नम्र निवेदन के दो शब्द प्रिय पाठक गण , वर्तमान युग के भौतिक वाद क्षेत्र में वैज्ञानिक विचारधारा से प्रभावित मानव जगत अछता अवशेष नहीं है | ऐसे समय में साहित्य रचना अथवा काव्य रचना लेखक या कवि के लिए कठिन साधनोपरांत भी सी प्रतीत हो रही है | परंतु जब पतिक किसी निश्चित दिशा की ओर अपना उद्देश्य लेकर पथ पर गमन करता है | तब समय के झंझावातों को भी पार कर जाता है | इसी प्रकार मेरा भी यह बाल प्रयास स्वरूप काव्य रचना है | अस्तु आप सभी पाठक बन्धुओ से मेरा नम्र निवेदन है कि नीरसत्य व काव्य नियमो का अभाव देखते हुए भी त्रुटियो पर ध्यान न देना | मैं अत्यंत आभारी हूँ | धन्यवाद !