shabd-logo

बारिश पर कविता

hindi articles, stories and books related to baarish pr kvitaa


फिर आसमान में काली घटा छाई है, पत्नी ने फिर दो बाते सुनाई हैदिल कहता है सुधर जाऊँ, मगर पडोसन फिर भीग के आई है

ज़र्रा-ज़र्रा समेट कर खुद को बनाया है हमने,हम से यह ना कहना की बहुत मिलेंगे हम जैसे! 

दिल से किसी का हाथ अपने हाथो में लेकर देखोफिर मालूम होगा कि अनकही बातों को कैसे सुना जाता है

दिल का दर्द छुपा कर बाहर से मुस्कुरा देना, कैसे कहें क्या होता है किसी को पाकर गँवा देना! 

जिन लोगों को आपसे मिलने की चाहत ना हो, उन्हें बार-बार आवाज लगाया नहीं करते!

कहीं फिसल न जाओ जरा संभल के चलना, मौसम बारिस का भी है और मोहब्बत का भी! 

बरसातों के बादल अब दिल पर चूॅंयेगें तुम इन ऑंखों से अब गालों पर आओगी

किताब पढ़िए