shabd-logo

सत्मार्ग

21 जुलाई 2022

19 बार देखा गया 19

सत्मार्ग



बुधजन  संपर्क  उपस्थित  हो ,  सद्ग्रंथों  का  स्वाध्याय  करे |

केवल उन्नति के  विषयों   में , सोंचे  अथवा  कुछ  बात  करे ||

लेकिन   निर्णय  ना  हो  पाता  हम  करें  कहा   से  सुभारम्भ |

जिस  थल  से मानव चल पाता , हम चल पाते ना एक कदम ||

सम्बंध  बिच्छेदन  करने का , बुधजन  जिनसे  कहते हमको |

होता  दृढ़ता  बंधन   उनसे ,  लोभादि ,  मोह  कहते   जिनको |

सुख – प्राप्ति दिशा की कदम वही , जिसमे अगणित कांटे होते |

यदि मार्ग पकड़ते  कभी  सोंच , तो निश्चय विघ्न अधिक होते ||

तप और  त्याग  का भय  निशिदिन , बैराग  द्वार को बंद करे  |

अबिरल  अखण्ड आनंद  जिधर  , चलपाते उधर  न बिबश  भरे ||

जब  ज्ञान  ज्योति  मे  अन्वेषण , कराते  हमें  तब  पता  चलता |

हो  ब्रह्मनिष्ठ अरु  ज्ञानमूर्ति , मानव  महान  जो  लख  पढ़ता ||

पावन   सानिध्य  क्षणों  में  जिन  , होता  है   प्राप्त   बिबेकी  का |

होता  है  क्षण  उन्नति  का  वह , करने का  सफल प्रयासों का ||

क्योंकि  महान  पुरुषों  का संग , निज  दोषों  को  है  बतलाता |

दोषों  को  लाख  मन पछताता , तब  हृदय  स्वर्ण  है जल जाता ||

दोषों रूपी मल नष्ट हुए, तब उर  सोना निखार – पाता |  सानिध्य   इसी  से  महापुरुष , का   पावन   जग में   कहलाता ।। कबि  हृदय  का  यह  विचार , सुनकर  थोड़ा  सा   अमल।  करो ।होगा   निश्चय  मन   निर्मल , यदि   थोड़ा   सा  विश्वास   करो ।।

 

11
रचनाएँ
निषाद कवितावली
0.0
नम्र निवेदन के दो शब्द  प्रिय पाठक गण ,                          वर्तमान युग के भौतिक वाद क्षेत्र में वैज्ञानिक विचारधारा से प्रभावित मानव जगत अछता अवशेष नहीं है | ऐसे समय में साहित्य रचना अथवा काव्य रचना लेखक या कवि के लिए कठिन साधनोपरांत भी सी प्रतीत हो रही है  |                            परंतु जब पतिक किसी निश्चित दिशा  की ओर अपना उद्देश्य लेकर पथ पर गमन करता है | तब समय के झंझावातों  को भी पार कर जाता है |  इसी प्रकार मेरा भी यह बाल प्रयास स्वरूप काव्य रचना है |                            अस्तु आप सभी पाठक बन्धुओ से मेरा नम्र निवेदन है  कि  नीरसत्य व काव्य नियमो का अभाव देखते हुए भी त्रुटियो पर ध्यान न  देना | मैं अत्यंत आभारी हूँ  |                             धन्यवाद !
1

समर्पण

21 जुलाई 2022
1
1
1

समर्पण जिन मातु – पिता का अटल नेह ,इस तुच्छ पुत्र

2

मंगलाचरण

21 जुलाई 2022
1
1
0

मंगलाचरण जन्म लिए कष्ट देख , वासुदेव पित्र के | द्वारिका के

3

शारद विनय

21 जुलाई 2022
1
1
0

शारद बिनय बना सफल मेरा जीवन ! नूतन स्वर वीणा तारों के भरकर , कर कंठ स्वरित पावन | मेरे हृदय मधुर कलिका में , भर दे कर दे नव – जीवन

4

ईस महिमा

21 जुलाई 2022
1
1
0

ईश महिमा विस्तृत नील – गगन का आँगन , बता रहा तेरा विस्तार |रवि – शशि तेरे बन आते है ,जगती के जीवन का हार || सुख –प्रद त्रि

5

जागरण की नव प्रभाती

21 जुलाई 2022
1
1
0

जागरण की नव प्रभाती मिट रहा तम आज जग में , जागरण की नव प्रभाती |क्षितिज तम को नष्ट कर अब ,छा गयी विज्ञान – आँधी |धर्म की सारी &nb

6

भिक्षुक

21 जुलाई 2022
1
1
0

भिक्षुक नंगा करील सा सूखा तन ,कमजोर हृदय चिर मन मलीन ||

7

बसंत

21 जुलाई 2022
1
1
0

बसंत आया बसंत आया बसंत ,बागों में छाया नव बसंत |

8

कृषक

21 जुलाई 2022
1
1
0

कृषक स्वच्छ उर तेरा प्रत्यक्ष रूप लक्ष्य का ,लक्ष्य के समक्ष द्रढ़ गिरीश सा खड़ा हुआ |मानता है लोहा , काम तेरे समक्ष आ ,

9

सत्मार्ग

21 जुलाई 2022
0
0
0

सत्मार्गबुधजन संपर्क उपस्थित हो , सद्ग्रंथों का स्वाध्याय करे |केवल उन्नति के विषयों में , सोंचे अथवा कुछ बात करे ||

10

झरना

21 जुलाई 2022
0
0
0

झरनाचल पड़ा जब एक निर्झर हिम शिखर घर अंक वरसे ।नवल क्षण था प्रात का वह ।तोड़ता था फोड़ता था वज्र सी पत्थर शिलाएं ।बह रहा थाअनवरत थावेगमय थी धार जिसकीफेन उज्जवल मुस्कुराता ।सा

11

सावन

21 जुलाई 2022
1
1
0

सावन आज हर्ष की नव बेला है , अपनी भू पर राज हमारा ।आज मेदनी के कण-कण में , हमें दृष्टिगत हर्ष हो रहा ।निज माता धरती अंचल में , अन्न बाल अब मोद ले रहा ।दूर क्षितिज में हरियाली अब , मोद दे रह

---

किताब पढ़िए