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amanrachna

amanrachna

मै ज्यादा अनुभवी नही हू ब्लकि एक उदित रचनाकार हू मैने कुछ कविताऐ लिखी थी जिन्हे अब मै इस आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से प्रकाशित करूंगा इस साइट के निर्माता को कोटि कोटि प्रणाम

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सुहानी जिंदगी

11 सितम्बर 2017
1
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जिंदगी सुखद और आँसुओ की धार है ये कितनी मनमोहक और कितनी उदार है जीना तो चाहते है सभी इस जिंदगी को पर समझता नही कोई कि इसमें कितना प्यार हैकभी पगडंडियों पर चलते थे गिरते और फिसलते थे कर लक्ष्य पूरा अपना अपनी जिंदगी भी मेहरबान है जीवन का कर्म समझाे जीवन का मर्म

नादान परिंदे

10 सितम्बर 2017
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ऐ नादान परिेदे तुझे चलना ही होगा गिर गिरकर उठना और संभलना ही होगा रुकावटें आऐंगी तेरे रास्ते में बहुत सी लोग टोकेंगे तुझे रोकेगें तुझे फिर भी ना हार मानो तुम तुम्हें संघर्ष पथ पर चलना ही होगा माना लाख तारें हैं आसमा में मगर लेकिन तुम्हें चाँद सा चमकना ही होगा जिस दिन सफल होगें तुम

वीरो की धरती

10 सितम्बर 2017
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आओ हम चले वहा जहा पर वीर अनेक हुए गांधी सुभाष टैगोर और रानी ललछमी जैसे नेक हुएआओ हम चले वहा जहा पर वीर अनेक हुए मरू की भूमि पर देखो लहू के रंग बहे एक लहू था काला सा और एक अवरक्त बहे राणाप्रताप औरमानसिंह जैसे बाहुबली थे हुए सुख की शैय्या छोड़ और

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