shabd-logo

क्‍वान्‍टम थेवरी

30 जुलाई 2022

21 बार देखा गया 21

क्‍वान्‍टम थेवरी

क्‍वान्‍टम थेवरी :- जहॉ से भौतिक वस्‍तुओं का अस्तित्‍व समाप्‍त होने लगता है वहॉ से सूक्ष्‍म अर्थात क्‍वान्‍टम थैवरी का सिद्धान्‍त प्रारम्‍भ होने लगता है ।  यहॉ पर हमारे वस्‍तु शब्‍द का प्रयोग करने का तात्‍पर्य है चूंकि भौतिक वस्‍तु से है , जबकि अध्‍यात्‍म में दो प्रकार के अस्तित्‍व का विवरण है उनका मानना है कि हमारे शरीर में भौतिक शरीर तथा सूक्ष्‍म शरीर वि़द्यमान है । भौतिक वस्‍तु वह है जो दिखलाई देती है एंव समय के साथ उसका अस्तित्‍व नष्‍ट हो जाता है जबकि सूक्ष्‍म वस्‍तु का अस्तित्‍व समाप्‍त नही होता वह अपना रूप बदलती है । जिस प्रकार से भौतिक वस्‍तु का मान सख्‍यात्‍मक रूप से बढता है उसी प्रकार सूक्ष्‍म वस्‍तु की मात्रा जितनी कम होती जाती है उसका क्‍वान्‍टम मान सख्‍यात्‍मक रूप से बढता चला जाता है । जिस प्रकार से भौतिक वस्‍तुओं के सख्‍यात्‍मक मान से उसका आकलन किया जाता है ठीक उसी प्रकार से सूक्ष्‍म वस्‍तुओं के घटते क्रम के मान का संख्‍यात्‍मक आंकलन किया जाता है । भौतिक वस्‍तुओं का बढतें क्रम से उस वस्‍तु को धनात्‍मक वृद्धि के अनुसार र्दशाते है । परन्‍तु सूक्ष्‍म वस्‍तु के मान में उसकी संख्‍या को घटते क्रम के मान से दृशाते है ,परन्‍तु सूक्ष्‍म वस्‍तु के कान में उसकी संख्‍या को घटते क्रम के मान से दृशाते है भौतिक एंव सूक्ष्‍म एक के बढते क्रम एंव दुसरे के घटते क्रम को घनात्‍मक रूप से वृद्धि के क्रम में ही माना जायेगा ,जैसे यदि किसी बस्‍तु के भार में वृद्धि होती जाती है तो उसका संख्‍यात्‍मक मान बढता चला जाता है जैसे एक ग्राम से वह दो ग्राम फिर तीन ग्राम क्रमश: इसी प्रकार से बढती जाती है , ठीक इसी प्रकार से यदि किसी बस्‍तु का भौतिक अस्तित्‍व समाप्‍त हो कर वह जितनी सूक्ष्‍म होती जाती है उसकी सूक्ष्‍मता का मान ठीक इसी प्रकार से कम होता जाता है ,परन्‍तु इस सूक्ष्‍म से अति सूक्ष्‍म वस्‍तु जो अब वस्‍तु नही रही बल्‍की इतनी सूक्ष्‍म हो गयी कि उसका अपना भौतिक अस्तित्‍व नही रहा परन्‍तु मात्र भौतिक अस्तित्‍व के न रहने से उसका अस्तित्‍व समाप्‍त नही हो जाता बल्‍की उसका अस्तित्‍व व उसके कार्य करने की क्षमता भौतिक वस्‍तु से कई गुना बढ जाती है । परमाणुवाद का सिद्धान्‍त एंव होम्‍योपैथिक की शक्तिकृत दवाये तथा आयुर्वेद के मर्दनम शक्ति आदि । क्‍वान्‍टम थैवरी पर अभी वैज्ञानिकों का शोध कार्य चल रहा है एंव उन्‍होने माना है कि भौतिक वस्‍तुओं को बार बार तोडने या उसे सूक्ष्‍म अति सूक्ष्‍म करने से वह अपने भौतिक शक्ति से भी अधिक शक्तिशाली हो जाती है । भविष्‍य में नाभीकिय क्‍वान्‍टम का सिद्धान्‍त रोग निवारण कि दिशा में एक नया अध्‍याय प्रारम्‍भ करेगी एंव रोग उपचार को एक नई दिशा देगी

1-भौतिक- भौतिक वस्‍तु व भौतिक क्रियाये वे है जो भौतिक रूप में होती है अर्थात जो दिखलाई देती है जिन्‍हे स्‍पर्श किया जा सकता है एंव भौतिक वस्‍तु एक निश्चित समय में समाप्‍त हो जाती है ।

2-सूक्ष्‍म वस्‍तु :- सूक्ष्‍म वस्‍तु या सूक्ष्‍म क्रियाये वे है जो सूक्ष्‍म होती है इतनी सूक्ष्‍म होती है जिन्‍हे देखा नही जा सकता अर्थात अभौतिक होती है ,इन्‍हे स्‍पर्श नही किया जा सकता अर्थात ये भौतिक न होकर सूक्ष्‍म अतिसूक्ष्‍म होती है । जैसे परमाणु विखण्‍डन का सिद्धान्‍त ।

क्‍वान्‍टम थैवरी का सिद्धान्‍त ही सूक्ष्‍मता पर आधारित है अर्थात जब भौतिक रूप सूक्ष्‍म रूप में परिवर्तित होने लगती है वहॉ से क्‍वान्‍टम थैवरी का सिद्धान्‍त प्रारम्‍भ होता है । वस्‍तु जितनी सूक्ष्‍म होती जायेगी उसकी सूक्ष्‍म गणना उतनी आगे बढती जायेगी एंव उसमें मूल बस्‍तु की अपेक्षा कार्य करने की क्षमता अधिक होती जायेगी । सूक्ष्‍म वस्‍तु में भौतिक रूप न होते हुऐ भी वह कार्य की दृष्टि  से अतितीब्र होती है ।

भौतिक वस्‍तु भौतिक हो   tgkW ls HkkSfrd oLrqvksa dk vfLrRo lekIr gksus yxrk gS ogkW ls lw{e vFkkZr DokUVe Fksojh dk fl)kUr izkjEHk gksrk gS A ;gkW ij gekjs oLrq “kCn dk iz;ksx djus dk rkR;iZ है pwWfd HkkSfrd oLrq ls gS, tcfd v/;kRe esa nks izdkj ds vfLrRo dk fooj.k gS mudk ekuuk gS fd gekjs ’kjhj esa HkkSfrd ’kjhjs rFkk lw{e ’kjhj fo|eku gS A HkkSfrd oLrq og gS tks fn[kykbZ nsrh gS ,ao le; ds lkFk mldk vfLrRo u"V gks tkrk gS tcfd lw{e oLrq dk vfLrRo lekIr ugh gksrk og viuk :Ik cnyrh gS A ftl izdkj ls HkkSfrd oLrq dk eku l[;kRed :Ik ls c<rk gS mlh izdkj ls lw{e oLrq dh ek=k ftruh de gksrh tkrh gS mldk DokVe eku l[;kRed :Ik ls c<rk tkrk gS A ftl izdkj ls HkkSfrd oLrqvksa ds l[;kRed eku ls mldk vkdyu fd;k tkrk gS Bhd mlh izdkj ls lw{e oLrqvksa ds ?kVrs dze ds eku dk la[;kRed vkdyu fd;k tkrk gS A HkkSfrd oLrqvksa dsk c<rs dze ls ml oLrq dks /kukRed o`f) ds vuqlkj nZ”kkrs gS A ijUrq lw{e oLrq ds eku esa mldh la[;k dsk ?kVrs dze ds eku ls n`’krs gS HkkSfrd ,ao lw{e ,d ds c<rs dze ,ao nwljs ds ?kVrs dze dks ?kukRed :Ik ls o`f) ds dze esa gh ekuk tk;sxk A tSls ;fn fdlh oLrq ds Hkkj esa o`f) gksrh tkrh gS rks mldk la[;kRed eku c<rk pyk tkrk gS tSls ,d xzke ls og nks xzke fQj rhu xzke dze”k% blh izdkj ls c<rh tkrh gS A Bhd blh izdkj ls ;fn fdlh oLrq dk HkkSfrd vfLRo lekIr gks dj og ftruh lw{e gksrh tkrh gS mldh lw{erk dk eku Bhd blh izdkj ls de gksrk tkrk gS A ijUrq bl lw{e ls vfr lw{e oLrq tks vc cLrq ugh jgh cYdh bruh lw{e gks x;h fd mldk viuk HkkSfrd vfLrRo ugh jgk ijUrq ek= HkkSfrd vfLrRo ds u jgus ls mldk vfLrRo lekIr ugh gks tkrk cYdh mldk vfLro o mlds dk;Z djus dh {kerk HkkSfrd oLrq ls dbZ xquk c< tkrh gS A ijek.kqokn dk fl)kUr ,ao gksE;kSiSfFkd dh ’kfDrd`r nck;s ] vk;qosZn ds enzZu enZue% ’kfDr vkfn A DokVe Fksojh ij vHkh oSKkfudks dk ’kks/k dk;Z py jgk gS ,ao mUgksus ekuk gS fd HkkSfrd oLrqvksa dks ckj ckj RkskMus ;k mls lw{e vfr lw{e djus ls og vius HkkSfrd Lo:Ik ls Hkh vf/kd “kfDr”kkyh gks tkrh gS A Hkfo’; esa ukHkhdh; DokUVe fl)kUr jksx fuokj.k dh fn”kk esa ,d u;k v/;k; izkjEHk djsxh ,ao jkx mipkj dks ,d ubZ fn”kk nsxh A

1&HkkssSfrd%& HkksSfrd oLrq o HkkSfrd fdz;k;s os gS tks HkkSfrd :Ik esa gksrh gS vFkkZr tks fn[kykbZ nsrh gS ]ftUgs Li”kZ fd;k tk ldrk gS A

2&lw{e%& lw{e oLrq ;k lw{e fdz;k;as os gS tks lw{e gksrh gS bruh lw{e gksrh gssS ftUgs ns[kk ugh tk ldrk  vFkkZr vHkkSfrd gksrh gS A bUgs Li”kZ ugh fd;k tk ldrk vFkkZr ;s HkkSfrd u gksdj lw{e vfrlw{e gksrh gS A tSls ukHkh fo[k.Mu &fdlh oLrq ds ijek.kq fo[k.Mu dk fl)kUr A

DokUVe Fksojh dk fl)kUr gh lw{erk ij vk/kkfjr gS vFkkZr tc HkkSfrd :I lw{e :I esa ifjofrZr gksus yxrk gS ogkW ls DokUVe Fksojh dk fl)kUr izkjEHk gksrk gS aA cLrq ftruh lw{e gksrh tk;sxh mldh lw{e x.kuk mruh vkxs c<rh tk;sxh ,ao mlesa ewy oLrq dh vis{kk dk;Z djus dh {kerk vf/kd gksrh tk;sxh A ;g HkkSfrd oLrq HkkSfrd gks tks le;kuqlkj u’V gks tkrh gS A lw{e vHkkSfrd gS tks fn[kykbZ ugh nsrh le;kuqlkj u’V ugh gksrh og viuk Lo:I cnyrh gS A

gekjs izkphu nZ”kuksa esa bl lw{e dk foLr`r o.kZu gS blesa “kjhj dks Hkksfrd ,ao lw{e “kjhj dgkW x;k gS A mudk ekuuk gsS fd HkkSfrd “kjhj ,d le; ckn u’V gks tkrk gS ijUrq lw{e “kjhj dHkh u’V ugh gksrk og viuk Lo:I cnyrk jgrk gS HkkSfrd “kjhj dh vis{kk lw{e “kjhj esa vlhe “kfDr;kW gksrh gS A

lw{e ls lw{erk dk mipkj dk fooj.k dbZ fpfdRlk i)fr;ksa ds fl)kUrksa dk vfHkuu vax jgk gS muesa gksE;ksiSfFkd esa “kfDrdj.k dk fl)kUr rFkk vk;wosZn esa enZus enZue “kfDr dk mYys[k geas ns[kus dks feyrk gS aA lw{e mipkj fof/k;ksa esa v/;kRe ;ksx rFkk vU; fons”kh v/;kfRed mipkj o euks;ksx v/;kRe vkfn izeq[k gS A v/;kRe esa ukHkh dks mruk gh egRo fn;k x;k gS ftruk oSKkfud ijek.kq esa U;wfDy;l dks nsrs vk;s gS blh izdkj lkSj e.My esa lw;Z dks ekuk tkrk gS A vkRe foKku dk dFku gS fd ukHkh pdz dk pqEcdRo vkthou cuk jgrk gS ftl rjg efLr’d dk lw{e “kjhj ls cuk jgrk gS A


डॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देेल (बी0 एच0 एम0 एस0,एम0डी)


16
रचनाएँ
होम्योपैथिक के चमत्कार भाग -2
0.0
इस पुस्तोक से नये व्यिक्ति आसानी से होम्येाेपैथिक चिकित्सा के विषय में जानकारी प्राप्ति कर इसे सीख सकता है साथ ही होम्योसपैथिक चिकित्स कों को भी इसमें नई नई जानकारीयॉ मिलेगी
1

भूमिका

10 जून 2022
1
0
0

भूमिका पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने कई जनोपयोगी, उपचार वि़द्यओं को अहत ही नही किया बल्‍की उनके अस्तित्‍व को भी खतरे में डाल रखा है । आज की मुख्‍यधारा से जुडी ऐलोपैथिक चिकित्‍सा जहॉ एक

2

प्रस्तावना (होम्योपैथिक के चमत्कार भाग 2)

12 जून 2022
0
0
0

(होम्योपैथिक के चमत्कार भाग 2) प्रस्‍तावना होम्‍योपैथिक मेटेरिया मेडिका की कई लेखकों की पुस्‍तकों  का गहन अध्‍ययन करने पर भी कई जगह सम्‍पूर्ण लक्षणों का विवरण प्राय: नही मिलता, परन्‍तु एक दक्ष होम्‍

3

अध्‍याय -1 विश्‍व प्रचलित चिकित्‍सा पद्धतियों का उदभव

12 जून 2022
0
0
0

      अध्‍याय -1    विश्‍व प्रचलित चिकित्‍सा पद्धतियों का उदभव   आदिकाल में मानव की आवश्‍यकतायें कम थी, वह अपने भूंख प्‍यास के सीमिति संसाधनों पर निर्भर हुआ करता था ।  आदिमानव यहॉ वहॉ फल फूल या जान

4

4-होम्‍योपंचर या होम्‍योएक्‍युपंचर

12 जून 2022
0
0
0

                                 4-होम्‍योपंचर या होम्‍योएक्‍युपंचर विश्व में प्रचलित विभिन्न प्रकार की चिकित्सा पद्धतियॉ किसी न किसी रूप में प्रचलन में है इसी कडी में होम्योपंचर चिकित्सा की जानकारी

5

5-नेवल एक्‍युपंचर बनाम नेवल होम्‍योपंचर

12 जून 2022
0
0
0

                 5-नेवल एक्‍युपंचर बनाम नेवल होम्‍योपंचर नेवल एक्‍युपंचर, एक्‍युपंचर की नई खोज है इसकी खोज व इसे नये स्‍वरूप में सन 2000 में कास्‍मेटिक सर्जन मास्‍टर आफ-1 चॉग के मेडिसन के प्रोफेसर यो

6

अध्‍याय-4 पैथालाजी रोग एंव होम्‍योपैथिक (विकृति विज्ञान) होम्योपैथी के चमत्कार भाग 2

12 जून 2022
1
1
0

अध्‍याय-4     पैथालाजी रोग एंव होम्‍योपैथिक (विकृति विज्ञान) होम्‍योपैथिक एक लक्षण विधान चि‍कित्‍सा पद्धति है इसमें किसी रोग का उपचार नही किया जाता बल्‍की लक्षणों को ध्‍यान में रखकर औषधियों का र्निवा

7

बच्‍चों के रोग अध्‍याय-5 ( होम्योपैथी के चमत्कार भाग -2 )

15 जून 2022
0
0
0

                                       ( होम्योपैथी के चमत्कार  भाग -2 ) अध्‍याय-5 बच्‍चों के रोग बच्‍चों के रोग इस प्रकार के होते है कि वे अपने लक्षणों को एंव अपनी बीमारीयों को नही बतला सकते] ऐसी

8

होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा पद्धति से मिलती जुलती विभिन्‍न चिकित्‍सा पद्धतियॉ अध्‍याय -2

19 जून 2022
0
0
0

                                                                        (होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग-2)     अध्‍याय -2   होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा पद्धति से मिलती जुलती विभिन्‍न चिकित्‍सा पद्धतियॉ  

9

होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा का उदभव अध्‍याय-3 (होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग-2)

19 जून 2022
0
0
0

                                                                  (होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग-2)     अध्‍याय-3      होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा का उदभव     किसी ने सत्‍य ही कहॉ है, आवश्‍यकता आविष

10

हिस्‍टीरिया रोग अध्‍याय-7 (होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग’2)

19 जून 2022
0
0
0

(होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग’2)                                                      अध्‍याय-7                                                    हिस्‍टीरिया    रोग  हिस्‍टीरिया एक ऐसा मानसिक रो

11

वृद्धावस्‍था और होम्योपैथीक उपचार अध्याय - 6

30 जुलाई 2022
0
0
0

                                         अध्‍याय-6                                          वृद्धावस्‍था वृद्धावस्‍था कोई रोग नही है ,यह जीवन की सच्‍चाई है , परन्‍तु वृद्धावस्‍था मे कई प्रकार की समस

12

नशे की आदते और उसके दुष्‍परिणाम ( अध्‍याय-8)

30 जुलाई 2022
0
0
0

                                          अध्‍याय-8                            नशे की आदते और उसके दुष्‍परिणाम   नशा किसी भी प्रकार का हो इससे स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा प्रभाव पडता है ,आज के इस बदलते दौर

13

मुंह में छाले (अध्‍याय-9

30 जुलाई 2022
0
0
0

अध्‍याय-9 मुंह में छाले मुंह में छाले होना कोई बीमारी नही है, यह प्राय: पेट की खराबी या कब्‍ज की वजह से भी हो सकती है, जिसका उपचार कब्‍ज दूर करने से प्राय: हो जाता है ,। परन्‍तु यदि बार बार लम्‍बे स

14

शरीर के विभन्‍न स्‍थलों की व्‍याधियॉ ( अध्‍याय-10)

30 जुलाई 2022
1
0
0

अध्‍याय-10 शरीर के विभन्‍न स्‍थलों की व्‍याधियॉ (अ)-कन्‍धे के दाये पार्श्‍व का र्दद – (1)-दवा की क्रिया दाहिनी तरफ दाहिना पैर वर्फ की तरह ठंडा (चिलि‍डोनियम मेजस) :- यह एक बनस्‍पतिक वर्ग की दवा है ज

15

पथरी ( अध्‍याय-11)

30 जुलाई 2022
0
0
0

                          अध्‍याय-11                               पथरी    पथरी एक ऐसा रोग है जिसमें मूत्राश्‍य एंव गुर्दे में पथरी बनने लगती है । कुछ मरीजों में तो उपचार के बाद बाद भी बार बार पथरी

16

क्‍वान्‍टम थेवरी

30 जुलाई 2022
1
1
0

क्‍वान्‍टम थेवरी क्‍वान्‍टम थेवरी :- जहॉ से भौतिक वस्‍तुओं का अस्तित्‍व समाप्‍त होने लगता है वहॉ से सूक्ष्‍म अर्थात क्‍वान्‍टम थैवरी का सिद्धान्‍त प्रारम्‍भ होने लगता है ।  यहॉ पर हमारे वस्‍तु शब्‍द

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए