी (शिखा की छोटी बहन) - दीदी ! ये लो तुम्हारा फोन रिंग हो रहा है ।
शिखा हल्दी की चौकी से उठती है और तौलिए में हाथ पोंछते हुए सलोनी से फोन लेती है ।
शिखा (फोन पर) - हेलो ! !
‘हेलो ! ! शादी की बहुत-बहुत बधाइयाँ |’ -फ़ोन की दूसरी ओर से शिखा की कॉलेज फ्रेंड मौलि बोलती है |
शिखा (फ़ोन पर) (खुश होते हुए) -मौलि ! चुड़ैल ! तुम्हें मेरी याद कैसे आ गई।
‘अरे यार तेरी शादी है, मैं कैसे बधाइयाँ ना देती’ - मौलि ने फ़ोन पर शिखा से कहा
शिखा (फ़ोन पर मौलि से) - मौली बकवास मत कर। कॉलेज से निकलने के बाद तो गायब ही हो गई अब बड़ी मेरी याद आई है तुझे । मुझे तुझ से बात ही नहीं करनी |
‘सुन सुन शांत हो जा, जरा अपना पता भेज इस नंबर पर व्हाट्सएप कर’ - मौलि ने मुस्कुराते हुए शिखा से कहा ।
‘क्यों मेरी शादी पर तोहफा भिजवाना है ?’ - शिखा ने मौलि से पूछा |
‘नहीं मुझे तेरी तेरी शादी में आना है’ - मौलि ने शिखा से कहा ।
शिखा ( खुश होकर) - सच्ची?
मौलि - हाँ बाबा ! एड्रेस भेज कल ही निकल पड़ूँगी ।
शिखा ( एड्रेस भेजते हुए)- (खुश होकर ) एड्रेस भेज दिया चुड़ैल ।
(शिखा खुशी से चिल्ला कर फोन काटती है और ख़ुशी से झूमना शुरु कर देती है और कहती है ।)
शिखा - माँ, सलोनी, भाभी मेरी शादी के लिए मौलि आ रही है कल । मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा ।