अक्षर अच्युत चंद्र शिरोमणि
विष्णुवल्लभ योगी दिगंबर
त्रिलोकेश श्रीकंठ शूल्पाणि
अष्टमूर्ति शंभू शशिशेखर।
ॐ प्रणव उदघोष अभ्यंतर
ऊर्जित परम करे उत्साहित
अनादि अनंत अभेद शाश्वत
कण-कण में वह सदा प्रवाहित।।
अज सर्व भव शंभू महेश्वर
नीलकंठ हे भीम पिनाकी
त्रिलोकेश कवची गंगाधर
परशुहस्त हे जगद्वयापी
ॐ निनाद में शून्य सनातन
है ब्रह्माण्ड समस्त समाहित
अनादि अनंत अभेद शाश्वत
कण-कण में वह सदा प्रवाहित।।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक