अंग्रेजी हुकूमत के समय भारत देश में एक रियासत के राजा थे। बहुत धन समृद्धि थी उनके परिवार में। काफी समय बाद उनके घर में एक लड़का हुआ जिसका नाम उन्होंने राम सिंह रखा। जब उनका लड़का 5 साल का हो गया तभी अचानक उन दोनों का देहांत हो गया।
उन दोनों का देहांत हो जाने के उनके सम्बन्धियों ने सब कुछ अपने कब्जे में कर लिया और रामू को घर से बाहर निकाल दिया।
अब रामू अपनी जिंदगी को कैसे गुजारेगा। यह बात उसे सताने लगी फिर छोटे से बच्चे को इस तरह देखकर गांव वाले उसे खाना खिला दिया करते थे इस तरह धीरे धीरे रामू युवावस्था में पहुंच गया। स्वस्थ मजबूत कद काठी वाला रामू सारे गांव की वक्त जरूरत काम पर मदद करने लगा, इस तरह रामू और उसके गांव वालों का काम चलता रहा।
उसी गांव में एक आदमी रहता था जो दूसरे प्रदेश में ठेकेदारी का काम करता था जब उसने रामू को देखा तो उससे कहा कि क्या तुम मेरे साथ बाहर काम करने चलोगे रामू को भी पैसों की जरूरत थी, उसने उस आदमी के साथ चलने के लिए हामी भर दी और वह ठेकेदार रामू को लेकर चला गया। वहां रामू बहुत सा काम अकेले ही करने लगा, यही सब सोचकर वह ठेकेदार उसे अपने साथ मध्य प्रदेश में ले आया था। एक दिन वहां ठेकेदारों का काम देखने अंग्रेजी कंपनी का मालिक आ गया। उसने देखा कि एक युवक अकेले इतना काम करने में सक्षम है जितना कई लोग मिलकर कर सकते हैं उसने ठेकेदार से उसके काम की सारी रिपोर्ट ली और फिर वह रामू के पास जाकर बोला क्या तुम खुद ठेकेदारी का काम करोगे, इस पर रामू ने अपने ठेकेदार की तरफ इशारा करते हुए अंग्रेज मालिक को जवाब दिया कि सर इनकी वजह से ही हम यह काम कर रहें हैं, अगर मैं यहां इनकी तरह सब काम करने लगूंगा तो इन्हें बुरा लगेगा। इस पर अंग्रेज मालिक ने कहा कि अगर ठेकेदार अपनी सहमति दे दे तब तो कम कर सकते हो ना। रामू ने हां कह दिया, फिर वह अंग्रेज उस ठेकेदार से बात करने लगा कि तुम्हें तो हम काम देते ही रहेंगे लेकिन एक काम हम रामू को भी देंगे और देखना चाहते हैं कि रामू इस काम को कितनी काबिलियत और ईमानदारी से पूरा करता है। अंग्रेज मालिक की बात सुनकर, ठेकेदार ने सोचा कि अगर मैंने रामू को काम देने से मना कर दिया तो मुझे भी काम मिलना बंद हो जाएगा, यह सोच कर उस ठेकेदार ने अंग्रेज से रामू को काम देने में अपनी सहमति दे दी। उस अंग्रेज मालिक ने रामू को मध्य प्रदेश में पहाड़ी को काटकर रेलवे लाइन बिछाने का ठेका दे दिया। कम समय और कम बजट में उस काम को रामू ने करके अपनी रिपोर्ट अंग्रेज मालिक को दे दिया। इस पर वह अंग्रेज बहुत खुश हुआ और उसने फिर धीरे धीरे कई सारे कामों की ठेकेदारी रामू को देना शुरू कर दिया। धीरे धीरे राम सिंह ठेकेदारी का काम करते करते बहुत समृद्ध भी हो गये। एक दिन राम सिंह ठेकेदारी का काम कर रहे थे तभी उन्होंने देखा कि एक सुंदर युवती को एक युवक घोड़े पर बिठाकर लिए जा रहा है, उन्होंने अपने पास से गुजरने पर उसे रोक लिया और पूछताछ करने लगे। इस तरह पूछने पर पता चला कि वह युवती रीवा के राजा की लड़की है और महल से भागी हुई है उन्होंने रीवा के राजा को पत्र भेज कर उस युवती की सारी बात बता दी, जिस पर वहां के राजा ने कहा की वह मेरी ही लड़की है लेकिन अब वो जहां जाना चाहती है जा सकती है, मैं उसे अब नही रोकूंगा। अगर तुम उससे विवाह करना चाहते हो तो कर सकते हो, मुझे कोई आपत्ति नहीं इस पर राम सिंह ने उस राजकुमारी से शादी कर ली। एक दिन यूं ही बैठे-बैठे राम सिंह के मन में विचार आया कि इतनी सारी उम्र बीत चुकी है, अब इतना सारा कमा लिया है तो अब क्यों ना अपने घर चलते हैं, पता नहीं अब मेरी घर की हालत कैसी है। अपनी दहलीज को देखने के लिए राम सिंह ने सारी तैयारी शुरू कर दी। अपनी सारी संपत्ति और वस्तुओं को लेकर वह अपनी पत्नी के साथ वहां से अपने घर के लिए चल दिये।
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जीवन परिचय - हिंदी सिनेमा में बतौर फ़िल्म/गीतकार काम कर रहें हैं दुर्गा प्रसाद सिंह ( दुर्गा कृष्णा ) का जन्म 2 नवम्बर 1985 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था जिसे वीरता, कला, संस्कृति, आध्यत्मिकता और हिन्दी साहित्य में अमूल्य योगदान के लिए जाना जाता है। इन्हें कला व सांस्कृतिक सम्मान - 2021 से भी सम्मानित किया गया। इनके प्रपितामह स्व. बजरंग सिंग व पितामह स्व. भारत सिंह लम्बरदार थे, इनके पिता स्व. उदय वीर सिंह एडवोकेट ने भारत सरकार के कई महत्वपूर्ण पदों को शुशोभित करते हुए कई अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस व सेमिनार में अपने देश का प्रतिनिधित्व भी किया। इनकी माता स्व.आशा सिंह ( मैनेजिंग डायरेक्टर ) ने सभी उत्तरदायित्व बड़ी कुशलता से निभाया।
दुर्गा कृष्णा ने कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक और लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की। LLB के बाद लखनऊ में PCS (J) की कोचिंग की। अपने पिता के साथ विधि व्यवसाय में बतौर सहायक के रूप में रहकर 10 वर्षो तक कई गवर्नमेंट कारपोरेशन जिसमें IOC, UPSIDA प्रमुख हैं। CIAC, ICA अधिकरण न्यायाधीश (आर्बिट्रेटर), पी.वी.ए.जुगलर हॉक इंडस्ट्रीज प्रा.लि. JS इंडस्ट्रीज। बाद में इन्होंने नई दिल्ली में फर्स्ट नेशनल कॉन्फ्रेंस ODRM में प्रतिभाग किया। पर्यावरण और जीवों के संरक्षण हेतु कई संस्थाओं के साथ काम किया जिसमें इंग्लैंड की BHA UK, मेनका गांधी की PFA, SAWEP प्रमुख है। NIAW (हरियाणा) से ट्रेनिंग की। इनकी माता का स्वर्गवास 22 मार्च 2021 को और पिता का स्वर्गवास 25 अगस्त 2021 हो गया। गीत, संगीत और लेखन का गुण ईश्वरीय वरदान स्वरूप इन्हें प्राप्त हुआ। इन्होंने एक हिंदी फीचर फिल्म में बतौर सहनिर्माता काम किया। अंशी फिल्म्स व फ़ेमस म्यूजिक एंड इंटरटेनमेंट में बतौर सह निर्माता, गीतकार काम कर रहें हैं। दुर्गा कृष्णा की रचनाओं में दुनिया का हर रंग देखने को मिलता है। इनकी रचनाओं में इनके अनुभवों की झलक मिलती है।D