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वीरो की धरती

10 सितम्बर 2017

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आओ हम चले वहा जहा पर वीर अनेक हुए गांधी सुभाष टैगोर और रानी ललछमी जैसे नेक हुएआओ हम चले वहा जहा पर वीर अनेक हुए मरू की भूमि पर देखो लहू के रंग बहे एक लहू था काला सा और एक अवरक्त बहे राणाप्रताप औरमानसिंह जैसे बाहुबली थे हुए सुख की शैय्या छोड़ और काटो पर निकल पड़े ऐसे अवध के रामलखन थेजिनके दर पर हम है खड़े आओ हम चले वहा जहा पर वीर अनेक हुए दे दी सारी कुर्बानी उसने औरअपनी आन . म नमामान को बचाया था वह थी रानी अवंतीबाई जिसने गोरो को खूब छकाया था राणा का चेतक भी कम ना था जिसने युद्ध मे हिस्सा पाया था आओ हम चले वहा जहा पर वीर अनेक हुए आजादी की लड़ाई मे राजगुरु और भगत ने भी शीश गवाया था यह सब भारत माता के बहुत ही प्यारे और दुलारे थे जिन्होंने आजादी की लड़ाई मे लड़ने का शुभ अवसर पाया था गुरू नानक कबीर और तुलसी जैसे संत अनेक हुए हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ईसाई अनेक अनेक थे पर सब एक हुए आओ हम चले वहा जहा पर वीर अनेक हुए आर्यावर्त और भारतखण्डे नाम अनेक हुए ऐसा है मेरा भारत जहा बहुवीर सपूत हुए आओ हम चले वहा जहा पर वीर अनेक हुए

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