एहसास है मुझे,
वह दर्द जो तूने जिया...
वह जख्म जो तुझे ,
दुनिया ने दिया।
एहसास है मुझे,
उस अकेलेपन का..
उस तड़पते दिल का..
जिसे चाह थी,
बूंद भर प्यार की..
परिवार के दुलार की..!
एहसास है मुझे,
उन आंसुओं का..
जो तेरी आंख से बहे..
उस टूटे हृदय का..
उस वेदना का..
उस तड़प का..।
तेरा एहसास,
जो दर्द बनकर,
जख्म के रूप में जिंदा है,
सदा के लिए।
भूल गई हूं मैं जीना,
क्योंकि तेरा दर्द ..
बन गया है मेरा दर्द..!
जो चलेगा साथ ताउम्र,
तेरा एहसास ..!
होता है मुझे,
हर पल हर कदम!
तू नहीं है फिर भी यहीं है।।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक