मैं स्त्री हूं
मर्दों का तो काम
यों ही कह देना
कुछ भी बोल देना
मैं भी मर्द हूं
पर कह सकता हूं
आसान नही स्त्री बनना
स्त्री नाम त्याग का
स्त्री पर्याय ऊंचाइयों का
दया, ममता, करुणा,
अहिंसा, सच्चाई,
वीरता, साहस
और भी न जाने गुण कितने
जब मिलते
तब स्त्री बनती है
मैं स्त्री तो नहीं
पर चाहता बनना स्त्री
सोचता हर रोज
थोड़ा स्त्री बनता जाऊं
हस लो हसने बालों तुम भी
पूर्णता मानव की
है सच न पुरुष बनने में
स्त्री पूर्ण निर्माण विधाता का
कोई काम नहीं जो स्त्री कर न सके
और मर्द के लिये संभव नहीं
हर काम स्त्री का कर पाना
फिर पूर्णता का ख्याल मेरा
पूर्णता स्त्री बनना है
इसीलिये बेझिझक
मैं स्त्री बनना चाहता हूं
कोशिश कर रहा
अभी अपूर्ण हूं
स्त्री बनने की कोशिश मेरी
होगी कब पूर्ण नहीं पता
पर सच है
मैं स्त्री बनना चाहता हूं
दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'