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हकले आज़म

28 नवम्बर 2021

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हे डूड.. कैसन पधारे?

जी ख्वाजा साहब.. आपको तो पता है कि बुढ़ापा कुंडी खटखटा रहा है और सल्तनत-ए-हिंद एक वली अहद को तरस रही है.. उसकी ख्वाहिश में यह जिल्ले इलाही जलालुद्दीन अकबर आपकी किरपा का तलबगार है।

ओके अकबरू, तथास्तु.. जोधा को कल समोसे के साथ बूंदी का रायता खिला देना। काम हो जायेगा।

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मुबारक हो जहां पनाह.. पूरे सौ ग्राम का शेर पैदा हुआ है। पैदा होते ही बोल पड़ा कि मैं आया नहीं हूं, मुझे बुलाया गया है। बस थोड़ा हकलाता है।

ओह दासी.. सुब्हानअल्लाह। तुम सोच नहीं सकती जब बुढ़ौती में फल मिलता है तो कितना मजा आता है। यह लो अंगूठी रखो.. तुम्हें हम वचन देते हैं कि जिंदगी में एक बार हम तुम्हारी संकट में पड़ी आईडी को पोक जरूर करेंगे।

शंहंशाह का इकबाल बुलंद हो।

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क्या खबर लाये हो ढोलिया?

जान की अमान पाऊं तो अर्ज करूँ जहां पनाह।

यार फालतू की फुटेज मत लो, मान सिंह.. बक भी दो।

हुजूर.. वलीअहद तो मुगलिया सल्तनत के वकार को ग्रहण लगाय दिहिस। बताओ अभी से चरसी और ठरकी निकल गया.. कल मैंने खुद चरस की पिनक में एक आंटी के साथ पकड़ा है।

ओ माई गाड.. यह सुनने से पहले हमने कान पे हेडफोन क्यों न चढ़ा लिया, कहां है हमारा हकला नल्ला शहजादा।

महाराज.. तीन फूंक में इधर बिलौंदा हुआ पड़ा है।

ओह.. उठाओ इसे मान सिंह। यह यहां रह के और बड़ा नल्ला औबास न साबित हो और हिंदुस्तान की तारीख में एक नल्ले शहजादे की शक्ल में दर्ज न हो.. इसलिये इसे ऑक्सफोर्ड ले जाओ। इसकी परवरिश अब वहीं होगी।

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आओ दुर्जन सिंह.. कैसे आना हुआ।

जिल्ले इलाही का इकबाल पसीना बुलंद रहे.. शहंशाह के हुजूर में शहजादे की कामयाबी का सबूत लाया हूँ। यह शहजादे सलीम का ओवरकोट है, जिस पर पूरी दो दर्जन फिरंगनों की चुम्मिया दर्ज हैं।

सुब्हानअल्लाह

शहजादे की मकबूलियत इंग्लैंड की हर काउंटी में फैल चुकी है और अब तो अमेरिका की पोर्न इंडस्ट्री वाले भी ऑफर दे रहे हैं जहांपनाह।

वाऊ.. दिल खुश कर दिया तुमने दुर्जन। जाओ, इस ओवरकोट के वजन के बराबर ज्वाहरात तौल कर गरीबों में तकसीम कर दो।

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यूँ आंसू बहा कर खुद को निरूपा राय न साबित करें महारानी जोधा.. आप करणी सेना की राजपुतानी हैं जिनमें पद्मावत रिलीज होने पर भी जौहर कर लेने का दमखम हैं।

ओह महाराज आप समझते नहीं हैं.. रिटायरमेंट की उम्र में बनाई गयी सेंचरी बैट्समैन के लिये कितनी कीमती होती है। कब आयेगा मेरा लाल.. मेरा हकला सलीम। आंखें तरस गयी हैं।

परेशान मत हो जोधा.. हमने उसे मेल कर दिया है, बस इसी वेलेंटाईन को वह हमारे बीच होगा।

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आज वेलेनटाईन है.. मेरा बच्चा, मेरा सलीम.. आज मेरी आँखों के सामने होगा। कैसे संभालूं मैं खुद को.. उफ 😍

महारानी साहिबा.. ओवरएक्टिंग में आपका इकबाल मिर्ची बुलंद रहे।

चंदा.. तू जा और स्मैक के सारे सौदागरों को इकट्ठा कर ले। मेरे बेटे को एकदम चोखा माल मिलना चाहिये.. राधा, तू जा और सभी दासियों को कह दे कि आज रात कैब्रे के लिये तैयार हो जायें.. और बहार, तू जा के काजू के आटे से पिज्जा बनवा ला.. आज अपने लाल को अपने हाथ से खिलाऊंगी।

महारानी की जय हो.. महारानी, शहजादे किले में दाखिल हो चुके हैं।

ओह.. भगवान, मैं खुशी से मर न जाऊं.. यह ले दासी, पूरे हजार लाईक्स दिये तेरी पोस्ट को।

महारानी की जय हो.. महारानी, शहजादे दरबार में पंहुच चुके हैं और जहां पनाह ने उन्हें सीने से लगा लिया है।

ओह दासी.. यह ले, दो हजार कमेंट तेरी पोस्ट को दिये। कोई तो संभालो मुझे.. ला जमुना, एक पटियाला पैग रम का ही पिला दे.. अरे कोई वोडका ही ले आओ.. कैसे होश में रहूं मैं। चौदह साल बाद मेरा हकला, मेरा सलीम मेरे पास होगा.. अरे कोई देसी ठर्रा ही पिला दो।

महारानी की जय हो.. शहजादे तशरीफ ला रहे हैं।

उफ.. आओ सलीम.. जी भर के देख लेने दो मुझे, बाद में तो सायरा बानो ही देखेगी। मेरे पास बैठ.. कितना जवान हो गया है।

तत-तुम.. जज-जूनियर आर्टिस्टों के साथ यही पप-प्राब्लम होती है, जिज-जितने पैसे मिलें उससे ज्यादा एक्टिंग कक-कर देते हो। मम-मिलाई विलाई हो गयी हो तो नहां लें.. हफ्ता भर से गंधा रहे हैं।

जा बेटा.. मैंने दो ड्रम देसी उलटवा दी है तेरे बाथ टब में..जा अघोरी, रगड़ रगड़ के नहा ले, फिर आगे की स्टोरी चलायें।

बाय मोम।

यह वह बुत है शहंशाह, जिसके लिये संगतराश का दावा है कि जिसे देख कर फेसबुकिया अपनी कलम तोड़ दे, मन की बात सुनने वाला रेडियो तोड़ दे और रवीश अपना इस्तिफा छोड़ दे..

आइला.. यह तो बहुत खूबसूरत है। सुब्हानअल्लाह.. अरे मम-मगर.. यह तो जज-जिंदा इंसान है..

आदाब जिल्लेइलाही.. मैं वह कनीज हूँ जिसे आपको अनारकली का टाईटल देना है, इससे पहले कि लोग पहनने वाली फ्राक को अनारकली बोल दें।

ओह.. अअ-अनारकली, तुम कितनी हह-हाट हो, काश तुम्हारे मूंछ और दद-दाढ़ी होते।

मैं साहिबे आलम की चूके ले ले कर की गयी बकैती का मफहूम नहीं समझी..

ओह, कक-कैसे समझायें तुम्हें हम अन्नू.. कि फफ-फील नहीं आता हमें बिना दद-दाढ़ी मूंछ के।

दुर्जन.. यह क्या माजरा है?

अब क्या बताऊं जहांपनाह.. बात तो शर्मिंदगी की है। शहजादे का टेस्ट बदल चुका है.. शहजादे के कदम हसीनों के रेशमी आंचल पर फिसलते हुए कब शाखा की तरफ बढ़ गये, हमें पता ही न चला।

उफ.. यह कैसे कैसे शौक पाल लिये हैं हमारे वली अहद ने, क्या होगा इस मुगलिया सल्तनत का?

मुगलिया सल्तनत की ईंट से ईंट बज जायेगी। अब्बा.. हमको यह वाली दिलाय दो.. लेकिन इसके दाढ़ी मूंछ भी चाहिये हमको।

उफ मेरे ख्वाजा.. यह कैसा चरसी, ठरकी, लौंडेबाज मुजस्समा अता किया तूने वली अहद के नाम पर।

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आपने अकेले में मुझे क्यों पकड़ा है और यह इतना अंधेरा क्यों है साहिबे आलम।

अअ-अंधेरा इसलिये है कि अभी गाँव में बिजली पंहुची नहीं है और अकेले में इसलिये पकड़ा है कि तुम्हारे यह नकली दाढ़ी मूंछ लगा कर ही हम अपने अंदर के आशिक को जगा सकें।

उफ भाईजान..

भभ-भाईजान, ऐसा मत कहो। दद-देखो, हम मम-मुहब्बत करने लगे हैं तुमसे.. हम तुम्हें शिक्षा मंत्रालय का प्रभार भी सौंप दद-देंगे। बस तुम रोज शेविंग करके दद-दाढ़ी मूंछ उगा लो।

मतलब जान लेंगे बच्ची की.. ले लीजिये। शहंशाहों के दरबार में हम कनीजों की रेटिंग इससे ज्यादा कहां..

देखो यह मम-मुगल लुटेरे हैं। लल-लूटने आये थे और यहीं कब्जा कर के बैठ गये हैं। मंदिर तोड़ तोड़ के लाल किला, जामा मस्जिद, ताजमहल सब बनवा लिये। इनको उखाड़ना होगा बब-बेबी और इसके लिये तुम नन-निमित्त बनोगी..बस दाढ़ी मूंछ उगा लो।

उफ मेरे खुदा।

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आओ दुर्जन.. तुम्हें हमने शहजादे पर नजर रखने के लिये कहा था, जैसे जी वालों की बगदादी पर रहती है।

वही काम कर रहा हूं आका.. हालात ठीक नहीं है। शहजादे ने शाखा जा जा कर और प्रोफेसर ओक की किताब पढ़ कर सारा सच जान लिया है और वह बागी हो गये हैं।

दुनिया भर के शहजादे बाहर जा कर वामपंथी हो जाते हैं और हमारा नल्ला शहजादा शौक़ीन हो गया।

जी आलमपनाह.. उन्होंने शाही लिबास तर्क कर दिया है और सफेद शर्ट और खाकी निक्कर धारण कर ली है। वह मुगलों की हुकूमत जड़ से उखाड़ फेकना चाहते हैं और इसलिये उस रास्ते पर चल पड़े हैं जहां आपको हर मुमकिन पिन चुभा सकें।

उफ.. यह सब सुनने से पहले हमने फिर से अपने कानों पर हेडफोन क्यों न चढ़ा लिया।

साहिबे आलम ने अनारकली की शेविंग करा करा कर दाढ़ी मूंछ उगा ली है और अब बाकायदा चरस की हैवी डोज के साथ अनारकली के इश्क में गर्क हो चुके हैं.. कहते हैं कि वह अनारकली को मलिकाये हिंदुस्तान बनायेंगे।

क्या इज्जत रह जायेगी हमारी.. यह सब सुनने से पहले रवीश ने इस्तिफा क्यों न दे दिया।

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सलीम.. यह हम क्या सुन रहे हैं। तुमने बाबर के वकार का अचार डाल दिया।

नाम मम-मत लीजिये उस तुर्क लल-लुटेरे का.. उसने राम मंदिर तोड़ के मस्जिद बनवाई थी। वह मस्जिद गुलामी की निशानी है.. उसे तत-तोड़ना होगा डैड।

गुस्ताख संघी.. तुम आखिर चाहते क्या हो?

तीन तलाक.. मम-मेरा मतलब है तीन मांग हैं मेरी। पहली मंदिर वहीं बब-बनायेंगे। दूसरी रवीश का इस्तिफा दिलवाओ और तीसरी हमाई अनारकली को मलिकाये हिंदुस्तान तस्लीम करो।

मंदिर तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बनेगा, रवीश जिद्दी है इस्तिफा देता नहीं और रही अनारकली, तो उसे चाहे शिक्षा मंत्रालय दे दो या सूचना प्रसारण मंत्रालय.. लेकिन वह एक दाढ़ी मूंछ वाली औरत हिंदुस्तान की मलिका नहीं बन सकती।

फिर तो जंग होगी.. और ट्विटर फेसबुक दोनों जगह होगी। आपने हमारा आईटी सेल देखा नहीं है। गालियां दे दे कर हम क्रांति लिख देंगे।

तो ठीक है.. एक जंग अपनी औलाद से भी सही।

हाँ तो जंग शुरू की जाये..

तेरी माँ $#@%, तेरी बहन:'@÷_÷×, तेरी बुआ $%/ $.. ब्ला ब्ला

भग भो/#@÷, साले लहन के #@#/, तेरी #!#_€, तू खुद #$•■.. ब्ला ब्ला 

मुबारक हो जिल्ले इलाही, हमने शहजादे के आईटी सेल वालों की ढेरों आईडी मास रिपोर्टिंग करके बंद करा दी हैं.. 

फिर तो हजरत फिडेल कास्त्रो, हजरत लेनिन और हजरत मार्क्स को यह शुभ समाचार दे दो कि हमने जंग जीत ली है.. और शहजादे को बंदी बना लिया जाये।

दद-देखो चुगलिया शहंशाह, यह चीटिंग है। हमारे विकेट बालिंग करके गिराने थे.. बब-बीमर मार के नहीं।

खामोश गुस्ताख वली अहद, तुम लोग 500 सालों बाद महाराणा प्रताप को हमसे जितवा सकते हो.. हम मौजूदा टाईम में तुम निक्कर वालों को न हरायें।

दद-देखो, अब्बा हो तुम हमारे.. मांडवली कर लो यार। ठीक है, मम-मंदिर न बनाने दो, रामलला टेंट में रह लेंगे। रवीश का इस्तिफा भी न दिलवाओ.. कमीना रोज हमारी लल-लेता रहे.. पर अअ-अनारकली तो दे देव अब्बा जी।

जस्ट शटअप वली अहद.. क्या बात है सस्ते केजरीवाल, मुंह पे रायता क्यों फैला है और यह बाहर शोर कैसा है।

महाराज.. करणी सेना वालों ने हमला कर दिया है, आपने किले के बाहर जितने भी पकोड़े के ठेले लगवाये थे रोजगार देने के नाम पर, वह सब लूट लिये।

दुर्जन सिंह.. इन सालों के अपेंडिक्स में दर्द क्यों होने लगा।

डड-डैड.. आप शेखू के मामू भी कह सकते थे। 'साले' डजेन्ट साउंड्स गुड।

महाराज.. उनका कहना है, उनकी बहन यानि शहजादे की वालिदा ने शादी के बाद जश्न में ठीक से घूमर नहीं किया था, यह उन्हें पुरानी वीडियो देख के आज पता चला, वे चाहते हैं कि उनकी बहन बुढ़ापे में फिर से ठीक से घूमर करे।

कहां है कहां है.. मेरा लाल भगवा। कैसे निर्मोही बाप हैं आप.. मेरे इकलौते प्रोडक्ट को कैद कर लिया।

कोई मेरी भी सुन लो.. कब से सेट पे खड़ी खड़ी बोर हो रही हूँ। और कब तक आडवाणी आडवाणी रहूं..

खामोश गुस्ताख लड़की .. सब तेरा एरर है लौंडी, न यह दाढ़ी मूंछ उगाती न हमारा इकलौता चश्मो चराग यूँ टोपा हो जाता। अनारकली को दीवार में चुनवा दिया जाये।

नहींऽऽऽ.. यह सुनने से पहले मैंने वीट क्यों न यूज कर ली

अरे अरे.. डड-डैड, पिताश्री.. जिल्ले शाही दवाखाना, मर्दाना कक-कमजोरी के इलाज वाला.. इतने संगदिल न होइये, आपके बेटे की सेटिंग है, कक-कुछ तो सोचिये।

सोच लिया.. दीवार बांगर सीमेंट से बनेगी.. सस्ता नहीं सबसे अच्छा।

अअ-अरे सस्ते अंग्रेज.. उसे चुनवाना है तो हमको भी चुनवा दो फिर.. जब सेटिंग ही न रहेगी तो कहां की चच-चाय कहां का पप-पकोड़ा..

यह नहीं हो सकता.. तुम मुगलिया सल्तनत के इकलौते चश्मो चराग हो.. समझो मुंह में बोलने वाले दिलीप कुमार।

अरे मम-मुगलिया सल्तनत की माँ का साकीनाका.. किल्ला ही काट के फेंक देंगे फफ-फिर.. न रहेगा बब-बांस न चलेगा वंश..

दुहाई हो दुहाई हो.. जिल्ले इलाही का अल्लामा इकबाल बुलंद हो..

अब तुम कौन हो पीपल के पेड़ से कूद के आई हुई बुढ़िया.. आधार कार्ड दिखाओ अपना।

मैं ही वह दाई हूँ जिसने आपको इस नल्ले के आने की शुभ सूचना दी थी और आपने वचन दिया था कि मेरी संकट में पड़ी आईडी को जरूर पोक करेंगे।

हम्म.. तो क्या संकट है तुम्हारी आईडी पर जोहरा सहगल।

यह अनारकली मेरा इकलौता प्रोडक्ट है महाराज.. इसे बख्श दीजिये। मेरा इसके सिवा और कोई सुब्रत राय नहीं।

ठीक है.. लेकिन इसे लेकर तुम्हें फौरन ऑडिटीरियम से बाहर जाना होगा। मेरे गरदुल्ले बेटे की संगत में यह भी महीनों से नहाई नहीं लगती। बदबू से नाक में लगा सेंसर डैमेज हुआ जा रहा है।

जी महाराज.. मैं इसे ले कर अभी जाती हूँ.. महाराज का जय शाह हो।

अअ-अन्नू.. अनारा डाल्लिंग.. हमें छोड़ के मत जाओ.. अब मैं किसकी शेविंग करूँगा..

चुप रह नल्ले.. जब दीवार में चुनी जा रही थी तब न ख्याल आया.. तुझसे बेटर तो वह टोडर था, जो बचाये तो था अब तक।

आंय.. तो कक-क्या टोडर अंकल भी पप-प्रापर्टी होल्डर थे?

प्लाट उसी का था शेखू.. लेकिन तुम निक्करधारियों की समस्या ही यही है कि कुछ बनाने की काबिलियत है नहीं, बस बने बनाये अकबर पर अपना कब्जा कर के दीनदयाल का झंडा लगा दो।

मलब अअ-आप को भी सच्चा इतिहास पप-ता था.. मम-मैं किसी से नहीं बोलूंगा.. सबको ब्लाक कर दूंगा..

आदाब शहजादे

नन-नहीं दाबूंगा.. अअ-आंय.. आप कक-कौन मोहतरमा?

जी मैं नूरजहाँ.. आपके प्रोडक्ट लांच करने की जिम्मेदारी जिल्ले पिनहानी ने मुझे दी है..

ओह.. क्या तुम दाढ़ी मूंछ उगाओगी
 

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रचनाएँ
छोले
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किसी फिल्म की कहानी को आगे हास्य के रूप में परोसा जाये तो वों भी कम मनोरंजक नहीं होगी.. प्रस्तुत किताब एक ऐसी ही कल्पना है, जिसमे अलग-अलग कई हास्य-व्यंग्य लिए गये हैं...
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छोले

10 नवम्बर 2021
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<p>आइये आइये ठाकुर साहब.. कहिये क्या सेवा कर सकता हूँ?</p> <p>दो लफंगे हैं आपकी जेल में, जय और वीरू.

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सियासी मुशायरा

28 नवम्बर 2021
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<p>(एक बार की बात है— संसद चल नहीं पा रही थी, गतिरोध अपने चरम पर था और ऐसे में कोई और रास्ता न निकलत

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हकले आज़म

28 नवम्बर 2021
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<p><br> हे डूड.. कैसन पधारे?</p> <p>जी ख्वाजा साहब.. आपको तो पता है कि बुढ़ापा कुंडी खटखटा रहा है और

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हलकट सवाल

28 नवम्बर 2021
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<p>पुत्र अर्जुन। <br> जी गुरू द्रोण... <br> कलियुग से तुम्हारे लिये एक मेल आई है, हमारे अकाउंट में।

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चांद के टुकड़े

28 नवम्बर 2021
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<p>अरे बुर्राग... सुनो-सुनो <br> अरे जिबरील मामू आप भोराहरे भोराहरे... खैरियत तो है। <br> खैरियत ही

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अजब रपट

28 नवम्बर 2021
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<p>मोहे पिज्जाहट में चमनलाल छेड़ गयो रे.. मोहे पिज्जाहट में। <br> बेटा यह पुलिस स्टेशन है, तुम यहां क

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पादड़ी बीड़ी

28 नवम्बर 2021
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<p>अरे भाई साहब.. अंदर आ जायें का। <br> अंदर तो आ गये हो गंवार और कितना अंदर आओगे.. दिल में बसा के र

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