मीत हो मनका मीत पिया हो मन का
जी ऐसा पी हो मन का
चाह रही यही सदा
ऐसा हो मीत मन का,
मैने निभाए अपने हर रिश्ते बड़ी
शिद्दत से हा बड़ी ही शिद्दत से
नही मुझे चाह हाथो मै लिए हाथ
तुम संग घूमो बाग बगीचे हाट बाजार,
पर
करती आशा तुम से
लौट जब तुम आओ हर
शाम दफ्तर से ,
जरा पूछ लिया करो
कैसी हो तुम बस मुस्करा भर दिया करो ।
होगा पूरा दिन मेरा
यह छोटी सी लिए आशा ।
हा मुझे है पता जिम्मेदारी भरा कार्यक्षेत्र तुम्हारा,
पर
मेरा भी तो काम कोई आसान नही
इसका रखना होगा ख्याल तुम्हे
मुझे परवाह मेरे सारे रिश्ते नाते की, कांधे ली जिम्मेदारी मैने घर संसार की,
तुम्हे यह भी मानना होगा ।
पर
करती क्या दिनभर करा क्या तुमने आजतक ?
तुम्हे यह न जतलाना होगा
जीवन के अनछुए पल
एकांत मै ही सही कह दिया करो
कभी तो कह दिया करो
चाहु मै तुम से
अच्छा हुआ तुम मिली जीवन मै
मुझे जतला दिया करो ,
सुन सफल होगा जीवन मेरा
जी उठूंगी मै ।
करेंगे जीवन मै संचार जीने के लिए ,
यह तुम्हारे दो शब्द प्यार भरे ।
मीत हो मन का
चाह चांद तारो की नही
पर
बस कह दो तुम
काम करते देख पल भर को
कह दो बस एक बार
बैठ जाओ पास मेरे,कहो तुम
तुम थक गई होगी
सुन खुश मै पल भर हो लूंगी
जरा इतरा मै लूंगी ,
नाज खुद पर मै कर लूंगी ।
खुशियों भरा संसार मेरा
दो शब्द मीठे सुन मन प्रसन्न होगा
सज सवर जायेगा जीवन मेरा
मीत हो मन का ,
मीत हो मन का,