27 जनवरी 2022
मेरी कविता मुँह से अनायास निकले शब्द कविता बन जाते हैं पर प्रयत्न करने पर वे जुबाँ पर नहीं आते हैं यह अजीब आश्चर्य है जिसे मैं भी जान न पायी कि चाहकर भी मैं किसी के लिए क्यों न कुछ लिख पायी क