ये शाख से लिपटे हुए पत्ते, बड़े ही खूबसुरत होते हैं ,
मन को बड़ा मोहित करते है,पर आगे बढ़ते नहीं है l
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ये शाख से लिपटे पत्ते, बड़ी ही ऊँचाईयों पर होते है,
अपने गर्व से दिप दिपाते हुए, तिल तिलकर जीते है l
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ये शाख से लिपटे पत्ते, कभी शाखों को छोड़ते नहीं है,
सूखकर,कुचले जाने के भय से,शाखों से गिरते नहीं है l
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ये शाख से लिपटे पत्ते ,दूर से ही बड़े अच्छे लगते हैं,
होते है बड़े नासमझ, दिल की बातें समझते ही नहीं है l
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ये शाख से लिपटे पत्ते,कुछ ज्यादा ही समझदार होते है, भावनाओं की कब्र पर, जिंदगी गुजर बसर कर लेते है l
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ये शाख से लिपटे पत्ते, अपनी जड़ों को छोड़ते नहीं है,
क्योंकि आदर्शो की पोटली बाँधे,ये बहकते,भटकते नहीं है l
शालिनी गुप्ता प्रेमकमल 🍁
(स्वरचित)