माता पिता के संस्कार से बहन भाई मिले अनमोल बचपन की यादो को समेट कर बने हम महान साथ साथ खेलते ,साथ साथ रहते प्रेम की गंगा में साथ साथ नेहाते हसीं की गुलशन खिलते एक साथ हस्ते हसाते बात बात रूशते सब मम्मी पापा सब को मनाते लडाई झगडे की सफर में दिन भर बादल जैसे मडराते वो पल याद करके आँखो मे आंसु आ जाते बहना के यदि बोले कोई गुसें से आँख लाल हो जाते भाई के यदि मारे कोई गुसें में उससे झगड जाते चल भाई मम्मी से कहता हुँ चल दीदी माई से कहते है छोटी छोटी बातो पर राई का पहाड बनाते रिस्तो की डोर से बंधे ऐ रिस्ते अनमोल भाई बहन का प्यार रिस्ते है,अनमोल . कवि-क्रान्तिराज दिनांक-29-08-23