नैना अपने आँखें खोलती है और अपने काले- काले आखों को गोल - गोल घूमते हुए एक तरफ सोए हुऐ अपने पापा को देखती है और दूसरी तरह अपनी माँ जो अपना एक हाथ बेड के किनारे पालकी को झुलाने वाला पालकी के डोर को पकड़े सो रहीं हैं।
फिर नैना बेड पर उठ कर बैठ जाती हैं और अपने छोटे - छोटे हाथों की आगे करके अपने पापा का हाथ पकड़ कर हिलाने लगती हैं और नन्ही आवाज़ निकालते हुए डैडी,डैडी,डैडी बोलते हुए अपने पापा को जगाने लगती है।
नैना के पापा जो गहरी नींद में कही खोये हुये थे अपने बेटी की आवाज़ सुन कर, अपने आखें बंद किये हुऐ ही हाथों को अपनी बेटी की पीट थपथपाते हुये कहते है,"सो जा बेटा आधी रात हो चुकी हैं "।
तब नैना कहती हैं, "डैडी मुझे नहीं सोना मुझे कहानी सुनाना हैं "।
पीट थपथपाते हुये ही नैना के पापा कहते है, "बेटा कहानी कल सुनना दूँगा अभी आप सो जाऊँ"।
नैना अपने डैडी की बात सुन कर मुँह फुलाते हुऐ कहती है, "नहीं डैडी नहीं मुझे अभी कहानी सुनी है सुनी है"।
नैना के पापा अपनी बेटी को इस तरह से चिलाते देख झट से आखों को खुलते हैं और नैना के मुँह पर हाथ रखके धीरे से अपनी बेटी से कहते है, "बेटा आप इस तरहा चिलाते रहोगे तो आपकी माँ जो बड़े मुस्किल से यस को चुप करके सुलाया है आप दोनों को जगा दोगे"। नैना के पापा ये कहते हुए अपनी बेटी को गोध में उठाये हुऐ कमरे से लेकर ड्रॉइंग रूम से सोफ़े में अपनी बेटी को गोद में लेकर बैठाये हुऐ ही
बैठ जाते हैं।
नैना के पापा सोफ़े में बैठकर आपनी बेटी से प्यार से पूछते हैं ,"बेटा आपको क्या कहानी सुनी हैं बताओं "।
नैना अपने डैडी की यह बात सुन कर खुशी से अपने छोटे- छोटे हाथों से ताली बजाते हुए कहती है, " मेरे प्यारे डैडी "।
अपनी बेटी की यह बात सुन कर मुस्कराने लगते है और पीट थप - थप्पते हुऐ कहते है, " आपको किसकी कहानी सुनाना हैं ,खरगोश और कछुआ की या काले कौवे की कहानी सुननी है" ।
नैना अपने सर को मारते हुए कहती हैं, "ऑफ ओह! डैडी यह कहानी तो मैं बचपन में सुनाना करती थी। अब मुझे अब नई कहानी सुनी हैं "।
मुस्कराते हुए नैना के पापा कहते है, "बेटा आप सिर्फ 6 साल की हो, (नैना के गाल खिचते हुए)अभी तो आपकी बचपन सुरू हुई है और मेरी बिटिया कहती,है खरगोश और कछुआ की कहानी बचपन में सुनाना करती थी" ।
नैना अपने पापा को गोल- गोल आखों से घूरते हुई कहती है, "डैडी नैना अब बड़ी हो गई हैं क्योंकि नैना अब दीदी बन चुकी हैं अब मेरे पास छोटा भाई हैं"।
नैना की एसी बात सुन कर नैना की पापा को समझ नहीं आ रहा था कि रिएक्ट कैसे करे हँसे या क्या कहे।
नैना अपने पापा को चुप देख कहती है,"डैडी ,डैडी नई कहानी सुनाओ ना डैडी"।
तब नैना के पापा कहते है, "ठीक हैं, आपके डैडी आपको नई वाली कहानी सुनाई गई"।
ठाकुर गाँव में एक मास्टर जी रहते थे जिनका नाम था अरविंद कुमार । उनके घर में आज मानों महिलाओं को जमावड़ा ही लगा हुआ था। आगन में चाकर काटते मास्टर जी घबराई हुए अपने घर के बंद पड़े दरवाज़े को देखते कभी आखें बंद अपनी दुर्गा माँ को याद करते।
वही खटये पर बैठे मुन्शी लाल मुहँ में पान टूसे मास्टर जी को देखते हुए कहते है, "मास्टर जी कहे चिंता कर रहे हैं सब ठीक हो जायेगा मुन्ना गया है ना आपनी फट- फटया लेकर गया है ना डॉक्टर साहिबा को लेने के लिए"।
मुन्शी लाल अपनी बात खत्म करता की तभी मुन्ना की फट- फटया की आवाज़ आती हैं, सभी लोग फट- फटया की आवाज़ की तरह दिखते हैं,तो दिखाई देता है मुन्ना अपने फट- फटया में डॉक्टर साहिबा अपने पीछे बैठाये लेकर आता हुआ दिखाई देता है।
धन्यवाद
आगे की कहानी अगले एपिसोड में ।