सत्मार्ग
बुधजन संपर्क उपस्थित हो , सद्ग्रंथों का स्वाध्याय करे |
केवल उन्नति के विषयों में , सोंचे अथवा कुछ बात करे ||
लेकिन निर्णय ना हो पाता हम करें कहा से सुभारम्भ |
जिस थल से मानव चल पाता , हम चल पाते ना एक कदम ||
सम्बंध बिच्छेदन करने का , बुधजन जिनसे कहते हमको |
होता दृढ़ता बंधन उनसे , लोभादि , मोह कहते जिनको |
सुख – प्राप्ति दिशा की कदम वही , जिसमे अगणित कांटे होते |
यदि मार्ग पकड़ते कभी सोंच , तो निश्चय विघ्न अधिक होते ||
तप और त्याग का भय निशिदिन , बैराग द्वार को बंद करे |
अबिरल अखण्ड आनंद जिधर , चलपाते उधर न बिबश भरे ||
जब ज्ञान ज्योति मे अन्वेषण , कराते हमें तब पता चलता |
हो ब्रह्मनिष्ठ अरु ज्ञानमूर्ति , मानव महान जो लख पढ़ता ||
पावन सानिध्य क्षणों में जिन , होता है प्राप्त बिबेकी का |
होता है क्षण उन्नति का वह , करने का सफल प्रयासों का ||
क्योंकि महान पुरुषों का संग , निज दोषों को है बतलाता |
दोषों को लाख मन पछताता , तब हृदय स्वर्ण है जल जाता ||
दोषों रूपी मल नष्ट हुए, तब उर सोना निखार – पाता | सानिध्य इसी से महापुरुष , का पावन जग में कहलाता ।। कबि हृदय का यह विचार , सुनकर थोड़ा सा अमल। करो ।होगा निश्चय मन निर्मल , यदि थोड़ा सा विश्वास करो ।।