shabd-logo

बसंत

21 जुलाई 2022

14 बार देखा गया 14

बसंत


आया     बसंत    आया   बसंत ,
बागों   में   छाया   नव   बसंत |
                                           डाली  –   डाली   है   झूम  रही , 
                                           कोयल  आमों   में   कूक   रही |
दूल्हा   है   बना   रसाल   आज ,
मनसिज का ऐसा साज – धाज |
                                         तन , मन , धन , जीवन वार –वार ,
                                         फैला   बसंत    है    द्वार  –  द्वार |

खलिहान , खेत , उपबन – कछार  
यौवन   का  ले  बन  पुष्प  –  हार  |
                                              कहते   हैं   हमसे  बार –  बार ,
                                              शुभ  जीवन  हो  ऐसा  तुम्हार | 
ले  जग  जीवन  में ज्ञान -  सार ,
भर ले जन – जन झोली पसार |
                                           भर  ले  प्रकाश  , भर  ले प्रकाश ,
                                           पुष्पित  हो  मन  में  ज्ञान - घास ||

 

11
रचनाएँ
निषाद कवितावली
0.0
नम्र निवेदन के दो शब्द  प्रिय पाठक गण ,                          वर्तमान युग के भौतिक वाद क्षेत्र में वैज्ञानिक विचारधारा से प्रभावित मानव जगत अछता अवशेष नहीं है | ऐसे समय में साहित्य रचना अथवा काव्य रचना लेखक या कवि के लिए कठिन साधनोपरांत भी सी प्रतीत हो रही है  |                            परंतु जब पतिक किसी निश्चित दिशा  की ओर अपना उद्देश्य लेकर पथ पर गमन करता है | तब समय के झंझावातों  को भी पार कर जाता है |  इसी प्रकार मेरा भी यह बाल प्रयास स्वरूप काव्य रचना है |                            अस्तु आप सभी पाठक बन्धुओ से मेरा नम्र निवेदन है  कि  नीरसत्य व काव्य नियमो का अभाव देखते हुए भी त्रुटियो पर ध्यान न  देना | मैं अत्यंत आभारी हूँ  |                             धन्यवाद !
1

समर्पण

21 जुलाई 2022
1
1
1

समर्पण जिन मातु – पिता का अटल नेह ,इस तुच्छ पुत्र

2

मंगलाचरण

21 जुलाई 2022
1
1
0

मंगलाचरण जन्म लिए कष्ट देख , वासुदेव पित्र के | द्वारिका के

3

शारद विनय

21 जुलाई 2022
1
1
0

शारद बिनय बना सफल मेरा जीवन ! नूतन स्वर वीणा तारों के भरकर , कर कंठ स्वरित पावन | मेरे हृदय मधुर कलिका में , भर दे कर दे नव – जीवन

4

ईस महिमा

21 जुलाई 2022
1
1
0

ईश महिमा विस्तृत नील – गगन का आँगन , बता रहा तेरा विस्तार |रवि – शशि तेरे बन आते है ,जगती के जीवन का हार || सुख –प्रद त्रि

5

जागरण की नव प्रभाती

21 जुलाई 2022
1
1
0

जागरण की नव प्रभाती मिट रहा तम आज जग में , जागरण की नव प्रभाती |क्षितिज तम को नष्ट कर अब ,छा गयी विज्ञान – आँधी |धर्म की सारी &nb

6

भिक्षुक

21 जुलाई 2022
1
1
0

भिक्षुक नंगा करील सा सूखा तन ,कमजोर हृदय चिर मन मलीन ||

7

बसंत

21 जुलाई 2022
1
1
0

बसंत आया बसंत आया बसंत ,बागों में छाया नव बसंत |

8

कृषक

21 जुलाई 2022
1
1
0

कृषक स्वच्छ उर तेरा प्रत्यक्ष रूप लक्ष्य का ,लक्ष्य के समक्ष द्रढ़ गिरीश सा खड़ा हुआ |मानता है लोहा , काम तेरे समक्ष आ ,

9

सत्मार्ग

21 जुलाई 2022
0
0
0

सत्मार्गबुधजन संपर्क उपस्थित हो , सद्ग्रंथों का स्वाध्याय करे |केवल उन्नति के विषयों में , सोंचे अथवा कुछ बात करे ||

10

झरना

21 जुलाई 2022
0
0
0

झरनाचल पड़ा जब एक निर्झर हिम शिखर घर अंक वरसे ।नवल क्षण था प्रात का वह ।तोड़ता था फोड़ता था वज्र सी पत्थर शिलाएं ।बह रहा थाअनवरत थावेगमय थी धार जिसकीफेन उज्जवल मुस्कुराता ।सा

11

सावन

21 जुलाई 2022
1
1
0

सावन आज हर्ष की नव बेला है , अपनी भू पर राज हमारा ।आज मेदनी के कण-कण में , हमें दृष्टिगत हर्ष हो रहा ।निज माता धरती अंचल में , अन्न बाल अब मोद ले रहा ।दूर क्षितिज में हरियाली अब , मोद दे रह

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए