1 नवम्बर 2022
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कुछ लम्हे ऐसे होते है वो कभी भूले नही जाते हैं। जिंदगी भर के लिए खुशी के पल बन जाते है । वो लम्हे हम ना किसी को बता कर पाते है। ना कोई शब्द बया कर सकते हैं। ऐसे पल दिल में एक यादगार के पल दे जाते है।D
आज के समय में एक घर को संभालना ही सबसे बड़ी तपस्या हैं। घर तो सभी के होते हैं। अगर उसमें प्यार एकता और अपनापन ना हो तो वो घर नहीं होता है और ना ही एक परिवार कहलाया जाता है। उसे क्या नाम से जाना चाहिए वो में नहीं जानती। बस वो एक घर नहीं कहाँ जा सकता। ये परिवार को एक घर और परिवार को लेकर एक साथ घर की आने वाली पीढ़ी करती है। पर आज की पिढ़ी घर को सभालने की जगह बेखती जा रही हैं। अपनी जिम्मेदारी से भाग रही हैं। उन्हें तो बस उचाई को छूना है। घर में कुछ भी हो कोई फर्क नहीं पड़ता। शायद ही दुबारा वो सब लोटे। अब घर, घर नहीं चुनौती का सबसे बड़ा अभिशाप लगने लगा है। एसी सस्कृति और संस्कार पर धिकार हैं।
1 नवम्बर 2022