मैं एकांत चाहता हूं
कभी मैं एकांत चाहता हूं
कुछ देर ही सही
खुद को ढूंढना चाहता हूं
इस भीड़ में दोड़ते दोड़ते
कितनों को देखता रहता
मै खुद कहाँ हूं
खुद को देखना चाहता हूं
सभी की ताकत और कमजोरी
जानने से क्या होगा
खुद की क्या ताकत
क्या है कमजोरी
जानना चाहता हूं
इस चोले को खुद समझता
पर लगता न सत्य पूर्ण मुझको
चोले में छिपा मै हू कहाॅ
उस मैं को देखना चाहता हूं
अब मैं एकांत चाहता हूं
खुद को तलाशना चाहता हूं