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बच्‍चों के रोग अध्‍याय-5 ( होम्योपैथी के चमत्कार भाग -2 )

15 जून 2022

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                                        ( होम्योपैथी के चमत्कार  भाग -2 )

अध्‍याय-5

बच्‍चों के रोग

बच्‍चों के रोग इस प्रकार के होते है कि वे अपने लक्षणों को एंव अपनी बीमारीयों को नही बतला सकते] ऐसी परस्थितियों में हमें उनके प्रथमदृष्‍या लक्षणों पर ध्‍यान रखते हुऐ एंव उनके माता पिता जो लक्षण बतलायें उसके हिसाब से दवाओं  को चयन करना होता है । जैसाकि प्राय: बच्‍चों के मामले में कई प्रकार की प्रवृतियॉ इस प्रकार की होती है, जिसे मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पतद्धतियों में रोग नही माना जाता,  जैसे कि बच्‍चे का गोद में लेकर धूमने के लिये जिदद करना, अगूठा चूसना ,बाचाल बच्‍चे , या चौक कर उठना , क्षूठ मूठ के रोने की प्रवृतियॉ, हठी जिददी बच्‍चे, अत्‍याधिक क्रोधित बच्‍चे, रात में रोना दिन में सोना (इसका उल्‍टा), बिस्‍तर में पेशाब कर देना, मुंह से लार बहना इत्‍यादी, चूंकि बच्‍चों की इस प्रकार की प्रवृति होम्‍योपैथिक के राग लक्षणों में आता है एंवम ऐसे लक्षणों को होम्‍योपैथिक में रोग की श्रेणी में मानकर उसका उपचार किया जाता है  तथा इसके परिणाम भी आशानुरूप मिलते है । कभी कभी तो माता पिता को बडा अश्‍चर्य होता है जो बच्‍चा जिदद करता था या रात भर रोता था या फिर हकलाता या तोतलाता था होम्‍योपैथिक की छोटी छोटी गोलीयों से कैसे ठीक हो गया ।

बच्‍चों का बोलना चलना देर से सीखना :-

1-बच्‍चों का देर से बोलना सीखना (नेट्रम म्‍यूर) :- यदि बच्‍चा देर से बोलना सीखे तो नेट्रम म्‍यूर दवा का प्रयोग किया जा सकता है । इस का रोगी सहानुभूति से क्रोधित हो जाता है पुष्‍टीकारक भोजन करने पर भी रोगी दुर्बल होते जाता है, शरीर ऊपर से नीचे की तरफ सूखता है । इसके रोगी को नमक के प्रति विशेष चाह होती है । इस दवा का असर गहरा परन्‍तु दर से होता है,  इस दवा को 6 या 30 पोटेंशी में दिन में तीन बार देना चाहिये ।

2-बच्‍चा देर से चलना सीखे (कैल्‍केरिया कार्ब) :- यदि बच्‍चा देर से चलना सीखे तो कैल्‍केरिया कार्ब दवा देना चाहिये, वैसे तो कैल्‍केरिया कार्ब का मेरूदण्‍ड, टॉगे पतली और टेडी होने के साथ शरीर स्‍थूल मोटा, हडिडीया कमजोर, चलने फिरने में उसे तकलीफ होती है बच्‍चा दौड धूप नही कर सकता, हर समय थका थका सा रहता है जहॉ बैठाल दो मिट्टी के माधव की तरह बैठा रहता है , शरीर ठंडा परन्‍तु सोते समय पसीना आना जिससे तकिया भींग जाता है यह कैल्‍केरिया का विलक्षण लक्षण है ठंडे कमरे में भी पसीना आता है जबकि ठंडे कमरे में व्‍यक्ति को पसीना नही आना चाहिये, रोगी के पैर बर्फ की तरह ठंडे होते है एंव शरीर से खटटी बू आती है, परन्‍तु बच्‍चों का देर से चलना सीखने पर इसका प्रयोग करना चाहिये । प्रारम्‍भ में इस दवा को 12 या 30 पोटेंशी में कुछ दिनो तक देना उचित है । इसकी उच्‍च शक्ति का प्रयोग भी आवश्‍यकतानुसार किया जा सकता है ।

3-बच्‍चा बोलना एंव चलना दोनों देर से सीखे (एकारिकस) :- बच्‍चा यदि चलना एंव बोलना दोनों देर से सीखता हो तो उसे एकारिकस दबा देना चाहिये । इस औषधि के मुख्‍य लक्षण रोगी के अंगों का फडकना, मॉसपेशियों का थरथराना या कॉपना, शरीर में चींटी सी चलने की अनुभूति होना है ।

4 -  रात में रोना दिन में सोना

4-बच्‍चों का रात में रोना, दिन में सोना (जेलपा) :- यदि बच्‍चा रात में रोता हो और दिन में सो जाता हो व शान्‍त खेलता रहता हो, तो ऐसे बच्‍चों को जेलपा देना चाहिये , इसका बच्‍चा दिन भर तो अच्‍छी तरह से खेलता रहता है परन्‍तु रात्री में चिल्‍लाता है या रोता है डॉ सत्‍यवृत जी ने लिखा है कि यह बच्‍चों में पेट की गडबडी के कारण ऐसा होता है ,बच्‍चो को पेट र्दद और दस्‍त की भी शिकायत हो सकती है । इस परेशानी में 3, 6,12 पोटेंशी दवा  में दिन में तीन बार  देना चाहिये ।

(5) बच्‍चे का रात भर रोना दिन भर खेलना (सोरिनम) :-इस मामले में सोरिनम लाईको से उल्‍टा है । सोरिनम का बच्‍चा दिन भर खेलता है, परन्‍तु रात में रोता है । इस औषधि के निर्देशित लक्षण है इसके शरीर मल मूत्र ,पस तथा पसीने या शरीर से निकलने वाले स्‍त्रावों से बुरी गंध, सडे मॉस या अण्‍डे जैसी बदबू आती है । रोगी की त्‍वचा गंदी मैली होती है उसे कितना भी नहलाओं धुलाओं परन्‍तु वह साफ नही दिखता , रोगी नहाने से घबराता है , त्‍वचा खुरदरी, जगह जगह फटी हुई , त्‍वचा में दरारें जिसमें से रक्‍त आसानी से निकलता है ,खोपडी चहरे पर एग्‍जीमा, बिस्‍तर में रोगी को खुजली, गर्म मौसम में भी रोगी को ठंड महसूस होती है, उसी ठंडी हवा सहन नही होती । इस दवा की रोग स्थिति के अनुसार 200 या 1-एम पोटेंसी की दवा होम्‍यो सिद्धान्‍त के अनुसार देना चाहिये । 30 पोटेंसी की दवाओं से भी उचित परिणाम प्राप्‍त किये जा सकते है ।

6-बच्‍चा रात भर रोता है और दिन में ठीक रहता है (रियूम) :- यदि बच्‍चा रात भर रोता हो एंव दिन में ठीक रहता हो तो ऐसे बच्‍चों को रियूम  देना चाहिये  (डॉ सत्‍यवृत) । इसके बच्‍च्‍ो के शरीर से खट्टी बदबू तथा खट्टापन होता, बच्‍चे के शरीर व हर अंग से पसीना आता है उसमें खट्टी बदबू होती है । इसके बच्‍चे को संतुष्‍ट करना कठिन होता है यह तेज मिजाज का एंव अधिर होता है ।

7- बच्‍चा दिन में खेलता है लेकिन रात्री में रोता चिल्‍लाता है (साईप्रिपेडियम ) :- बच्‍चा दिन में तो अच्‍छी तरह से हॅसता खेलता रहता है, लेकिन रात होते ही रोने चिल्‍लाने लगता है, बच्‍चा रात्री में उठ कर एकाएक खेलने लग जाता है , हॅसने लगता है बच्‍चों में नींद की कमी पाई जाती है , यह दवा नीद के लिये भी उपयोगी है । इसके मूल अर्क को दस दस बूद दिन में तीन बार कुछ दिनों तक देना चाहिये, परन्‍तु 3, 6, 12 तथा 30 पोटेंसी में परिणाम बहुत अच्‍छे मिलते है इस दवा को दिन में तीन बार दिया जा सकता है ।

बच्‍चा दिन में रोता है एंव रात्रि में सोता

8-बच्‍चा दिन में रोता है एंव रात्रि में सोता है (लाईकोपोडियम):- यदि बच्‍चा दिन में रोता रहता है एंव रात्रि में सोता हो तो ऐसे बच्‍चों को लाईकोपोडियम दवा देना चाहिये । इसका बच्‍चा इतना स्‍नायु प्रधान होता है कि वह जरा सी खुशी पर भावुक हो जाता है, उसकी ऑखों से ऑसू आ जाते है, इसको ठंड बहुत लगती है, सोते हुऐ बिस्‍तर में पेशाब कर देना ,इसके बच्‍चे की शारीरिक संरचना दुबला पतला, पीला चहरा, पिचके हुऐ गाल, अपनी उम्र से अधिक दिखना, बच्‍चे का सिर बडा और ठिंगना, शरीर ऊपर से नीचे की तरफ क्षीण होता हुआ ।

9-बच्‍चों का चौक कर उठना (बोरेक्‍स) :- यदि बच्‍चा चौक कर उठता हो तो उसे बोरेक्‍स देना चाहिये । बोरेक्‍स का बच्‍चा बहुत ही स्‍नायविक होता है, जरा से में चौक उठता है , यदि मॉ बच्‍चे को गोद से उतार कर पलंग पर लिटाती है तो वह चौक जाता है । इस दवा को 3, 6,12 तथा 30 पोटेंसी में देने से अच्‍छे परिणाम प्राप्‍त किये जा सकते है ।

10-क्षूठ मूठ के रोने का उपक्रम (स्‍टेफिग्रेसिया):- यदि बच्‍चा क्षूठ मूठ के रोने का उपक्रम करे परन्‍तु ऑसू न आये तो ऐसी स्थितियों में उसे स्‍टेफिग्रेसिया 30 या 200 शक्ति में देने से उसकी यह आदत ठीक हो जाती है । इस दवा के निर्देशित लक्षणों में अपमान से क्रोध का घूंट पीने से जो भी रोग उत्‍पन्‍न होते हो ।  यह दवा बच्‍चों के मन पर भी प्रभाव करती है, बच्‍चों के क्रोध में कैमोमिला तथा स्‍टेफिग्रेसिया का प्रयोग किया जाता है, बच्‍चों के दॉत काले पड जाते है उन पर काली रेखायें दिखती है । इस दवा को 3, 6,12 तथा 30 पोटेंसी में देने से अच्‍छे परिणाम प्राप्‍त किये जा सकते है । रोग स्थिति के अनुसार इसकी उच्‍च शक्ति का प्रयोग भी किया जा सकता है ।

-हकलाना या तोतलाना

11-हकलाना एंव तोतलाना (स्‍ट्रामोनियम-धतूरा) :-  यह दवा धतुरे से बनाई जाती है धतूरा खाने पर रोगी को शब्‍द उच्‍चारण करने में देर तक प्रयास करना पडता है, यह स्थिति हकलाने एंव तोतलाने जैसी होती है, इसी लिये हकलाने एंव तोतलाने की स्थिति में इस दवा का प्रयोग करना चाहिये । निर्देशानुसार 30 शक्ति में दिन में तीन बार प्रयोग करना चाहिये परन्‍तु अनुभवों से ज्ञात हुआ है, कि इसकी 200 शक्ति की दवा सप्‍ताह में एक बार या फिर आवश्‍यकतानुसार कुछ अन्‍तरालों से देने पर भी अच्‍छे परिणाम मिलते है, कुछ गृन्‍थकारों ने 1-एम शक्ति की अनुशंसा की है । हमने भी कई ऐसे बच्‍चे जो हकलाते व तोतलाते थे उन्‍हे इसकी 200 शक्ति की दवा तीन तीन दिन के अन्‍तर से दिया, हमे इसके बहुत ही अच्‍छे आशानुरूप परिणाम मिले है ।

12- हकलाना एंव तोतलाना (कैनाबिस इंडिका- भांग) :-  कैनाबिस इंडिका को हम भांग कहते है इसे व्‍यक्ति नशा करने के लिये उपयोग करते है इसके सेवन से भी व्‍यक्ति एक वाक्‍य को शुरू करते ही आगे का वाक्‍य भूल जाता है उसे वाक्‍यों को बोलने में या शब्‍दों को बोलने में दिमाक पर काफी जोर लगाना पडता है इस स्थिति में वह हकलाता है या कभी कभी तोतलाने लगता है । निर्देशित प्रबल मानसिक लक्षणों में वह मरे हुऐ आदमियों के सपने देखता है और हर वक्‍त डरा रहता है, लगातार सिर हिलाता एंव बकवास करता रहता है । हमने हकलाने व तोतलाने के कई प्रकरणों में इस दवा को मात्र हकलाने व तोतलाने के लक्षणों पर प्रयोग किया एंव हमे आशानुरूप परिणाम मिले है । इस दवा को 30 एंव 200 शक्ति में प्रयोग किया जा सकता है ।

13-कैनेबिस (सैटाइवा- गांजा) :-  इस दवा के लक्षण भी हकलाने व तोतलाने की समस्‍यॉ पर  हूबहू कैनाबिस इंडिका से मिलते है , इसका रोगी भी वाक्‍य को शुरू करते ही आगे के वाक्‍यों को भूल जाता है अत: हकलाने व तोतलाने पर उक्‍त दोनो दवाओं में से किसी भी एक दवा का प्रयोग किया जा सकता है, इसके रोगी के विशिष्‍ट लक्षण है रोगी कपडे का स्‍पर्श सहन नही कर सकता । इस दवा को 30 एंव 200 शक्ति में प्रयोग किया जा सकता है ।

14- तोतलाने की अवस्‍था में (कास्टिकम):- तोतलाने की अवस्‍था में जिसमें दाहिनी जीभ अधिक प्रभावित हो एंव गले की आवाज कर्कश रहती हो, या फिर तोतलाना पक्षाधात की वजह से हो तो इस दवा का प्रयोग करना चाहिये , इस दवा का प्रयोग रोगावस्‍था के अनुसार 200 या 1-एम शक्ति का प्रयोग निर्देशित अंतराल से करना चाहिये, कुछ चिकित्‍सक निम्‍न शक्ति की अनुशंसा करते है जैसे 6 या 30 पोटेंसी की मात्रा दिन में तीन बार एक या दो सप्‍ताह प्रयोग करने पर उचित परिणाम परिलक्ष्ति होने लगते है ।

15- वृद्ध स्त्रीयों के तोतलाने पर (बोविस्‍टा):- यह दवा वृद्ध स्‍त्रीयों के तोतलाने पर एंव अन्‍य व्‍यक्तियों के तोतलाने पर भी उपयोगी है । इस दवा को 30 एंव 200 शक्ति में प्रयोग किया जा सकता है ।

16-जीभ मोटी होने के कारण हकलाता हो (जैल्सियम) :- शरीर की समस्‍त मॉसपेशीयों में सून्‍नता जींभ की क्रिया में बाधा पड जाना उसका काम ठीक से न हो पाना अंग उसकी इक्‍च्‍छा से कार्य न करते हो, सम्‍पूर्ण शरीर की शिथिलता के कारण यदि जीभ हकलाती हो तो इस दवा का प्रयोग किया जा सकता है, कुछ चिकित्‍सकों का अभिमत है कि जींभ मोटी होने के कारण हकलाहट होने पर भी यह दवा उपयोगी है । जैल्सियम 30 शक्ति की दवा का प्रयोग नियमित कुछ दिनों तक करना चाहिये । आवश्‍यकतानुसार इसकी उच्‍च शक्ति का प्रयोग निर्देशित लक्षणों के अनुसार किया जा सकता है ।

बच्‍चों के रोने एंव जिदद करने के उपक्रम :-

17-बच्‍चों का अनावश्‍यक जिदद करना (कैमोमिला) :- यदि बच्‍चा अनावश्‍यक जिदद करता हो एंव उसे गुस्‍सा आता हो तथा चिडचिडाता हो एंव जो भी चीजे दो उसे फेक देता हो तो उसे कैमोमिला देना चाहिये, इससे अनावश्‍यक जिदद करने एंव चिडचिडाने तथा क्रोधित होने की प्रवृति बदल जाती है । इस दवा को 30 शक्ति में दिन में तीन बार या उच्‍च शक्ति में निर्देशानुसार प्रयोग करने से अच्‍छे परिणाम मिलते है ।

18-बच्‍चों का गोद में धूमने के लिये जिदद करना (एन्‍टीमोनियम टार्ट) :- यदि बच्‍चा गोद में टंगा रहता हो या गोद में धूमने के लिये जिदद करता हो, किसी अपरिचित व्‍यक्ति द्वारा देखने या छूने पर रोने लगता हो तो ऐसे बच्‍चों को एन्‍टीमोनियम टार्ट देना चाहिये । इस दवा की 30 शक्ति या आवश्‍यकतानुसार 200 शक्ति की दवा का प्रयोग किया जा सकता है ।

19-हठी जिद्धी, क्रोधि, चिडचिडा, चिल्‍लाना व लाते मारना (सैनिक्‍युला):- यदि बच्‍चा हठी क्रोधि, चिडचिडा ,चिल्‍लाता व लाते मारता हो , किसी को छूने नही देता हो, एक क्षण में क्रोधित तो दूसरे ही क्षण में जोर से हॅसने लगना, इन लक्षणों पर सैनिक्‍युला दवा का प्रयोग करना चाहिये । इस दवा की 30 शक्ति या आवश्‍यकतानुसार 200 शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है ।

20-बच्‍चा चालाक चंचल और विंध्‍वस्‍क है चीजों को तोडता फोडता है (टेरेंटुला )- यदि बच्‍चा चालाक विंध्‍वस्‍क है, चीजों को तोडता फोडता है, तो ऐसे बच्‍चो की दवा टेरेटुला होगी, 30 शक्ति या आवश्‍यकतानुसार 200 शक्ति या उच्‍च शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है ।

21-जिददी बच्‍चें (एण्टिमोनियम क्रूडम):- बच्‍चे का अपरिचित व्‍यक्तियों द्वारा छूने या उसकी तरफ देखने पर बच्‍चा रोने लगता है , बच्‍चा जिददी चिडचिडा होता है ,बच्‍चों को प्‍यास का न लगना इन लक्षणों पर एण्टिम क्रूडम दवा दिया जाना चाहिये, 30 शक्ति या आवश्‍यकतानुसार 200 शक्ति या फिर इससे भी उच्‍च पोटेंसी का उपयोग किया जा सकता है ।

22-बच्‍चों में चिडचिडापन (एन्‍टीमोनियम टार्ट):- यदि बच्‍चों में चिडचिडापन हो तो ऐसी अवस्‍था में उन्‍हे एन्‍टीमोनियम टार्ट देना उचित है ,इसके बच्‍चों में श्‍वास सम्‍बन्धित परेशानीयॉ, बच्‍चों की पसली चलने पर यह उपयोगी है, जबकि एण्टिमोनिय क्रूडम में पेट से सम्‍बन्‍धत समस्‍यायें होती है, यह दोनों दवायें बच्‍चों के मामले में एक सी है, जैसे बच्‍चे का किसी अपरचित व्‍यक्ति के द्वारा छूने पर या उसकी तरफ देखने पर वह रोने लगता है बच्‍चा चिडचिडा होता है, खुली हवा पसंद करता है,  30 शक्ति या आवश्‍यकतानुसार 200 शक्ति की दवा का प्रयोग किया जा सकता है ।

बच्‍चों की अन्‍य प्रवृत्तियॉ

23-कमजोर दिमाक के बच्‍चे (इथूजा):- डॉ0 क्‍लार्क कमजोर दिमाक के बच्‍चों को इथूजा दिया करते थे । अत: ऐसे कमजोर दिमाक के बच्‍चे जिनका मन किसी कार्य में न लगे दिमाकी रूप से कमजोर हो उन्‍हे इथूजा देना चाहिये इससे उनका दिमाक विकसित होने लगता है, यह दवा 3, 6, 12,या 30 पोटेशी में दिन में तीन बार कुछ दिनो तक देना चाहिये । इस दवा के उच्‍च शक्ति के प्रयोग से भी आशानुरूप परिणाम मिलते है ।

24-बदमिजाज बच्‍चे (कैल्‍केरिया फॉस, कैली फॉस) :- कई बच्‍चें बदमिजाज हुआ करते है, उनका स्‍वाभाव किसी से मेल नही खाता , ऐसे बच्‍चों को बायोकेमिक दवा  कैल्‍केरिया फॉस, कैली फॉस 6 या 12 एक्‍स पोटेंसी में दिन में तीन बार कुछ दिनों तक नियमित देना चाहिये । उक्‍त दवाओं को पर्याक्रम से या आपस में मिला कर भी दी जा सकती है ।

25-बच्‍चों में असन्‍तुष्टि (कैल्‍केरिया फॉस):- यह दवा बच्‍चों के समविकाश की औषधि है , जो कैल्शियम तथा फास्‍फोरस के योग से निर्मित एक बायोकेमिक दवा है, जो दोषपूर्ण शारीरिक विकाश की महौषधि है, इस दवा का बच्‍चा दुबला पतला, सुकडा हुआ, जिसकी छाती की हड्डीयॉ स्‍पष्‍ट नजर आती है ।  यदि बच्‍चों में असन्‍तुष्टि के लक्षण दिखलाई दे तो कैल्‍केरिया फॉस दवायें 3, 6 या 12-एक्‍स पोटेंसी में दिन में तीन बार नियमित कुछ दिनों तक देना चाहिये ।

26-अत्‍याधिक लज्‍जा (कैली फॉस) :- यह भी बायोकेमिक दवा है जिसका प्रभाव मस्तिष्‍क कोष्‍ठकों में शक्ति का संचार करना है बच्‍चों में घर जाने की इक्‍च्‍छा, बच्‍चा शक्‍की होता है ,स्‍मृति शक्ति की कमी छोटी छोटी बातों से परेशान हो जाना, बच्‍चों का अत्‍याधिक लज्‍जाशील स्‍वाभाव, तथा मस्तिष्‍क सम्‍बंधित कई प्रकार की व्‍याधियॉ इससे ठीक हो जाती है ।  कैली फॉस दवा दवा 3, 6 या 12 एक्‍स पोटेंसी में दिन में तीन बार कुछ दिनों तक नियमित देना चाहिये ।

27-बाचाल प्रवृति (फैरम फॉस, नेट्रम म्‍यूर):- यदि बच्‍चे बाचाल प्रवृति के हो, तो ऐसे बच्‍चों को फैरम फॉस, नेट्रम म्‍यूर दवायें 3, 6 या 12 एक्‍स पोटेंसी में दिन में पर्यायक्रम से या फिर दोनों दवाओं को आपस में मिश्रित कर तीन बार कुछ दिनों तक नियमित देना चाहिये ।

28-बोलने व लिखने में गलत शब्‍दों का प्रयोग करना (कैली फॉस) :- बोलने व लिखने में गलत शब्‍दों का प्रयोग करने पर कैली फॉस दवा 3, 6 या 12 एक्‍स पोटेंसी में दिन में तीन बार कुछ दिनों तक नियमित देना चाहिये ।

29-बच्‍चा नॉक खुजलाता हो (सिना):- यदि बच्‍चा बार बार नॉक खुजलाता हो, चिडचिडाता हो तो समक्षना चाहिये उसके पेट में कीडे हो सकते है, उसे सिना 30 पोटेंसी में दिन में तीन बार नियमित देना चाहिये ।

30-बच्‍चे में कटने की प्रवृति है (बेलाडोना):- बच्‍चा यदि कटखना है तो ऐसे बच्‍चों को बेलाडोना 30 पोटेंसी में या उच्‍च शक्ति में प्रयोग करना चाहिये ।

31-अंगूठा चूसना ( नेट्रम म्‍यूर 1-एम) :- कई बच्‍चों यहॉ तक की बडे व्‍यक्तियों में भी अंगूठा चूसने की बुरी आदत देखी जाती है । इस प्रकार की आदत को छुडाने में नेट्रम म्‍यूर 1-एम शक्ति की दवा का प्रयोग पन्‍द्रह दिन या सात दिनों के अन्‍तराल से करना चाहिये  यह दवा साधारण नमक को शक्तिकृत कर बनाई जाती है । प्रारम्‍भ में इस दवा को 30 शक्ति में देते हुए कुछ दिनों बाद 200 शक्ति में सप्‍ताह में एक बार इसके दो तीन माह बाद 1-एम शक्ति में देना चाहिये कुछ दिनों बाद अंगूठा चूसने यह प्रवृति बदलने लगती है ।

32-बच्‍चे में क्रूरता एंव नैतिक भावों का अभाव ( ऐनाकार्डियम )- कई बच्‍चों में क्रूरता के भाव देखे जाते है एंव उनमें नैतिक भाव नही होता, ऐसे बच्‍चों को एनाकार्डियम दवा का बच्‍चा समक्षना चाहिये । एनाकार्डियम भेलमा से बनाई जाने वाली एक ऐसी दवा है जिसका प्रयोग याददास्‍त बढाने में किया जाता है । ऐसे बच्‍चों की याददास्‍त भी कमजोर होती है एंव वे भूलते अधिक है । इस प्रकार के बच्‍चों को 30 या 200 शक्ति की दवा देना चाहिये । आवश्‍यकतानुसार उच्‍च शक्ति का प्रयोग भी किया जा सकता है ।

33- बच्‍चों का पहली नीद में या जागते हुऐ पेशाब निकल जाना (कास्टिकम) :- बच्‍चों का बिस्‍तर में पहली नींद में ही पेशाब कर देना या जागते हुऐ भी अंजाने में पेशाब निकल जाना । बच्‍चों के मन मे भय बैठ गया हो तो भी यह दवा उपयोगी है । 30 से 1-एम शक्ति का प्रयोग निर्देशानुसार किया जा सकता है ।

डॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देल

बी0 एच0 एम0 एस0, एम0 डी0

जन जागरण चैरीटेबिल हॉस्पिटल

हीरो शो रूम के बाजू बाली गली नर्मदा बाई स्‍कूल

बण्‍डा रोग मकरोनिया सागर म0प्र0

खुलने का समय 10-00 से 4-00 बजे तक

मो0-9300071924

मो0 9926436304

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                                                                  (होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग-2)     अध्‍याय-3      होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा का उदभव     किसी ने सत्‍य ही कहॉ है, आवश्‍यकता आविष

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हिस्‍टीरिया रोग अध्‍याय-7 (होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग’2)

19 जून 2022
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(होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग’2)                                                      अध्‍याय-7                                                    हिस्‍टीरिया    रोग  हिस्‍टीरिया एक ऐसा मानसिक रो

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वृद्धावस्‍था और होम्योपैथीक उपचार अध्याय - 6

30 जुलाई 2022
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                                         अध्‍याय-6                                          वृद्धावस्‍था वृद्धावस्‍था कोई रोग नही है ,यह जीवन की सच्‍चाई है , परन्‍तु वृद्धावस्‍था मे कई प्रकार की समस

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नशे की आदते और उसके दुष्‍परिणाम ( अध्‍याय-8)

30 जुलाई 2022
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                                          अध्‍याय-8                            नशे की आदते और उसके दुष्‍परिणाम   नशा किसी भी प्रकार का हो इससे स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा प्रभाव पडता है ,आज के इस बदलते दौर

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मुंह में छाले (अध्‍याय-9

30 जुलाई 2022
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अध्‍याय-9 मुंह में छाले मुंह में छाले होना कोई बीमारी नही है, यह प्राय: पेट की खराबी या कब्‍ज की वजह से भी हो सकती है, जिसका उपचार कब्‍ज दूर करने से प्राय: हो जाता है ,। परन्‍तु यदि बार बार लम्‍बे स

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शरीर के विभन्‍न स्‍थलों की व्‍याधियॉ ( अध्‍याय-10)

30 जुलाई 2022
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अध्‍याय-10 शरीर के विभन्‍न स्‍थलों की व्‍याधियॉ (अ)-कन्‍धे के दाये पार्श्‍व का र्दद – (1)-दवा की क्रिया दाहिनी तरफ दाहिना पैर वर्फ की तरह ठंडा (चिलि‍डोनियम मेजस) :- यह एक बनस्‍पतिक वर्ग की दवा है ज

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पथरी ( अध्‍याय-11)

30 जुलाई 2022
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                          अध्‍याय-11                               पथरी    पथरी एक ऐसा रोग है जिसमें मूत्राश्‍य एंव गुर्दे में पथरी बनने लगती है । कुछ मरीजों में तो उपचार के बाद बाद भी बार बार पथरी

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क्‍वान्‍टम थेवरी

30 जुलाई 2022
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क्‍वान्‍टम थेवरी क्‍वान्‍टम थेवरी :- जहॉ से भौतिक वस्‍तुओं का अस्तित्‍व समाप्‍त होने लगता है वहॉ से सूक्ष्‍म अर्थात क्‍वान्‍टम थैवरी का सिद्धान्‍त प्रारम्‍भ होने लगता है ।  यहॉ पर हमारे वस्‍तु शब्‍द

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