युवक यानि 16 वर्ष से अधिक का बच्चा।
कैसा जीवन है युवकों का आज के समय?
आइए इस विषय पर चर्चा करते है। मैं अपने जीवन से एक उधारण लेता हूं मैने तो 12 वी कक्षा पास कर ली अब आगे की पढ़ाई कर रहा हूं। तो वहां के युवा कैसे है इसके विषय में आगे कभी बात करेंगे आज तो विषय छोटे बच्चो का है।
शुरू करते है की घटना क्या थी और क्या बता गई?
मेरे पड़ोस का एक बच्चा जो सातवी कक्षा में पढ़ता है वो मेरे पास आया और कहने लगा ।
भईया जी आप मुझे मेरे सवाल करवा दोगे बस दो सवाल है
मैं हां क्यों नहीं आ जाओ।
बच्चा अभी आता हूं
फिर बच्चा अपनी रसायन विज्ञान की किताब लाया जो कक्षा 7 की थी उसने मुझे वो पेज खोल के दिया जिस पर समस्या लिखी थी। मैने देखा वो तो ( सही /गलत ) का चिन्ह लगाना था। वो पूरी किताब अंग्रेजी में छपी थी। मैने पूछा कौन सा सवाल तो उसने मुझे बताया पहला और दूसरा बता दो।
मैने सवाल पढ़ा और समझा की क्या पूछा जा रहा है। मैने उस बच्चे से पूछ लिया कि ये बताओ की ये जो प्रश्न पूछा गया है इसके टॉपिक को तुम जानते हो । उसने कहा नहीं। वो बच्चा बहुत अचंभित हो गया कि ऐसा क्या है इसमें।फिर मैं उसे उस पेज पर ले गया जहा ये टॉपिक था और पूछा ये क्या तुमने नहीं पढ़ा ( टॉपिक का नाम)
उसने एक दम से बोला हा स्कूल में मैम ने जल्दी जल्दी पढ़ाया था तब मुझे समझ नहीं आया था। मैने पूछा सवाल तो यही से पूछा है क्या तुम सवाल जानना चाहोगे या पूरा टॉपिक तो उस बच्चे ने पहले कहा सवाल बता दो मुझे याद करना है मैने कहा चलो ठीक है। तभी उसके मन में कुछ आया और कहा भईया आप टॉपिक भी समझा दो और सवाल भी तो मैने उसे वो टॉपिक समझा दिया उसके बाद उससे वो ही सवाल पूछा उसने तुरंत सही उत्तर दे दिया । मैने थोड़ा और आगे का उसी टॉपिक से जुड़े दो प्रश्न और पूछे उसने वो भी बता दिए और खुश हो गया फिर मैंने स्वयं से एक प्रश्न पूछा उसने पहले बुक को देखा की ये प्रश्न तो कही नही है तो मैने कहा कि मैने बनाकर पूछा है अब बताओ तो उसने सोचा और बता दिया और उसने सही बताया था फिर उसने पूछा की आप कैसे प्रश्न बना लेते है। मैने कहा की जब तुम किसी चीज को अच्छे से जान लेते हो तो उसको तुम अलग अलग तरीके से पूछ भी सकते हो।
तो फिर उसने कहा अच्छा! और आगे के समस्या के बारे में पूछने लगा।
और मैंने उसे आगे का समझा दिया और वो बच्चा समझ गया।
तो फिर उसने कहा अच्छा! और आगे के समस्या के बारे में पूछने लगा।
और मैंने उसे आगे का समझा दिया और वो बच्चा समझ गया।
अब आप सोचेंगे कि इस घटना में जानने लायक क्या है ?
जो मैने देखा वो बताता हूं
उस बच्चे को जो पढ़ाया गया था वो उसे समझ नही आता था।
उसका लक्ष्य केवल कॉपी के प्रश्न को हल करना था।
उसके अंदर जिज्ञासा तो थी जानने की पर वो दबी हुई थी जैसे ही मैने उससे पूछा की बताओ की टॉपिक जानोगे या समस्या का हल तो पहले उसने समस्या का हल चुना क्यों कि ये उसे ज्यादा अच्छा लगा पर अंदर से जानने की इच्छा हुई तो उसने ये देख कर कि भईया है बेझिजक एक दम से जिज्ञासा को आने दिया फिर उसने बड़े चाव से टॉपिक समझा और उसे बिना याद किए ही याद हो गया ।
अगर ये जिज्ञासा सभी बच्चो के अंदर से आए तो बच्चे जल्दी ही सब समझ जायेंगे।
आपको क्या लगता है?
किंतु ऐसा न होने के बहुत से कारण आज है जिनके विषय में आगे चर्चा करेंगे।