भोर भयी रे अब तो उठ जा दिनचर आया आलस त्याग कुछ तो काम कर। ऐसै अपनी किस्मत को कब तक बोलेगा। खुद आलसी बना 10 बजे तक सोता है। फिर क़िस्मत को रोता है। कैसा अजीब इसान है। तू रोता भी खुद है। और कोशता भी खुद है भोर भयी अब तो जाग जा रे बदें
भोर भयी रे अब तो उठ जा दिनचर आया आलस त्याग कुछ तो काम कर। ऐसै अपनी किस्मत को कब तक बोलेगा। खुद आलसी बना 10 बजे तक सोता है। फिर क़िस्मत को रोता है। कैसा अजीब इसान है। तू रोता भी खुद है। और कोशता भी खुद है भोर भयी अब तो जाग जा रे बदें