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आंसुओं की बारिश

24 नवम्बर 2022

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एक लड़की थी जिसका नाम अनु था वो अपने घर में बच्चों में बड़ी ही थी लेकिन इतनी उम्र भी नहीं हुई थी कि जिंदगी का हर फैसला कर सके। उसके पापा प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करते थे। मम्मी घर का काम करती थी। यूहीं एक दिन स्कूल से आते वो एक दुकान में कुछ सामान लेने लगी। उस दुकान में जो लड़का बैठता था, वो अच्छे और सम्पन्न घर का था। वो अपने बाप की कमाई से नहीं बल्कि अपनी मेहनत की कमाई से अपने सपनों को पूरा करना चाहता था। इसी वजह से उस लड़के ने एक दुकान खो ली थी। जब अनु उस दुकान से सामान ले रही थी, तभी उस लड़के की नज़र उस पर पड़ी। ना जाने से क्यों ऐसा लगा कि वो जिसे ढूंढ रहा था, वो उसे मिल गया। बहुत खुश हो गया था वो। जब से अनु सूरज की जिंदगी में आई तब से उसकी जिंदगी में बेहद खूबसूरत उजाला होने लगा। अक्सर जब अनु को जरूरत होती, वह उस दुकान से सामान ले आती। एक दिन समान लेते लेते उसकी नजर सूरज पर पड़ी तो देखा कि वो उसे एकटक देखे जा रहा है, अनु के ऐसा करने की वजह पूछी तो सूरज ने कह ही दिया कि मुझसे दोस्ती करोगी। आगे उसने कहा मैं जिसे ढूंढ रहा था वो मिल गया अब मुझे कुछ नहीं चाहिए।
सूरज की ये बात उस दिन तो अनु की समझ मे नही आई 
लेकिन दोस्ती के बाद जब अनु और सूरज मिलने लगे तो दोस्ती की नजदीकियां प्यार के एहसास में बदल गईं और अनु को भी लगने लगा कि बेशक़ जिसकी तलाश में वो जिंदगी के सफ़र में चली जा रही थी, उसकी मंजिल सूरज ही है। इतना ज्यादा उसे प्यार करने वाला शायद ही कोई बना होगा। दोनों की जिंदगी इंद्रधनुषी खुशियों से सजी हुई थी। लेकिन ऐसा हमेशा के लिए किस्मत ने सजा कर नहीं रखा था। शायद इसीलिए अनु की जिंदगी में उलझनों और नफ़रतों की आंधियां चलने लगीं। 
अनु के घर वालों को सूरज के बारे में पता चल गया और तब से अनु के घर वाले अक्सर सूरज को बुरा भला कहते रहते। इतना ही नहीं अनु और सूरज को अलग करने के लिए अनु के घर वालों ने सख्त पहरा लगा दिया। ना जाने किस वजह से सूरज का दिमाग सही निर्णय लेने में खुद को असहाय मानने लगा था, इसी वजह से वो अनु के दिल में खुद के प्रति नफरत भरने लगा। जिसने वाकई प्यार किया हो, उसके दिल मे कभी नफ़रत हो ही नहीं सकती। 
दिन गुज़र रहे थे खुशी और दर्द के झूले में। अनु के घरवालों ने अनु का खाना पीना अलग कर दिया था लेकिन इतनी मुश्किलें होने के बाद भी उसने कभी उफ़ तक नहीं की। वो जानती थी सूरज हर दर्द के अंधेरे को ख़त्म कर देगा। इसी उम्मीद के सूरज के भरोसे वो हर दर्द को सहती जा रही थी। इसी तरह प्यार और उलझनों के बीच झूलती जिंदगी के साथ अनु अपनी मंज़िल का सफ़र तय करती का रही थी।
जब भी सूरज का दिल कुछ खाने को कहता, अनु ख़ुद भले एक वक्त रूखा सूखा खा लेती थी लेकिन सूरज को उसकी पसन्द की चीज बनाकर जरूर खिलाती थी। जैसे जैसे सूरज का जन्मदिन नजदीक आ रहा था, अनु उसे यादगार बनाने के लिए रुपये जोड़ने लगी। वो दिन भी आ गया जब अनु का इंतज़ार ख़त्म होने वाला था और अनु ये सोच कर बेइंतहा खुश हो रही थी कि कल वो अपनी चाहत को उसके जन्मदिन पर नायाब तोहफा देकर उसके इस प्यार भरे और खास दिन को यादगार बना देगी।
इधर किस्मत ने कुछ और ही तय कर रखा था सूरज और अनु  की जिंदगी में। सूरज का जन्मदिन उसकी जिंदगी का सबसे खास दिन था जिसमें सूरज के साथ उसकी चाहत अनु के लिए बेइंतहा खुशी का दिन था लेकिन क़िस्मत ने सूरज के इस खास दिन को उसका आखिरी दिन बनाने के लिए सोच रखा था और अनु को ताउम्र जिंदगी भर के लिए बेइंतहा दर्द देने के लिए अनु से उसकी चाहत को दूर करना, क़िस्मत की सोची समझी साजिश थी, शायद इसीलिए अनु महफ़िल को और भी खूबसूरत बनाने के लिए जो फूल लेकर गयी थी वो उसकी अर्थी सजाने के काम आये। जन्मदिन की रात सूरज सो तो गया लेकिन अगले दिन की प्रकृति की खूबसूरती नहीं देख पाया। भगवान ने एक खूबसूरत दिल को अपनी दुनिया में रौनक बढ़ाने के लिए रख जो लिया था। अगली सुबह सूरज इस दुनिया का नहीं बल्कि भगवान के घर का बाशिंदा बन चुका था। जब अनु को सूरज के अलविदा होने की खबर मिली तो ऐसी हालत हो गयी कि काटो तो खून नहीं। अनु ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भगवान उसके साथ इतना बड़ा धोखा करेंगे। इतनी जल्दी उसकी चाहत का सूरज हमेशा के लिए अस्त हो जायेगा। आंखों से आँसुओं की बारिश में अनु हर रोज भीगती है और तड़पती रहती है। आंसुओ से भरी आंखें हर रोज हजारों सवालों के साथ ऊपर वाले की तरफ उठती हैं लेकिन फिर आंखे बैरंग आंसुओ के बोझ तले गिर जाती हैं। दर्द से भिगोने के लिये उसकी जिंदगी में आंसुओं की बारिश का मौसम हमेशा बना रहता है।
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रचनाएँ
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प्रस्तुत पुस्तक में लेखक की गद्य रचनाओं को प्रकाशित किया गया है। सभी रचनाओं पर लेखक का कॉपी राइट है।
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