दिल में भाव है बहुत, जो उमड़ रहे है रह रह के
सोचा जरा उन्हें मैं पन्नों पर उतार दूँ
गुजरे कुछ मंजर, जो नजरों के सामने से
सोचा जरा उन्हें मैं लफ़्जो में उतार दूँ
खूबसुरत लम्हों से जो हुई मुलाकात मेरी
सोचा उन पलों को, जरा मैं सम्भाल लूँ
फ़िर जो मेरा हुआ यथार्थ से सामना
सोचा तेरे सामने जरा मूरत उसकी तराश दूँ
गुजारा वक्त जो मैने तन्हाईयो में
सोचा कि उस वक़्त को आपके साथ बाँट लूँ
✍️शालिनी गुप्ता प्रेमकमल🌸
(स्वरचित)