शारद बिनय
बना सफल मेरा जीवन !
नूतन स्वर वीणा तारों के भरकर , कर कंठ स्वरित पावन |
मेरे हृदय मधुर कलिका में , भर दे कर दे नव – जीवन |
बना सफल मेरा भाषण , वीणा के मधुर रागिनी से ,
माँ कर दे मेरा मधुर- वचन |
ज्यों –ज्यों छेडूँ अपने स्वर को , स्वर निकले ज्यों सरस पवन |
यह कर दे मानव जीवन में , सहसा नव – स्फूर्ति पवन |
हो जाय मानव – मानव में , भ्रात – भ्रात का महा चलन |
मिट जाय जीवन अनंत की , कठिन व्यथाएं क्षण भर में |सत्य अहिंसा तथा धर्म का , हो साम्राज्य जगत भर में |युगों – युगों तक बना रहूँ मैं , माता होकर तेरा लाल |समझे आँखों का तारा तू , है यह अभिलाषा प्रतिकाल |