मैने ये दुनिया ज्यादा देखी तो नहीं और ना ही इतनी समझ हैं। क्या अच्छा है और क्या नहीं। इस लिए में किसी को सलाह नही अधिकारी हूँ। कि कुछ समझा सकू फिर भी खामोशी को तोड़ना भी जरुरी होता है तो जब मन करता है लिख देती हूँ। मैं कहाँ तक सही हू ये भी नहीं जानती । ये आप सभी मेरा मार्ग दर्शन कर सकते हो ।बस इतना जरूर बताना चाहती हु की किसी की खामोशी को गलत नहीं समझना।