गुजार दिए जिनके साथ,कई साल यूँ ही
बस बैठे बैठे दिल में, एक सवाल आया l
जिनके लिए, समर्पित किया अपना जीवन
क्या कभी उसे भी,समर्पण का ख्याल आया l
जिनकी हर जरुरत को, बिन कहे पूरा करते हैं
क्या आज तक वो, मेरी पसंद को समझ पाया l
हमेशा अनछुआ ही रहा दिल का एक कोना
क्या ताउम्र, वह मेरे उस कोने को छूँ पाया l
मन में भरे हुए हैं, कई अनकहे एहसास मेरे
क्या कभी वो उन अनकहे लफ़्ज़ों को सुन पाया l
✍️शालिनी गुप्ता प्रेमकमल 🌸
(स्वरचित)