उठा चंद्रहास कर संहार राम का तूँ,
देख रावण, तूँ जीत गया।
अनुराग की लिखी है यह पंक्तियाँ, आज के परिपेक्ष्य में बिल्कुल सत्य। कितने प्रकार के भावों का समावेश है इन पंक्तियों में। दुःख है आज के परिवेश को देखकर, चिंता है उसके भविष्य की सोचकर। कहाँ पहुँच चुके हैं हम, सभ्यता की सीढ़ियों पर चढ़ते -चढ़ते। आज हर जगह पल पल धर्म के प्रतिरूप राम का संहार हो रहा है अधर्म के रूप लिए रावण के हाथों। यह संहार है विश्व की प्राचीनतम सभ्यता की, यह संहार है भारतीय संस्कृति की और यह संहार है गंगा जमुनी तहजीब की जो नष्ट कर रहा है हमारा चिर आनंदित जीवन शैली। लिखने को तो बहुत कुछ है पर हृदय द्रवीभूत है और आंखें नम... ...
आदित्य कुमार ठाकुर वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में पीएचडी कर रहे हैं। उनका शोध क्षेत्र सिविल और माइनिंग इंजीनियरिंग से संबंधित है। उन्हें गणित में शोध कार्य के लिए GUJCOST विशेष मान्यता पुरस्कार और IRIS रजत पदक से भी सम्मानित किया गया है। नए प्रकार के जल मीटर का आविष्कार करने के लिए उन्होंने S.I.H ग्रैंड पुरस्कार जीता। मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मुजफ्फरपुर से बी.टेक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स) धनबाद से एम.टेक की अपनी मजबूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि के साथ, उन्हें हिंदी साहित्य और अन्य सामाजिक विज्ञान विषयों में गहरी रुचि है। उनकी नवीनतम पुस्तक "गेटवे ऑफ सोशियोलॉजिकल थॉट" है। उन्होंने अपनी पहली किताब 'अस्मिता' लिखी है, जो उनकी कविताओं का संकलन है। उन्होंने कई प्रसिद्ध संस्थानों और कवि सम्मेलनों में अपनी कविता का पाठ किया है। उनका लेखन अक्सर मानव व्यवहार, भावनाओं और प्रकृति के साथ व्यक्तियों के संबंध की जटिलताओं पर प्रकाश डालता है।