आंसू भी बहाता आंसू
घड़ियाली आंसुओं की वारिश में
सच्चे दिल से निकला
दिल की आवाज सुनाता
खुशी या गम के पल बताता
वह एक आंसू
कहाँ खो गया
पता ही न चला
घड़ियाली आंसुओं के समंदर में
क्या बिसात
एक अश्रु विंदु की
बह गया
नजर न आया
कभी श्री राम की आंखों से निकले अश्रु
कब दिखे थे
अश्रु बह रहे मर्यादा बनाने को
पतिव्रता पर आरोप लगाने को
कितने अश्रु बहे थे
झूठ मूठ के
समाज सुधारकों के
धर्म रक्षकों के
धर्म के मूल श्री राम के अश्रु
बह गये, नजर न आये
कभी कर्तव्य पथ पर चलते श्याम
रो भी लिये होंगें
प्रेम किया था राधा से
कोई खेल न था
कभी दिखे तो नहीं
आंसू बहुत बह रहे थे
मान और अपमान के
वर्चस्व बनाने को
एक अश्रु विंदु श्याम की
बह गयी, नजर न आंयीं
आतंकवादियों के खात्मे पर
अब भी बहते अश्रु
मानवाधिकार की दुहाई में
कितने अश्रु बहते
सैनिकों के आंसू
सचमुच बह जाते
अश्रु यथार्थ के नहीं दिखते
बह जाते हैं
वर्चस्व स्थापित करने को
नीचा दिखाने को
झूठ फैलाने को
विवाद बढाने को
आंसू नहीं बहते
बहतीं हैं आंसुओं की दरिया
सचमुच का आंसू
कहीं छिप
बहाता खुद आंसू
सच है
आंसू भी बहाता आंसू