~~बनारस~~
घाट जग चुकी है।
एक जादू सा प्रतीत होता है,
अंधकार को चीरता हुआ सूरज,
एक नवीन ऊर्जा और जीवन को लेकर
उदयाचल की ओर से आगमन करता है।
गंगा की लहरें किनारों से टकराकर,
पुनः पुनः परावर्तित होती रहती है,
घिसते रहती है घाट के पाषाण को,
जिसमें सिमट कर छिपा है इसका इतिहास।
यहाँ एक ही आँगन में हर रोज
खुशी भी है और गम भी।
यहाँ हर रोज मन कर्म के बंधन से बंधकर
संकल्पित होता रहता है।
सच मे यह आनंद कानन है,
यहीं विश्वनाथ हैं, यहीं विशालाक्षी हैं।
कला, भक्ति, साहित्य और संगीत,
सबका उद्गम भी यहीं है और संगम भी।
यह काशी है। यही बनारस है।
:- आदित्य ठाकुर
आदित्य कुमार ठाकुर वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में पीएचडी कर रहे हैं। उनका शोध क्षेत्र सिविल और माइनिंग इंजीनियरिंग से संबंधित है। उन्हें गणित में शोध कार्य के लिए GUJCOST विशेष मान्यता पुरस्कार और IRIS रजत पदक से भी सम्मानित किया गया है। नए प्रकार के जल मीटर का आविष्कार करने के लिए उन्होंने S.I.H ग्रैंड पुरस्कार जीता। मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मुजफ्फरपुर से बी.टेक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स) धनबाद से एम.टेक की अपनी मजबूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि के साथ, उन्हें हिंदी साहित्य और अन्य सामाजिक विज्ञान विषयों में गहरी रुचि है। उनकी नवीनतम पुस्तक "गेटवे ऑफ सोशियोलॉजिकल थॉट" है। उन्होंने अपनी पहली किताब 'अस्मिता' लिखी है, जो उनकी कविताओं का संकलन है। उन्होंने कई प्रसिद्ध संस्थानों और कवि सम्मेलनों में अपनी कविता का पाठ किया है। उनका लेखन अक्सर मानव व्यवहार, भावनाओं और प्रकृति के साथ व्यक्तियों के संबंध की जटिलताओं पर प्रकाश डालता है।