बसंत
आया बसंत आया बसंत ,
बागों में छाया नव बसंत |
डाली – डाली है झूम रही ,
कोयल आमों में कूक रही |
दूल्हा है बना रसाल आज ,
मनसिज का ऐसा साज – धाज |
तन , मन , धन , जीवन वार –वार ,
फैला बसंत है द्वार – द्वार |
खलिहान , खेत , उपबन – कछार
यौवन का ले बन पुष्प – हार |
कहते हैं हमसे बार – बार ,
शुभ जीवन हो ऐसा तुम्हार |
ले जग जीवन में ज्ञान - सार ,
भर ले जन – जन झोली पसार |
भर ले प्रकाश , भर ले प्रकाश ,
पुष्पित हो मन में ज्ञान - घास ||