अध्याय-8
नशे की आदते और उसके दुष्परिणाम
नशा किसी भी प्रकार का हो इससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पडता है ,आज के इस बदलते दौर में नशा एक फैशन बनता जा रहा है । आज हमारे देश में ही नही बल्की पूरा विश्व नशे जैसी महामारी का शिकार होता जा रहा है , शराब हो या बीडी ,सिगरेट, तम्बाखू से निर्मित वस्तुयें ,गॉजा, भॉग आदि आप को यह जानकर आर्श्चय होगा कि हमारे देश में बाल मजदूर ,रल्वे या अन्य जगहों पर कार्य करने वाले बच्चों यहॉ तक की बडों या महिलाओं के द्वारा नशा लेने के लिये कई प्रकार के धातक वस्तुओं का सेवन किया जा रहा है । उनमें से प्रमुख है तम्बाखू ,खैनी, वाईटनर, आयोडेक्स, पेट्रोल, आयुर्वेदिक एंव होम्योपैथिक की कई ऐसी औषधियॉ जिनमें एलकोहल होती है, उसका प्रयोग नशे के रूप में किया जा रहा है, चूंकि ये वस्तुयें एक तो आसानी से उपलब्ध हो जाती है दूसरा ये शराब की कीमत से सस्ती होती है यह तो बात नशे की हुई । बच्चों से लेकर बडे बूंढो और तो और महिलाओं तक में तम्बाखू या तम्बाखू से निर्मित पान मसाले खॉने व खिलाने का प्रचलन आम हो गया है । लगातार तम्बाखू के सेवन के परिणाम भी सामने आने लगे है, इसके लगातार सेवन से मुंह में छॉलों की शिकायत शुरू हो जाती है धीरे धीर यह कैंसर जैसी घातक बीमारी में परिवर्तित हो जाती है और जब तक इस बीमारी का पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है । हमारी संस्था जो नशामुक्ति के क्षेत्र में कार्य कर रही है हमाने बाल मजदूरो से लेकर बडे बूढों तक को इस आदत में लिप्त देखा है, यहॉ तक कि कुछ लोगों को मुह में बार बार छॉल होने यहॉ तक की खाने पीने में परेशानी होने पर भी वे तम्बाखू नही छोड पा रहे थे । कई लोगों को कैंसर डिक्लेयर होने के कारण डॉ0 ने तम्बाखू सिगरेट तम्बाखू छोडने को कहॉ परन्तु सब कुछ जानते हुऐ भी वे इस नशे से निजात नही पा रहे थे ।
शराब छोडने के लिये
1-व्हीस्की छोडने के लिये (सल्फर,लीडम पाल):- ऐसे शराब के आदि व्यक्ति जो व्हीस्की पीने के आदि है उन्हे सल्फर 30 शक्ति में कुछ दिनों तक देना चाहिये, इससे उन्हे शराब के प्रति अरूचि हो जाती है धीरे धीरे शराब पीने की आदत कम होती जाती है । कुछ चिकित्सक सल्फर 200 शक्ति की दवा देने के पक्षधर है । डॉ0 सत्यवृत जी ने अपनी मेटेरिया मेडिका में लिखा है कि लीडम पाल विस्की के प्रति अरूचि पैदा कर देता है तथा यह तम्बाखू खाने की आदत को भी छुडा देता है ।
2-बियर छोडने के लिये (सीपिया):- ऐसे शराब के आदि व्यक्ति जो बियर पीने के आदि हो उन्हे नक्स वोमिका 30 या सीपिया 30 में देना चाहिये , उक्त दोनो दवाओं को प्रर्यायक्रम में भी दिया जा सकता है इससे ऐसे व्यक्तियों की यह आदत बदल जाती है ।
3-ब्रान्डी छोडने के लिये (कास्टिकम) :- वैसे तो शराब पीने के आदि व्यक्तियों में ब्रान्डी पीने के आदि व्यक्ति कम ही होते है परन्तु यदि कुछ व्यक्तियों में यदि ब्रान्डी पीने की आदत हो तो उन्हे कास्टिकम 30 शक्ति में कुछ दिनो तक देना चाहिये प्रारम्भ में इस दवा को 30 पोटेंशी में देना चाहिये फिर 200 शक्ति की दवा सप्ताह में एक बार देना चाहिये इससे ब्रान्डी के प्रति अरूची पैदा हो जाती और धीरे धीर यह आदत बदल जाती है ।
4- सूरापान की उत्कृष्ट इक्च्छा को सफलतापूर्वक दबाई जा सकती है (सल्फूरिक ऐसिड):- डॉ बोरिक ने अपनी मेटेरिया मेडिका में स्पष्ट लिखा है कि सल्फूरिक ऐसिड की दस से पन्द्रह बूंद की मात्रा दिन में ती बार कुछ दिनों तक देने से सुरापान की उत्कृष्ट इक्च्छा सफलतापूर्वक दबाई जा सकती है ,और एक दो माह में ही रोगी का शराब पीना पूर्णत: छुडया जा सकता है ।
5-मदरापान की आदत को काबू में करने के लिये (स्टर्क्यूलिया क्यू) :- स्टर्क्यूलिया क्यू की दस दस बूंद दिन में तीन बार देने से मदिरापान की आदत को काबू में रखा जा सकता है, यह दवा भूंख व पाचन शक्ति को बढाती है यदि दस दस बूंदो से परिणाम न मिले तो इस दवा की एक ड्राम तक ली जा सकती दवा रोज दिन में तीन बार दिया जा सकता है ।
6-शराब की उत्कृष्ट इक्च्छा पर काबू (सिनकोना रूबा क्यू) :- डॉ0 क्लार्क ने लिखा है कि सिनकोना रूब्रा क्यू की तीस तीस बूंद देने से भी शराब की उत्कृष्ट इक्च्छा पर काबू पाया जा सकता है ।
7-पुराने पियक्कडों के लिये (क्वेरकस ग्लण्डियम स्पिरिटस क्यू) :- पुराने पियक्कडों के लिये यह दवा क्यू में दस दस बूंद की मात्रा में रोज दिन में तीन बार कई माह तक देने से यह सुरापान की इक्च्छा को भी दूर किया जा सकता है इसके अलावा प्लीहा शोथ को भी यह दवा ठीक कर देती है
8-शराब व अन्य नशा करने से स्वास्थ्य खराब (हाईड्रैस्टिस कैन क्यू ):- शराब व अन्य नशा करने वाले व्यक्ति जिनका स्वास्थ्य खराब हो गया हो पाक स्थली यकृत की क्रिया में विकृति हो गयी हो इसका रोगी बहुत ही दुर्बल व कमजोर और हर समय अपनी बीमारी के विषय में बात करने वाला होता है कब्ज, अजीर्ण ,कलेजा धडकतना, सर्दी ,खॉसी और धॉव यह सब रोग में यह दवा दी जा सकती है । यह दवा क्यू पोटेंशी में दस दस बूंद दिन में तीन बार देना चाहिये ।
9-शराब पी कर बकवास करना (कैनाबिस इंडिका 200) :- कई शराबी व्यक्ति शराब पी कर अनावश्यक बकवास करते है उन्हे कैनाबिस इंडिका 200 की एक मात्रा सप्ताह या तीन तीन दिन में अन्तर से देना चाहिये । इससे शराब पीकर बकवास करने की आदत में सफलता मिलती है । यह दवा 30 पोटेंशी में भी दिन में तीन तीन बार दी जा सकती है ।
10-शराब छूडाना (सल्फर 1-एम):- ऐसे लोग जो रात दिन शराब पीते है उन्हे सुबह खाली पेट सल्फर 1-एम की एक खुराक सप्हात में या पन्द्रह दिनों के अन्तर से लम्बे समय तक कई दिनो तक देना चाहिये यह सोरा दोष नाशक दवा है ,अत: यदि मरीज में सोरा दोष के लक्षण देखे जाते हो तो इस दवा को देना उचित है ।
अभिमत :- शराब या तम्बाखू, बीडी, सिगरेट के आदि व्यक्तियों को इसकी आदत छुडाने के लिये सर्वप्रथम कैलेडियम जैसी दवाओं का उच्च शक्ति में प्राय: सी एम शक्ति का एक डोज देने के बाद जो भी दवाये निर्वाचित हो देना चाहिये, साथ ही तम्बाखू सेवन के दोष से उत्पन्न समस्याओं को दूर करने के लिये आसैनिक तथा टोबेकम दवा का भी प्रयोग बीच बीच में करना चाहिये ।
7- बीडी सिगरेट (स्मोकिग), तम्बाखू की आदत करने की आदत
चैन स्मोकर की आदत :- ऐसे व्यक्ति जो बीडी सिगरेट एक के बाद एक पीते जाते है उन्हे चैन स्मोकर कहते है, ऐसे व्यक्तियों केा कैलेडियम सी एम का एक डोज देना चाहिये साथ ही एवाना सिटाईवम क्यू में देना चाहिये इससे उनकी यह आदत धीरे धीरे बदलना शुरू हो जाती है एंव धीरे धीरे नशे की आदत कम होने लगती है । डॉ0 सत्यवृत जी ने अपनी मेटेरिया मेडिका मे लिखा है कि कैलेडियम दवा से ध्रूमपान की इक्च्छा के प्रति अरूची पैदा हो जाती है यहॉ तक की तम्बाखू खाने की आदत भी छूट जाती है । फॉसफोरस व सल्फर की कमी से तम्बाखू व नशा करने की इक्च्छा होती है , इसलिये सल्फर व फॉसफोरस की उच्च शक्ति का प्रयोग अन्य दवाओं के साथ करना चाहिये ।
तम्बाखू की आदत
11-तम्बाखू एंव अफीम छोडने के लिये (आरम म्यूर 12 एक्स) :- तम्बाखू एंव अफीम एक ऐसा नशा है जिसे नशा करने वाला व्याक्ति सब कुछ जानते हुऐ भी छोडने में असमर्थ होता है । डॉ0 हेल का कथन है कि आरम म्यूर 12 एक्स का कुछ दिनों तक सेवन किया जाये तो तम्बाखू एंव अफीम खाने की आदत छूट जाती है ।
12-तम्बाखू खाने की प्रबल इक्छा (डेफिन इंडिका ऐवाना सिटाईवम क्यू0) :- ऐसे आदती व्यक्ति जिन्हे तम्बाखू खाने की प्रबल इक्चछा होती है ऐसे व्यक्तियों को डेफिन इंडिका 1 एक्स या मूल अर्क शाक्ति की दवा कुछ दिनों तक नियमित दी जाये तो उनकी तम्बाखू खाने की प्रबल इक्छा कम हो जाती है एंव धीरे धीर यह आदत छूट जाती है । यदि इस दवा के साथ ऐवाना सिटाईवम क्यू0 में लिया जाये तो धीरे धीरे तम्बाखू के प्रति अरूचि हो जाती है एंव व्यक्ति धीरे धीरे तम्बाखू छोड देता है ।
13-जर्दा खाने के कारण उत्पन्न दोष (आसैनिक एल्ब 30) :- नियमित रूप से तम्बाखू खाने के दोषों को दूर करने के लिये जिसमे चक्कर आये , घबराहट हो ,मरीज एक जगह स्थिर न रहता हो , शारीर में जलन हो उल्टी की इक्च्छा हो तो आसैनिक एल्ब 30 पोटेंशी की दवा का प्रयोग दिन में तीन बार कुछ दिनों तक करना चाहिये, इससे उत्पन्न तम्बाखू खाने से उत्पन्न दोषों में लाभ होता है ।
14-तम्बाखू खाने के कारण दन्तशूल (क्लिमेटिस और प्लैण्टेगो); - तम्बाखू खाने से वैसे तो कई प्रकार के दोष उत्पन्न होते है, परन्तु यदि नियमित तम्बाखू सेवन से दन्तशूल होता हो तो क्लीमेटिस या प्टैण्टेगो दवा 30 पोन्टशी में दिन में तीन तीन बार कुछ दिनों तक प्रयोग करने से इस समस्या पर निजात पाई जा सकती है ।