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मैच कमेंट्री

28 नवम्बर 2021

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(भारत पाकिस्तान मैच..)

समय विध्वंसक है और दो देशों की सेनायें मैदान पर भाले बल्लम ले कर एक दूसरे के सामने हैं... मैं आपकी खादिम रंजना ओम धिंचक स्टूडियो से आपको जंग का हाल बताऊंगी और कमेंट्री के लिये हमारे साथ उपलब्ध हैं... लंबित कुपात्रा और एक दो पर्सेंट डाऊन हो चुके जीडीपी भक्षी।
रंजना: क्या लगता है आपको कौन जीतेगा?
लंबित: देखिये यह सवाल आपको कांग्रेस के जमाने में करना चाहिये था, तब कोई नहीं जीतता था, अब हमारी सरकार है, कोई एक तो जीतेगा ही।
भक्षी: अरे मैं तो कहता हूँ कि हम सौ ओवर तक जीतने का इंतजार ही क्यों करें... बल्लों से मार-मार के पाकिस्तानियों को ढेर करके हमें ट्राफी छीन लेनी चाहिये।
रंजना: अरे यह यूएन का टूर्नामेंट है, हम बल्लों का ओवर द शोल्डर इस्तेमाल नहीं कर सकते। पाकिस्तान के बच्चे अच्छी किस्मत से खेल रहे हैं... हमें अच्छी गेंदबाजी करनी होगी।
लंबित: देखिये हमारी सरकार पे शक मत कीजिये, माना कि कांग्रेस के वक्त में चुन चुन के खराब गेंद डलवाई जाती थी, लेकिन हम अडानी जी और अंबानी जी के सौजन्य से सब्सिडी मुक्त गेंद डलवाते हैं।
भक्षी: अरे बढ़िया क्या.. गेंद के अंदर आरडीएक्स भरवा के फिकवानी चाहिये... हमारे शहीदों की पेंशन का सवाल है।
लंबित: अरे भक्षी जी, नहीं मेरा मतलब है जीडीपी जी, डरिये मत। बना लेने दीजिये उन्हें चार पांच सौ रन... आप देखियेगा मोदी जी को, ट्रम्प जी से समझौता करा के डालर के हिसाब से एक के सत्तर रन लगवायेंगे। वैसे भी रोजे चल रहे हैं।
रंजना: एसा लगता है कि लड़के ठीक से फेंक नहीं पा रहे हैं।
लंबित: कैसे फेंक पायेंगे, प्रेरणा ही नहीं ले पा रहे मोदी जी से, बताइये जिनके पास ऐसी अनमोल फेकिंग मशीन हो, वे ठीक से न फेंक पा रहे हों तो इसमें कहीं न कहीं पूर्ववर्ती सरकार की तैयारियों की असफलता है, लेकिन अगली पाली में एक्सपर्ट जनता की तरह अच्छा लपेटेंगे, यह नोटबंदी के सकारात्मक परिणाम की तरह तय है।
भक्षी: पर नोटबंदी में तो अपने ही डेढ़ सौ मार के सेल्फ गोल कर दिया था... कहीं फिर न सेल्फ गोल हो जाये।
रंजना: वैसे गेंदबाजी बुरी नहीं है लड़कों की... किनारे लग रहे हैं।
भक्षी: यही तो फेलुअर है सरकार का। बताइये किनारे लगवा रहे हैं, जबकि बीच में मार कर गोल करना चाहिये और एक के बदले सत्तर सर लाने चाहिये। रमजान में एक के सत्तर की ही काउंटिंग रहती है।
रंजना: भक्षी जी, यह कोई क्रिकेट हो रहा है कि गोल करेंगे। आज कोहली को टिक के खेलना होगा।
लंबित: आप यकीन कीजियेगा हमारी सरकार में कोहली टिक के ही खेलेंगे। रन के लिये भी इधर उधर नहीं भागेंगे। कांग्रेस की सरकार थोड़े है कि कोहली रन लेने के बजाय पैवेलियन में बैठी अनुष्का के पास भाग जाते थे।
रंजना: आज जीतना ही होगा...सवा सौ करोड़ देशवासियों के वोट का सवाल है।
लंबित: जी रंजना जी, यह मोदी जी की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी पाकिस्तान के खिलाफ।
भक्षी: मैं तो कहता हूँ... इन टोपी वाले सयानों को अंबानी के जियो के सहारे सेट करके हमारे लड़कों की चार गेंद का ओवर करा देना चाहिये और बैटिंग के टाईम आठ गेंदों का।
रंजना: भक्षी जी आप फिर क्रिकेट की बात कर रहे हैं, यह फुटबाल हो रहा है और पाकिस्तानियों को गेंद बड़ी दिख रही है, इसीलिए धो रहे हैं। सोचिये ऐसी स्थिति से निपटने के लिये हमारे ब्वायज क्या करेंगे।
लंबित-भक्षी: हवन करेंगे, हवन करेंगे... हवन करेंगे।
रंजना: तो स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन नियंत्रण में है। पाकिस्तान ने काफी दौड़ लिया है और अब हमारे ब्वायज को अच्छा खेलना होगा।
लंबित: खेलना होगा... मने वह क्या वहां जस्टिन बीबर का कंसर्ट सुनने गये हैं। खेलने गये हैं तो खेलेंगे ही।
रंजना: जी संबित, लेकिन रन काफी ज्यादा हैं और बहुत संभाल कर खेलना पड़ेगा।
भक्षी: बिगाड़ कर भी खेल सकते हैं। जब बचपन में मैं कंचे खेलता था तो हारने की दशा में तीन तिगाड़ा, खेल बिगाड़ा बोल के गचा (कंचों का गोल घेरा) लूट लिया करता था और अपनी हार टाल दिया करता था।
रंजना: लेकिन यहां दो ही हैं, यह नहीं चलेगा। खेलना तो पड़ेगा... विराट कोहली रूम बनाते हुए।
लंबित: देखिये, कर दी न चिरकुटई वाली बात। कांग्रेस के जमाने में रूम बनाते थे, अब तो हवेली बनानी चाहिये। कहते तो बने, आओ कभी हवेली पे।
रंजना: भारत की स्थिति काफी क्रिटिकल है... वेंटिलर की जरूरत लग रही है। दो सैनिक शहीद हो चुके हैं और रिक्वायर्ड रनरेट बढ़ता जा रहा है। क्या स्ट्रेटेजी लगती है लंबित?
संबित: देखिये रंजना जी। वे जीएसटी के गणित से पूरी तरह वाकिफ हैं, उन्हें पता है कि अगर वे तीन सौ से ऊपर रन बनाते हैं तो चालीस पर्सेंट जीएसटी लगेगी, जबकि सौ रन पर सिर्फ दस प्रतिशत ही है। तो जरूर उन्होंने गुणाभाग किया होगा कि कैसे टैक्स बचाया जा सकता है।
भक्षी: वहां पिच पर सैनिक शहीद हो रहे हैं और आपको यहां टैक्स की पड़ी है। यही हाल रहा तो हमारी नाव डूब जायेगी।
लंबित: ओह। तो मने हम टेम्स में बोटिंग कर रहे थे... देखिये बख्शी जी, नाव कांग्रेस की डूबी है... हमारी तो रिलायंस के पेट्रोल से चल रही है।
रंजना: वह देखिये सर... युवी और धवन पिच पर खड़े हो कर कुछ रणनीति बना रहे हैं।
भक्षी: रणनीति... किस बात की? कि हारने के बाद वापसी में कौन अंडमान में उतरेगा और कौन लक्षद्वीप में। मैं तो कहता हूँ कि इनको बंधक बना के श्रीहरिकोटा लाओ और इसरो के किसी लांचिंग प्रोजेक्ट के साथ बांध कर अंतरिक्ष में उड़ा दो। मोदी जी के नाम एक उपलब्धि और जुड़ जायेगी कि ग्यारह भारतीय कोहिनूर फ्री ऑफ कास्ट स्पेस में स्थापित किये। सत्तर सालों में यह नहीं हुआ।
लंबित: अरे भक्षी जी थोड़ा जोर से थूकिये। छींटे सिर्फ मुझे भिगा रहे हैं, रंजना जी सूखी ही हैं, लेकिन आपको यह बात पता होनी चाहिये कि इससे डकवर्थ एंड लुईस का नियम नहीं लागू होगा।
रंजना: हाँ डकवर्थ एंड लुईस से कोई चमत्कार की उम्मीद कर सकते हैं। बशर्ते कि वे एक बार मन की बात सुन लें।
लंबित: फिर तो वे फिर से खुदकशी कर लेंगे। मेरे ख्याल से सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानी अगर मिल के लार्ड्स में सू सू कर दें तो डकवर्थ और लुईस नाम के वामपंथियों की आत्मा बेचैन हो कर पिच पर तड़पेगी और इस तरह हमारे ब्वायज को पाकिस्तान के कुशासन से मुक्ति मिल जायेगी।
रंजना: रनो की रफ्तार सुस्त है भक्षी जी। कुछ कहेंगे इस पर।
भक्षी: नोटबंदी से अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पड़ गयी और आपको रनों की रफ्तार की फिक्र है। देखिये हमारे सैनिक इसी तरह पिच पर शहीद होते रहे तो हमें नजर झुकानी होगी।
रंजना: तो उससे कौन सी घुसपैठ बंद हो जायेगी। गेंद को लगातार सीमा से बाहर भेजना होगा हमें।
लंबित: देखिये बार बार अंदर बुला कर बाहर भेजना गलत बात है, शास्त्रों में भी इसे गलत कहा गया है। गेंद कुछ भी है, मगर स्त्रीलिंग है और स्त्री का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान। हमें लगातार गेंद को उसके स्त्रीलिंग होने के चलते सम्मान देना होगा तभी हमें राहते रूह मिलेगी... पीने के लिये। एट पीएम।
रंजना: लंबित जी, आप नेशनल चैनल पर शराब का विज्ञापन कर रहे हैं।
लंबित: अरे नहीं, टाईम बता रहा हूँ। आठ बजे हैं न... उफ यह माल्या जी न, दिख जाते हैं कहीं न कहीं और जीभ लपलपा जाती है।
भक्षी: मैं कहता हूँ, यह मैच वैच छोड़ो। शहीदों का बदला लेने के लिये बल्लेबाजों से एकाध गेंदबाज का सर ही फुड़वा दो। मेरे बहते थूक लार को कुछ तसल्ली तो मिले।
रंजना: लगता है अब कुछ नहीं हो सकता... देखते हैं क्या होता है।
लंबित: पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे...
भक्षी: इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह। 

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रचनाएँ
केबीसी अल्टीमेट
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हास्य का एक रूप यह भी है कि फिल्म या प्रोग्राम की पैरोडी बने जाये, जो अपने तौर पर मूल फिल्म या प्रोग्राम से अलग मनोरंजन करे... तो प्रस्तुत किताब इसी तरह की है जिसमे सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से कई अलग तरह के प्रसंग लिए गये हैं.. कृपया इसे मनोरंजन के तौर पर ही लें..
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केबीसी अल्टीमेट

10 नवम्बर 2021
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<p>तो देवियों और सज्जनों.. आप देख रहे हैं केबीसी। मैं हूँ अबुतोभ बच्चन और मेरे सामने फास्टेस्ट एब्यू

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डिज़िटल महाभारत

28 नवम्बर 2021
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<p>क्या बात है पुत्र दुर्योधन.. यह बाहर कोलाहल कैसा दिखाई दे रहा है?</p> <p>दिखाई दे रहा है, कुछ ज्य

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मैच कमेंट्री

28 नवम्बर 2021
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<p>(भारत पाकिस्तान मैच..)<br> <br> समय विध्वंसक है और दो देशों की सेनायें मैदान पर भाले बल्लम ले कर

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कलियुग में यमराज

28 नवम्बर 2021
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<p>यह तुंदियल अर्धनग्न शरीर, यह लुंगी, यह सींग वाला मुकुट... नौटंकी से लौट रहे हो का? <br> हद में रह

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दीवाने ग़ालिब

28 नवम्बर 2021
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<p>चैतू उन दिनों हरा ताजा जवान हुआ था कि मुहल्ले के एक शाखा प्रमुख की बिटिया गुड्डी के लिये इश्क की

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