वो शाम एक अजीब सा एहसास लेकर आई थी जब अंकित प्यार में धोखा पाकर इतना टूट गया कि उसे जीने से नफ़रत होने लगी। एक वीरान खंडहर में बैठे बैठे उसका दर्द भरा अतीत उसकी आँखों से आँसू बनकर बह रहा था। कब दोपहर से शाम हो गई और आँधियों के साथ घने बादलों ने बरसते पानी के बीच चमकती बिजली की गड़गड़ाहट से दिल को झकझोरने लगे। धीरे धीरे कब रात के अंधेरे ने अंकित को अपनी आग़ोश में भर लिया, उसे पता ही नहीं चला। उस सुनसान खंडहर में एक अनजाने डर से अंकित की सांसें अटकी जा रही थी, उसे प्रकृति की सामान्य घटना भी किसी जादूगर का जादुई खेल लग रहा था। जब धीरे धीरे चक्रवाती तूफान थमने लगा तो अंकित ने राहत की सांस ली, उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई बादलों को कहीं और बरसने के लिए भेज रहा हो। उस पूनम की रात में दूध से उजाले में भीनी भीनी ख़ुशबू का अपने चारों तरफ फैल जाना जैसे अंकित को एक नई अनोखी दुनिया मे ले गया हो। जब तक अंकित कुछ समझ पाता उसने देखा कि पूनम के चाँद से उजली चाँदनी के रथ पर सुर्ख लाल वस्त्रों में बैठी एक खूबसूरत परी उसके पास चली आ रही है। उसे यकीन नही हो रहा था कि वो जागती आंखों से कोई सपना नहीं बल्कि बेहद खूबसूरत उस हकीकत से रूबरू हो रहा था जिसके लिए ना जाने कितने जनमों तक कठोर तप करना पड़ता है। यूँ उस परी को सामने मुस्कुराते हुए देखकर अंकित उसे अपनी बाहों में भर लेना चाहता था, शायद परी भी ख़ुद चाहती थी इंसानों की दुनियां से दिल का रिश्ता जोड़ना, इसीलिए वो धरती पर आई थी और संयोग से उसे एक जरूरतमंद इंसान भी मिल गया। वो सच्चे प्यार के रिश्ते की तलाश में थी, जो जिस्म, दौलत से नहीं बल्कि दो रूहों के मिलने से होता है, यूँहीं आपस में मिलते ही सच्चे प्यार का एहसास हुआ और परी अंकित को अपने साथ उसे अनोखी दुनियां की सैर कराने के लिए ले गई। परी का हाँथ थामते ही अंकित को लगा जैसे वो इंसानों की दुनियां से दूर परियों के संसार में चला गया हो और सारी दुनियां की खुशियां उसकी बाहों में भर गई हो। अब अंकित उस दुनियां से फिर वापस नहीं आना चाहता था, आख़िर अंकित को अनोखी चाहत जो मिल गई थी।
Durga Prasad Singh (Durga Krishna) की अन्य किताबें
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जीवन परिचय - हिंदी सिनेमा में बतौर फ़िल्म/गीतकार काम कर रहें हैं दुर्गा प्रसाद सिंह ( दुर्गा कृष्णा ) का जन्म 2 नवम्बर 1985 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था जिसे वीरता, कला, संस्कृति, आध्यत्मिकता और हिन्दी साहित्य में अमूल्य योगदान के लिए जाना जाता है। इन्हें कला व सांस्कृतिक सम्मान - 2021 से भी सम्मानित किया गया। इनके प्रपितामह स्व. बजरंग सिंग व पितामह स्व. भारत सिंह लम्बरदार थे, इनके पिता स्व. उदय वीर सिंह एडवोकेट ने भारत सरकार के कई महत्वपूर्ण पदों को शुशोभित करते हुए कई अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस व सेमिनार में अपने देश का प्रतिनिधित्व भी किया। इनकी माता स्व.आशा सिंह ( मैनेजिंग डायरेक्टर ) ने सभी उत्तरदायित्व बड़ी कुशलता से निभाया।
दुर्गा कृष्णा ने कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक और लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की। LLB के बाद लखनऊ में PCS (J) की कोचिंग की। अपने पिता के साथ विधि व्यवसाय में बतौर सहायक के रूप में रहकर 10 वर्षो तक कई गवर्नमेंट कारपोरेशन जिसमें IOC, UPSIDA प्रमुख हैं। CIAC, ICA अधिकरण न्यायाधीश (आर्बिट्रेटर), पी.वी.ए.जुगलर हॉक इंडस्ट्रीज प्रा.लि. JS इंडस्ट्रीज। बाद में इन्होंने नई दिल्ली में फर्स्ट नेशनल कॉन्फ्रेंस ODRM में प्रतिभाग किया। पर्यावरण और जीवों के संरक्षण हेतु कई संस्थाओं के साथ काम किया जिसमें इंग्लैंड की BHA UK, मेनका गांधी की PFA, SAWEP प्रमुख है। NIAW (हरियाणा) से ट्रेनिंग की। इनकी माता का स्वर्गवास 22 मार्च 2021 को और पिता का स्वर्गवास 25 अगस्त 2021 हो गया। गीत, संगीत और लेखन का गुण ईश्वरीय वरदान स्वरूप इन्हें प्राप्त हुआ। इन्होंने एक हिंदी फीचर फिल्म में बतौर सहनिर्माता काम किया। अंशी फिल्म्स व फ़ेमस म्यूजिक एंड इंटरटेनमेंट में बतौर सह निर्माता, गीतकार काम कर रहें हैं। दुर्गा कृष्णा की रचनाओं में दुनिया का हर रंग देखने को मिलता है। इनकी रचनाओं में इनके अनुभवों की झलक मिलती है।D