अश्रु तो निकलते मुझको भी
मैं बहाता नही
मन होता रुदन को मेरा
मैं रोता नहीं
अश्रुओं को क्यो बहा दूं नीर सम
मन सीप में रख बना लूं मोती
रुलाने बालों, शुक्रिया आपको
मोतियों का ढेर तैयार हुआ
आंसुओं को बहा देता तो क्या होता
उनका मोल भला कौन जानता
4 जुलाई 2022
अश्रु तो निकलते मुझको भी
मैं बहाता नही
मन होता रुदन को मेरा
मैं रोता नहीं
अश्रुओं को क्यो बहा दूं नीर सम
मन सीप में रख बना लूं मोती
रुलाने बालों, शुक्रिया आपको
मोतियों का ढेर तैयार हुआ
आंसुओं को बहा देता तो क्या होता
उनका मोल भला कौन जानता
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कहानी, लघुकथा और कविता लिखता हूँ । अभी इस मंच को नवीन रचनाएं नहीं दे रहा हूँ। D
बहुत खूब
22 सितम्बर 2022