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सुहानी जिंदगी

11 सितम्बर 2017

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जिंदगी सुखद और आँसुओ की धार है

ये कितनी मनमोहक और कितनी उदार है


जीना तो चाहते है सभी इस जिंदगी को

पर समझता नही कोई कि इसमें कितना प्यार है


कभी पगडंडियों पर चलते थे गिरते और फिसलते थे

कर लक्ष्य पूरा अपना

अपनी जिंदगी भी मेहरबान है


जीवन का कर्म समझाे जीवन का मर्म समझाे

जिंदगी देती है मौका ये कितनी समझदार है


बचपन से लेकर अब तक उठे अनेक सवाल है

इन सवालो की तन्हाई देखो इनका भी ना कोई पुरसाहाल है


जिंदगी कटती रहेगी आगे बढती रहेगी

इसमे सुख भी है और दुख भी है

अनेक मनमोहक तरंग उत्कल जिंदगी का प्रसार है


यही जीवन का सार है

जिंदगी सुखद और आँसुओ की धार है

ये कितनी मनमोहक और कितनी उदार है ।

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

अच्छी पंक्तियाँ हैं , अमन जी |

12 सितम्बर 2017

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रचनाएँ
amanrachna
0.0
मै ज्यादा अनुभवी नही हू ब्लकि एक उदित रचनाकार हू मैने कुछ कविताऐ लिखी थी जिन्हे अब मै इस आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से प्रकाशित करूंगा इस साइट के निर्माता को कोटि कोटि प्रणाम
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नादान परिंदे

10 सितम्बर 2017
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ऐ नादान परिेदे तुझे चलना ही होगा गिर गिरकर उठना और संभलना ही होगा रुकावटें आऐंगी तेरे रास्ते में बहुत सी लोग टोकेंगे तुझे रोकेगें तुझे फिर भी ना हार मानो तुम तुम्हें संघर्ष पथ पर चलना ही होगा माना लाख तारें हैं आसमा में मगर लेकिन तुम्हें चाँद सा चमकना ही होगा जिस दिन सफल होगें तुम

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सुहानी जिंदगी

11 सितम्बर 2017
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जिंदगी सुखद और आँसुओ की धार है ये कितनी मनमोहक और कितनी उदार है जीना तो चाहते है सभी इस जिंदगी को पर समझता नही कोई कि इसमें कितना प्यार हैकभी पगडंडियों पर चलते थे गिरते और फिसलते थे कर लक्ष्य पूरा अपना अपनी जिंदगी भी मेहरबान है जीवन का कर्म समझाे जीवन का मर्म

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