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पंक्तियाँ अनुराग की

7 जनवरी 2024

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उठा चंद्रहास कर संहार राम का तूँ,

 देख रावण, तूँ जीत गया।

अनुराग की लिखी है यह पंक्तियाँ, आज के परिपेक्ष्य में बिल्कुल सत्य। कितने प्रकार के भावों का समावेश है इन पंक्तियों में। दुःख है आज के परिवेश को देखकर, चिंता है उसके भविष्य की सोचकर। कहाँ पहुँच चुके हैं हम, सभ्यता की सीढ़ियों पर चढ़ते -चढ़ते। आज हर जगह पल पल धर्म के प्रतिरूप राम का संहार हो रहा है अधर्म के रूप लिए रावण के हाथों। यह संहार है विश्व की प्राचीनतम सभ्यता की, यह संहार है भारतीय संस्कृति की और यह संहार है गंगा जमुनी तहजीब की जो नष्ट कर रहा है हमारा चिर आनंदित जीवन शैली। लिखने को तो बहुत कुछ है पर हृदय द्रवीभूत है और आंखें नम... ... 



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आदित्य कुमार ठाकुर वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में पीएचडी कर रहे हैं। उनका शोध क्षेत्र सिविल और माइनिंग इंजीनियरिंग से संबंधित है। उन्हें गणित में शोध कार्य के लिए GUJCOST विशेष मान्यता पुरस्कार और IRIS रजत पदक से भी सम्मानित किया गया है। नए प्रकार के जल मीटर का आविष्कार करने के लिए उन्होंने S.I.H ग्रैंड पुरस्कार जीता। मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मुजफ्फरपुर से बी.टेक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स) धनबाद से एम.टेक की अपनी मजबूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि के साथ, उन्हें हिंदी साहित्य और अन्य सामाजिक विज्ञान विषयों में गहरी रुचि है। उनकी नवीनतम पुस्तक "गेटवे ऑफ सोशियोलॉजिकल थॉट" है। उन्होंने अपनी पहली किताब 'अस्मिता' लिखी है, जो उनकी कविताओं का संकलन है। उन्होंने कई प्रसिद्ध संस्थानों और कवि सम्मेलनों में अपनी कविता का पाठ किया है। उनका लेखन अक्सर मानव व्यवहार, भावनाओं और प्रकृति के साथ व्यक्तियों के संबंध की जटिलताओं पर प्रकाश डालता है। 

आदित्य कुमार ठाकुर की अन्य किताबें

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सबके अपने अपने राम

23 अगस्त 2023
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आदिकवि भगवान् वाल्मीकि जी ने अपने महाकाव्य रामायण में जिस राम का वर्णन किया है, वह सिर्फ एक महापुरुष है। उन्होंने राम के जीवन के माध्यम से समाज को मर्यादा,आदर्श और सदगुणों के पराकाष्ठा का दर्शन करवा

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बनारस

7 जनवरी 2024
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~~बनारस~~ घाट जग चुकी है। एक जादू सा प्रतीत होता है, अंधकार को चीरता हुआ सूरज, एक नवीन ऊर्जा और जीवन को लेकर  उदयाचल की ओर से आगमन करता है। गंगा की लहरें किनारों से टकराकर, पुनः पुनः परावर्तित

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बनारस

7 जनवरी 2024
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उजाले से युक्त दिन धीरे धीरे सुरम्य संध्या का रूप ले रही है, हर एक पग, हर एक कदम, बढ़ रहा है आहिस्ता आहिस्ता किसी अलक्षित शक्ति के आवेश में, खींचा चला आ रहा है, दशास्व्मेध की ओर...... हर ए

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पंक्तियाँ अनुराग की

7 जनवरी 2024
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उठा चंद्रहास कर संहार राम का तूँ,  देख रावण, तूँ जीत गया। अनुराग की लिखी है यह पंक्तियाँ, आज के परिपेक्ष्य में बिल्कुल सत्य। कितने प्रकार के भावों का समावेश है इन पंक्तियों में। दुःख है आज के परिवेश

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शिक्षक

7 जनवरी 2024
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गुरु का स्थान तो कबीरदास जी के इन दोहों से ही स्पष्ट हो जाती है:- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय? बलिहारी गुरु आपकी, गोविन्द दियो बताय। वैसे तो इस अखिल ब्रम्हांड के सबसे बड़े गुरु शिव हैं। हर

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गुरु का स्थान

7 जनवरी 2024
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प्रातः स्मरणेय शिक्षक वृंद के चरणों में कोटिशः नमन। गुरु का स्थान तो कबीरदास जी के इन दोहों से ही स्पष्ट हो जाती है:- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय? बलिहारी गुरु आपकी, गोविन्द दियो बताय। वै

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अस्मिता तुम कल आना।

7 जनवरी 2024
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जीवन के बागों की कलियाँ, तेरे आने से मुरझा जाएगी, और वृंतो पर खिल रहे कुसुम, तेरे छूने से झड़ जाएगी। सजा रहे यह बाग मनोहर, गूँजे नित भौरों का गाना, मेरा मन भी पवन संग झूमे, नहीं चाहता मैं ऋतुर

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जीवन के बागों की कलियाँ (अस्मिता तुम कल आना)

7 जनवरी 2024
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जीवन के बागों की कलियाँ, तेरे आने से मुरझा जाएगी, और वृंतो पर खिल रहे कुसुम, तेरे छूने से झड़ जाएगी। सजा रहे यह बाग मनोहर, गूँजे नित भौरों का गाना, मेरा मन भी पवन संग झूमे, नहीं चाहता मैं ऋतुराज क

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मस्तिष्क में उपजते आभा सम (अस्मिता तुम कल आना)

7 जनवरी 2024
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मस्तिष्क में उपजते आभा सम, वीचारों को छिन्न करती हो, प्रेम से बंधे सुंदर बन्धन को, तुम आकर भिन्न करती हो। तू कुशाग्र बुद्धि की अवरोधक, हर दुःख का तुम सुंदर सपना, तेरे ही आ जाने से जग में, खोती चि

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प्रतिबिंब भाग -१

8 जनवरी 2024
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वो चला गया... मेरे कमरे में आया था कुछ पल सोफे पर बैठे बैठे ही आराम किया... फिर भरी आँखें और भारी आवाज से कहने लगा अपनी दर्द भरी दास्तान... मैं निस्तब्ध रही... फिर उसने एक सिगरेट सुलगाई, और उ

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प्रतिबिंब भाग -२

8 जनवरी 2024
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जाते समय आज़ाद करने की बात कह गया था पर एक अलक्षित डोर थी एहसासों की, इतनी आसानी से कैसे टूटती... बँधी थी मैं एक परोक्ष बंधन से जो उससे... उसके पीछे पीछे मैं भी उसके घर पहुँची, वहाँ पड़ी हुई थी व

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मंदोदरी -1

13 फरवरी 2024
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दसकंध मुकुट से मरीचि बिखेरती, वो मार्तण्ड सम मंदोदरी लंका को सदैव ही आँचल में रखती, वो मातृ स्वरुप मंदोदरी अप्रतिम सुन्दर दसकंधर प्राणप्रिया, वो दुःख हरण मंदोदरी समस्त अप्सराओं का सौंदर्य समे

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मंदोदरी

13 फरवरी 2024
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दसकंध मुकुट से मरीचि बिखेरती, वो मार्तण्ड सम मंदोदरी लंका को सदैव ही आँचल में रखती, वो मातृ स्वरुप मंदोदरी अप्रतिम सुन्दर दसकंधर प्राणप्रिया, वो दुःख हरण मंदोदरी समस्त अप्सराओं का सौंदर्य स

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साध्य में साधन की अहम भूमिका

18 फरवरी 2024
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जीवन के रास्ते से गुजरते हुए मैं कईयों को देख द्रवीभूत हो जाता हूँ जिसके सपने सजते-सजते नील गगन के तारों की तरह बिखर गए जिसे संजोया जाना या पुनः एकत्रित करना असंभव सा महसूस होने लगा। जिसने जीवन के तमा

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भारत के लिए अब बढ़ना होगा।

18 फरवरी 2024
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भारत के लिए अब बढ़ना होगा। अपने मुंड का मोल तुम आज लगा लो, सोये शक्तियों को तुम आज जगा लो। क्योंकि मातृत्व का कर्तव्य निभाने, अब सीमाओं पर चलना होगा। भारत के लिए अब बढ़ना होगा। अपने घरों से मोह तु

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