भिक्षुक
नंगा करील सा सूखा तन ,
कमजोर हृदय चिर मन मलीन ||
चिर भूंखा मन चिर चिंता तन ,
चिर जीवन घन चिर कर्म हीन ||
चिर तन में भी चिर बस्त्र पहन ,
चिर भूंखा तन संतुष्ट करन ||
चिर थकित कंध के मध्य पहन ,
चिर झोली एक पहन चिर तन ||
चिर थकित पगों से करत गमन ,
चिर बदन व्याधि का बना भवन ||
चिर डंडा एक गहे प्रतिक्षण ,
चिर रक्षक बना रूप हरि गण ||