जिन्दगी का अब कोई मोल नहीं रह गया है। बेहतरीन जिन्दगी के लिए सब केवल पैसों के लिए खुद को किसी भी कीमत में ऊचा उठाने के लिए हर कोई हर किसी का विश्वासघात कर रहा है। किसी को नहीं की कुछ दिन की ज़िन्दगी हैं सब के साथ खुशी से बिता ले। नहींये सोच तो पैसों के लिए है। पैसा हैं तो ख़ुद खुशहाल हैं। पर ऐसा नहीं है। ये दुनिया कलयुगी दुनिया हो गई है। पहले जितनी थी अब भी जिंदगी उतनी है चार दिन कि बस अब देखने और जीने का तरिका सीखा रही हैं जिंदगी।
किसी को जि़दगी जीना आ गया तो किसी को पैसा सहेजा आ गया।
जिनको पैसा कमाने आ गया वह हर पल जि़दगी को पैसे मे तोल रहे है और जिनको जिंदगी का असली उदेश्य पता चला वो पैसो में खुशी नहीं जिंदगी में खुशी ढूँढ रहे हैं। पर आज के युग में दोनों बराबर है। बिना पैसे कुछ नही ।जिंदगी किसने देगी है।
पैसा हैं तो ख़ुद खुशहाल है और जि़दगी में अपने आप ही खुशी होती हैं। कलयुग में अनुभव यही कहता हैं।