एक ख्वाब जो, मैंने और तुमने मिलकर देखा था
आसमाँ में चमकता हुआ, जो एक चाँद देखा था l
सोचा था साथ मिलकर, एक नई दुनिया बसाएगें
हम तुम मिलकर "एक" बन, दुनिया को दिखाएगें l
उस ख्वाब को पूरा करने, हम साथ मिलकर दौड़े
ख्वाब का पीछा करते करते,कितनों के साथ छोड़े l
ख्वाब को पा लिया और चाँद को अपना बना लिया
कितनी अजीब बात है,उसके लिए जीना भुला दिया l
चाँद को पा लिया था हमने, दुनिया भी बसा ली थी
साथ खड़े थे हम, सुविधाओ की थाली सजा ली थी l
चाँद अपना, दुनिया भी अपनी,पर एहसास नहीं थे
हाथों में डाले हाथ, बस महसूस करना भूल गए थे l
सब कुछ पाकर भी,इस थकान के कुहासे में शायद
एक दूसरे को, जानना और पहचानना भूल गए थे l
"सुविधाओ के जंगल" में,एक दूसरे से दूर हो गए थे
शायद छोटी छोटी बातों में,खुशियाँ ढूँढना भूल गए थे l
✍️शालिनी गुप्ता प्रेमकमल🌸
(स्वरचित)