अध्याय-11
पथरी
पथरी एक ऐसा रोग है जिसमें मूत्राश्य एंव गुर्दे में पथरी बनने लगती है । कुछ मरीजों में तो उपचार के बाद बाद भी बार बार पथरी बनती है । पथरी का उपचार समय रहते न कराने पर अपरेशन तक की नौबत आ जाती है । पथरी दो तरह की होती है ।
(अ) पित्त पथरी (Gall Stone) :- पित्त कोष में पित्त के रस के जमने से पित्त पथरी बनती है पित्त दाहिने तरफ होता है इस लिये र्दद दाहिने तरफ पेट में होता है यह पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होती है ।
(ब) मूत्र पथरी (Urinary Stone or Renal Stone) :- यह किडनी मूत्र पिंड में होती है परन्तु जब तक यह मूत्र पिण्ड में रहती है र्दद नही होता परन्तु जैसे ही यह मूत्र पिण्ड से खिसक कर मूत्राश्य में चली जाती है तब र्दद होने लगता है यह प्राय: पुरूषों को होता है । होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में इसके बहुत ही अच्छे उपचार मौजूद है ।
(अ) पित्त पथरी (Gall Stone)
1-पित्त पथरी के र्दद को दूर करने के लिये (कैल्केरिया कार्ब 30,200):- पथरी के कष्ट को दूर करने के लिये कैल्केरिया कार्ब उत्तम दर्ज की दवा है इस दवा का प्रयोग पित्त पथरी के र्दद को दूर करने के लिये आवश्कतानुसार उपरोक्त किसी भी शक्ति में प्रयोग किया जा सकता है ।
2-यदि कैल्केरिया कार्ब से लाभ न हो (बरर्बेरिस बल्गेरिस):- यदि कैल्केरिया कार्ब से लाभ न हो तो बरर्बेरिस बलगेरिस 30 या 200 शक्ति में प्रयोग करने से पित्त की पथरी के र्ददों में अराम मिलता है । वैसे र्दद की इस स्थिति में कुछ चिकित्सक कैल्केरिया कार्ब 30 या 200 शक्ति में देने के साथ बरर्बेरिस बल्गेरिस 30 या 200 शक्ति का प्रयोग प्रयार्यक्रम से करते है । इससे पित्त पथरी के र्दर्दो में राहत मिल जाती है ।
3 पथरी तथा गठिये में (आर्टिका यूरेंस क्यू) :- डॉ0 बर्नेट का कहना है कि पथरी और गठिये में कुछ दिनों तक आर्टिका क्यू में उपयोग करने से ठीक हो जाता है ।
4 पित्त पथरी के र्दद के लक्ष्ण न मिल पाने पर गॉल स्टोन या पित पथरी (कोलेस्टरीन 2,3 विचूर्ण) :-यह दवा गॉल स्टोन से बनी नोसोड दवा है पित्त पथरी में जब र्दद के लक्षण न मिले तब कोलेस्टरीन 2 एक्स या 3एक्स में दिन में तीन बार प्रयोग किया जाना चाहिये । डॉ स्वान लिखते है कि पित्त पथरी के र्दद में यह दवा अचूक है तथा र्दद को तुरन्त दूर कर देती है । डॉ0 घोष ने इस दवा की 3एक्स या 6एक्स में अधिक उपयोग की सिफारिश की है
5 गुर्दे में पाई जाने वाली पथरी (पोलीगोनम):- गर्दे में पाई जाने वाली पथरी के लिये पोलीगोनम एक अत्यन्त उत्तम दबा है ।
6 यूरेट आफ सोडा का गुर्दे में बैठने से गुर्दे की पथरी (साईलेसिया) :- डॉ सत्यवृत जी ने लिखा है कि कभी कभी यूरेट आफ सोडा गुर्दे में बैठ जाता है जिससे गुर्दे में पथरी बन जाती है डॉ0सुशलर का कहना है कि इस अवस्था में साईलेसिया यूरेट से मिलकर उसे धोल देती है एंव उसे शरीर से निकाल देती है इस लिये गुर्दे की पथरी व जोडों के दर्द में साईलैसिया लाभप्रद है ।
7-पित्त पथरी की प्रकृति को रोकना (कैली बाईक्रोमिकम):- जिगर की बीमारी में जब पित्त पथरी बन जाती है तब इसके प्रयोग से शुद्ध पित्त बनने लगता है और पित्त पथरी बनने की प्रकृति बदल जाती है यदि रोगी में पित्त पथरी बन चुकी है तो वह गल जाती है ।
8-पित्त पथरी के र्दद में (चैलिडोनियम):- पित्ताश्य से पित्त की पथरी जब छोटी प्रणालिका में फॅस जाती है तो रोगी को असहनीय र्दद होता है , इन परस्थितियों में चेलिडोनियम इस रूके हुऐ प्रणालिका को खोल देती है , इससे पित्त पथरी बिना र्दद के निकल जाती है ।
(ब) मूत्र पथरी (Urinary Stone or Renal Stone)
1-मूत्र पथरी एंव पित्त पथरी दोनों में (बरबेरिस बलगेरिस क्यू कैल्केरिया कार्ब):- यह दवा मूत्र पथरी एंव पित्त पथरी दोनो में उपयोगी है अत: कैल्केरिया कार्ब 30 में दिन में तीन बार एंव बरबेरिस बल्गे0क्यू या 30 शक्ति में प्रर्याक्रम से दिन में तीन बार देने से दोनो प्रकार की पथरी में लाभ होता है । अनुभवों से ज्ञात हुआ है कि कैल्के कार्ब 200 शक्ति की एक मात्रा सुबह एंव बरबेरिस बल्गेरिस क्यू की पन्द्रह से बीस बूदे आधा कप पानी में दिन में तीन बार देने से या आवश्यकतानुसार देने से लाभ होता है ।
2-पेशाब में तलछट सफेद रग का (सार्सापैरिला) :- यदि रोगी के पेशाब को रखने पर उसका तलछट सफेद रंग का होता है तब यह पथरी एंव गुर्दे के र्दद में उपयोगी है इस दवा का एक और विचित्र लक्षण है रोगी का र्दद गर्म खाने से तो बढता है परन्तु गर्म सेक से उसे अराम मिलता है । इसके रोगी को पेशाब कर चुकने के बाद अत्यन्त र्दद होता है ।
3-मूत्र में लाल कणों का तलछट जमना (लाईकोपोडियम) :- रोगी के मूत्र को रखा जाये तो लाल कणों का तलछट जमा हो जाता है ,इसके रोगी को पेशाब करने से पहले कमर में र्दद होता है परन्तु पेशाब कर चुकने के बाद र्दद ठीक हो जाता है सार्सापैरिला से उल्टा । इसके रोगो पेशाब करने के लिये जोर लगाना पडता है पेशाब धीरे धीरे होती है एंव कभी कभी पेशाब रूक जाती है लाईकोपोडियम 200 शक्ति में देने से उक्त परेशानीयों में लाभ होता है इस दवा से मूत्र बनने की प्रवृति रूक जाती है ।
4-मूत्र पथरी मे पीठ की तरफ झुकने से आराम (डायस्कोरिया क्यू):-मूत्र पथरी में रोगी को पीठ की तरफ झुकने पर आराम मिलता है रोगी एक जगह बैठता नही है दर्द के समय वह चलता फिरता रहता है इन परस्थितियों में या लक्षणों पर मूल अर्क में दस दस बूंद दिन में तीन बार देना चाहिये ।
5- यूरिक ऐसिड की प्रवृति ओसियम कैनम (तुलसी के पत्ते का रस ) :- रोगी में यूरिक ऐसिड की प्रवृति पेशाब में लाल तल छट गुर्दे में र्दद खॉसतौर पर दाहिने तरफ ऐसी स्थिति में इस दवा
6-पेशाब में सफेद तल छट (हाइड्रैन्जिया) :- पेशाब में सफेद तल छट या खून के गुर्दे का र्दद खॉस कर बाई पीठ में र्दद मूत्र नली पर इसका विशेष प्रभाव है । इस दवा के पॉच से दस बूंद टिंचर दिन में तीन चार बार देना चाहिये । मूत्र पथरी के लिये हाईड्रजिंयॉ क्यू काफी महत्वपूर्ण दवा है । यह दवा फिर से होने बाले मूत्र पथरी को रोकने में सहायक है ।
7-मूत्र पथरी (कैंथरीस) :- मूत्र पथरी के लिये कैन्थरीस एक बहूमूल्य दबा है खॉस कर जब कि मूत्र नली में बहुत जोर का र्दद हो डॉ0घोष ने कहॉ है कि यह दबा मूत्र के वेग को बढा कर पथरी को बाहर निकाल देती है । इसी प्रकार मूत्र को बढा कर पथरी को निकालने में बरबेरिस तथा लाईकोपोडियम की भी एक अहम भूमिका है ।
8-यूरेट आफ सोडा का गुर्दे में बैठने से गुर्दे की पथरी (साईलेसिया) :- डॉ सत्यवृत जी ने लिखा है कि कभी कभी यूरेट आफ सोडा गुर्दे में बैठ जाता है जिससे गुर्दे में पथरी बन जाती है डॉ0सुशलर का कहना है कि इस अवस्था में साईलेसिया यूरेट से मिलकर उसे धोल देती है एंव उसे शरीर से निकाल देती है इस लिये गुर्दे की पथरी व जोडों के दर्द में साईलैसिया लाभप्रद है । पथरी के बनने की प्रवृति को रोकने के लिये का प्रयोग 6, 30 या 200 शाक्ति में इसका प्रयोग करना चाहिये ।
9 हर प्रकार की पथरी बिना अपरेशन के निकालने हेतु (कोलियस एरोमा) :- हर प्रकार की पथरी को यह दवा निकाल देती है यह दवा पथरी में बूंद बूंद पेशाब मूत्र में रेत की तरह कण आना मूत्र में रक्त आना दाहिनी ओर गुर्दे की सूजन में इस दवा का प्रयोग किया जाना चाहिये यह दबा पथरी को गलाकर मूत्र मार्ग से निकाल देती है इस दवा को मूल अर्क में प्रयोग करना चाहिये
(स)-पथरी रोग की प्रतिषेधक
1 पथरी रोग की प्रतिषेधक दबा (कैल्केरिया कार्ब) :- कैल्केरिया कार्ब पथरी रोग की प्रतिषेधक दबा है दो या तीन सप्ताह के अन्तर से 200 या उच्च शक्ति में सी एम आदि की एक मात्रा देना चाहिये इसके र्दद के समय रोगी को बहुत अधिक पसीना आता है । डॉ0सैण्डस मिल्स तथा हूाजेस लिखते है कि पित्त पथरी का कष्ट दूर करने के लिये कैल्केरिया कार्ब अत्युत्म दबा है उनका कहना है कि इस दवा को पन्द्रह पन्द्रह मिनट के अन्तर देकर देना चाहिये इससे तीन घंटे में दर्द दूर हो जायेगा
2 पथरी के बार बार बनने की प्रवृति को रोकने के लिये (चाईना) :- पथरी के बार बार बनने की प्रवृति को रोकने के लिये चाईना 6 में कुछ दिनों तक दिया जाना चाहिये । डॉ0 फैरिंगटन ने लिखा है कि बोस्टन के डॉ0 थेयर का कथन है कि पित्त पथरी की प्रवृति को रोकने के लिये चाईना 6 एक्स का कई महिनों तक प्रयोग करना चाहिये पहले 10 दिन तक रोज फिर दो तीन दिन का अन्तर देकर दस दिनों तक दे इस प्रकार इसका प्रयोग कुछ लम्बे समय तक करते रहने पर पथरी बनने की प्रवृति ठीक हो जाती है ।
(द)-पथरी की अन्य समस्याओं पर
1-पेशाब का रूकना या कम होना (सैलिडैगों):- पथरी होने पर या अन्य किसी भी कारण से पेशाब रूक जाती हो या कम होती हो जिसकी वहज से कैथीटर डाल कर पेशाब निकालना पडता हो ऐसी स्थिति में सैलिडैगो वर्गा क्यू या 3 शक्ति में देने से पेशाब असानी से हो जाती है । इस दवा की 30 शक्ति से भी आशानुरूप लाभ होता है ।
डॉ0 सत्यम सिंह चन्देल(बी0एच0एम0एस0, एम0डी0, पी0जी0वाय0एन0,सी0एफ0एन0)एंव डॉ0 कृष्ण भूषण सिंह चन्देल( वरिष्ठ चिकित्सक )